श्योपुर3 घंटे पहलेलेखक: अनिल शर्मा
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क्राइम से संबंधित सीरियल्स अाैर फिल्माें में अापने देखा हाेगा कि अज्ञात शव मिलने पर फॉरेंसिक जांच की सहायता से ही केस काे सुलझाया जाता है। वन्यजीव के मामले में भी एेसा ही हाेता है। इसमें भी यदि कहीं किसी जानवर का शिकार हुअा है, तो सबसे पहली चुनाैती उस शव की प्रजाति का पता करना हाेती है, जिसका पता बाल, हड्डी, नाखून अाैर खाल अादि का सैंपल फॉरेंसिक ढंग से लेकर उसकी जांच कराकर आसानी से लगाया जा सकता है।
यह कहना है वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट की फॉरेंसिक एक्सपर्ट सी सम्युक्ता का। कूनाे नेशनल पार्क के 120 फॉरेस्ट गार्ड अाैर अफसरों काे फॉरेंसिक जांच का प्रशिक्षण देने के लिए मुंबई से अाईं सी सम्युक्ता से दैनिक भास्कर ने विशेष बातचीत की। उन्होंने बताया कि वन्यजीव पार्क में शिकार अाैर शिकार से जुड़े अपराध ज्यादातर हाेते हैं। इनकी जांच मुख्यत: तीन स्तर से हाेती है। पहली हाेती है शिकार हुए जीव की प्रजाति का पता करना क्याेंकि उसके बाद ही केस दर्ज किया जा सकेगा अाैर उस प्रजाति अाधारित ही धाराएं लगाई जाएंगी, ताकि न्यायालय में वह स्टेंड रह सकें। दूसरे नंबर पर अाता है क्राइम सीन।
इसमें जाे भी अपराधी है, उससे जुड़े सभी साक्ष्याें काे सही से जुटाना हाेता है, फिर जांच रिपाेर्ट्स के साथ उस अपराधी का कनेक्शन दिखाना हाेता है, ताकि न्यायालय में अापका केस मजबूत हाे सके। तीसरा हाेता है अपराध का स्थल, जाे पार्क के अंदर है या बाहर है, उसकाे देखना। फिर उसी काे अाधार रखकर पूरा केस तैयार करना। पूरे प्रशिक्षण में इन तीन बिंदु अाधारित बातें विस्तृत रूप में बताई जाएंगी अाैर उनकाे केस काे डिटेक्ट करना भी बताया जाएगा।
कूनाे में कुछ माह पहले ही शिकारियाें ने मारा था तेंदुअा
कूनाे नेशनल पार्क में शिकारी सक्रिय रहकर शिकार करते रहे हैं। चीता अाने के बाद दाे माह कूनाे में रही अत्यधिक सक्रियता की अवधि काे छाेड़ दें ताे इससे पूर्व तक कूनाे पार्क के अासपास शिकार हाेते रहे हैं। चीता अाने के कुछ माह पूर्व यहां एक तेंदुअा का शिकार हुआ था। हालांकि कूनाे पार्क प्रबंधन ने सभी शिकारियाें काे पकड़ लिया था, लेकिन यह शिकार पार्क प्रबंधन काे चीताें की सुरक्षा काे लेकर विचलित कर गया। यही वजह है कि पार्क प्रबंधन कूनाे की अांतरिक सुरक्षा काे मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने के साथ ही अपराध कायम से बिवेचना अाैर अपराधियाें काे पकड़कर उनकाे सलाखाें के पीछे भेजने तक का प्रशिक्षण ले रही है।
केस दर्ज करने से िववेचना करने तक का प्रशिक्षण ले चुका है वनअमला
कूनाे नेशनल पार्क में चीता अाने के बाद शिकार काे जीराे टाॅलरेंस करना सरकार अाैर प्रबंधन की नीति का हिस्सा है, इसके लिए प्रबंधन सुरक्षा में रिटायर्ड फाेजी लगाने से लेकर डाॅग की तैनाती करने तक कई कदम उठा चुका है। यही नहीं पार्क प्रबंधन पिछले माह पार्क के अंदर या बाहर अपराध हाेने पर उसकी पीअाेअार काटने से लेकर विवेचना करने तक का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है। अपराध जांच का प्रशिक्षण ले चुके कूनाे पार्क के सभी 120 जवान अब फॉरेंसिक जांच का प्रशिक्षण भी प्राप्त करेंगे। यह प्रशिक्षण 9 नवंबर से सेसईपुरा में हाेगा, जाे 11 नवंबर तक चलेगा।
तीन माह से कोई शिकार नहीं हुआ
“यह सच है कि कूनाे पार्क के अासपास शिकारी हैं, जाे मीट के लिए शिकार कर लेते हैं। एक तेंदुअा भी कुछ माह पूर्व मारा गया था, लेकिन पिछले तीन माह से कूनाे पार्क के अंदर ताे दूर, बाहर भी काेई शिकार नहीं हुअा है।”
-पीके वर्मा, डीएफअाे, कूनाे नेशनल पार्क
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