कांकेर2 घंटे पहले
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डबरियां बारिश के फौरन बाद ही सूख रहीं, सिंचाई में होगी दिक्कत।
गांव-गांव में किसानों की जमीनों में मनरेगा के तहत लाखों खर्च कर डबरियां बनाई गई हैं। योजना के तहत बनाई डबरियों में बारिश के फौरन बाद ही पानी नहीं रहता। डबरियों में पानी नहीं रहने से खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती। इस वर्ष अच्छी बारिश हुई है बावजूद इसके अधिकांश डबरियां सूखी पड़ी हैं। 2006 से मनरेगा योजना शुरू हुई तब से किसानों के खेतों में डबरी खनन कराया जा रहा है। इस वर्ष जून से अक्टूबर माह तक जमकर बारिश हुई लेकिन इसके बावजूद डबरियां सूखी पड़ी है।
ग्राम पंचायत बारदेवरी में 22 डबरियों का खनन किसानों ने कराया है। अभी 10 डबरी में बिल्कुल भी पानी नही हैं। शेष डबरियां भी सूखनेके कगार पर है। कुछ किसान पंप से डबरी में पानी भर रहे हैं। गांव के सुरेश नेताम के खेत में 2.79 लाख की राशि से डबरी निर्माण 2019 में कराया गया था। गर्मी लगने से डबरी सूख जाती है। गांव के संजय उइके की डबरी सूखने के कगार पर है। कुछ डबरियां तो नदी तट में है वे भी सूखने के कगार पर हैं। संजय उइके ने कहा जरूरत के सयम सिंचाई नहीं कर पाते क्योंकि डबरी सूख जाती है।
चैनसिंग दर्रो, सामसाय उइके, भानु नाग की डबरी में अभी पानी है लेकिन किसानों का कहना है एक माह बाद डबरी सूख जाएगी। इधर, ग्राम घोटिया में 15 डबरी हैं, जिसमें से 6 डबरी में पानी नहीं है। ग्राम पंचायत गढ़पिछवाड़ी में 25 डबरी है जिसमे से सिर्फ 10 डबरी में ही थोड़ा बहुत पानी है। गढ़पिछवाड़ी के ईश्वर सलाम ने कहा कुछ डबरी में अभी से पानी सूख चुका है। कोकपुर में 10 डबरी है जिसमें से 7 डबरी में पानी ही नहीं है।
जानिए, इन कारणों से बहुत जल्दी सूख जाती हैं डबरियां
- डबरी निर्माण के दौरान पर्याप्त गहराई न होने से।
- मुरमी व पथरीली जमीन में पानी नहीं रुकता, बिना पड़ताल के ऐसी जमीनों में डबरियां खोदना।
- डबरी निर्माण में स्थल चयन में तकनीकी पक्ष का ध्यान नहीं रखना।
- डबरी में पानी की आवक न होना।
काली मिट्टी वाली जगहों पर खोदाई में सफल होती है डबरी
सिंगारभाठ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. बीरबल साहू ने कहा मुरमी व पथरीली जमीन में पानीं नहीं रुकता। डबरी केवल काली मिट्टी वाली जगह में ही सफल होती है। डबरी निर्माण ऐसे स्थान पर करना चाहिए, जहां पानी की आवक हो और गहराई भी पर्याप्त रहना चाहिए।
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