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- 71% Of The Water Resources In India Are Confined To 36% Of The Country’s Area, Only 29% Of The Water Is Available With 64% Of The Area.
मुरैना4 घंटे पहले
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जल संरक्षण व उपयोगिता कार्यशाला में बोलते पूर्व मंत्री गिरिराज डंडौतिया ।
भारत में 71% जल संसाधन की मात्रा देश के 36फीसदी क्षेत्रफल में सिमटी है और बाकी 64 प्रतिशत क्षेत्रफल के पास देश के 29% जल संसाधन ही उपलब्ध हैं। आने वाले समय में पानी का अपव्यय नहीं रोका गया तो लोगों के जीवन में पानी से महंगा और कुछ नहीं होगा। यह बात ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिरिराज डंडौतिया ने कही। अध्यक्ष डंडौतिया, रविवार को हाेटल इंद्रलोक में पीएचई व जल संसाधन विभाग द्वारा जल संरक्षण व उपयोगिता विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में पानी का उपयोग करना है, दुरुपयोग नहीं । सतही जल का दोहन करने से जल स्तर 400 फीट से नीचे तक पहुंचा है। इसलिए पानी के अपव्यय को रोकने की दिशा में हमें कार्ययोजना बनाकर उस पर अमल करना होगा। इस दिशा में हमें लोगों को जागरूक करना है। पहले एक कुआं से गांव में पानी की आपूर्ति हो जाता थी लेकिन आज के युग में पानी का नल खोल देते हैं तब कही बर्तन धोते हैं। पिछड़ा वर्ग विकास निगम के चेयरमेन रघुराज सिंह कंसाना ने कहा कि पानी के उपयोग को लेकर स्कूलों में बच्चों को अलग से क्लास दी जाना चाहिए।
तब जाकर घर में पानी के उपयोग व संरक्षण की प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा कि पानी की कमी से जलस्तर लगातार गिर रहा है इसलिए सरकार के प्रयासों को फलीभूत करने के लिए हमें और आपको पानी के संरक्षण पर गौर करना होगा। वहीं लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री संतोषीलाल बाथम ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत जिले के 753 गांवों में नलों से पानी देने की तैयारी चल रही है। पहले व दूसरे चरण में 400 से ज्यादा नल-जल योजनाओं पर काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि धरती पर पेयजल की उपलब्धता में लगातार गिरावट आ रही है। इसलिए रेल से लेकर अस्पतालों, सिनेमा घरों, होटल व रेस्तरां में पीने के लिए पानी मोल लेना पड़ रहा है। कार्यपालन यंत्री ने कहा कि नलों से पानी तो मिलेगा लेकिन टोंटियों को खोलकर छोड़ देंगे तो पानी बर्बाद होगा और जरूरतमंदों को नहीं मिल सकेगा। उन्होंने वर्षा जल का संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाने पर जोर दिया।
बाथम ने कहा कि जल है तो कल है।कार्यक्रम में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के सहायक यंत्री रवि बाजपेयी, डीबी शर्मा, जिला सलाहकार प्रदीप माहौर, एचएस वरुण, पीएमयू सदस्य, विकासखंड समन्वयक उपस्थित रहे।
पानी के लिए लड़ा जा सकता है तीसरी युद्ध
मध्य प्रदेश स्थापना दिवस कार्यक्रम की श्रृंखला में रविवार को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड मुरैना एवं जल संसाधन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के सहयोग से जल संरक्षण एवं उपयोगिता विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि पानी के लिए भविष्य में तीसरी युद्ध लड़ा जा सकता है ।
कार्यक्रम में जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ दिनेश देशराजन, एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स विवेक, वैज्ञानिक कृषि सुधार विश्वनाथ सिंह कंसाना, पूर्व सहायक संचालक कृषि विभाग सोबरन सिंह तोमर ने पानी की मितव्ययता के उदाहरण देकर जल संथा के अध्यक्षों व जल समितियों के सदस्यों से लोगों को जागरुक करने की अपील की।
सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाएं
जल संसाधन विभाग के प्रभारी अधीक्षण यंत्री एचएस शर्मा ने कहा कि सिंचाई के लिए खेतों में बेशक नलकूप लगे हैं लेकिन किसानों को खेत सींचने के लिए स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाने चाहिए। ताकि कम पानी में अधिक सिंचाई हो सके। उन्होंने कहा कि ट्यूबवैल के पानी को बड़े पाइपों से डायरेक्ट खेतों में डाला जाएगा तो खेत लबालव होने के साथ व्यर्थ बहा पानी पड़ोसी किसान के खेत को नुकसान पहुंचाएगा।
उन्होंने नहर के पानी की एक-एक बूंद का उपयोग करने का आह्वान जल उपभोक्ता संथा के अध्यक्ष व सदस्यों से किया। कार्यशाला में जौरा के कार्यपालन यंत्री मोहसिन हसन, अंबाह के ईई एमके गुप्ता, एआईआईएलएसजी से प्रियंक खरे, तैयब अंसारी,हिमाद्री राउत उपस्थित रहे।
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