शर्म-अल-शेख (मिस्र), एएनआइ। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति की सराहना की और कहा- भारत में महत्वाकांक्षा का स्तर बेहद ऊंचा है। संयुक्त राष्ट्र के COP27 सम्मेलन में अपने संबोधन में मैक्रों ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा की बात करें, तो भारत में महत्वाकांक्षा का स्तर देखने के लायक है। उन्होंने कहा कि फ्रांस, भारत, दक्षिण अफ्रीका, सेनेगल और इंडोनेशिया गैर-नवीकरणीय से दूर जाने के अथक प्रयास कर रहे हैं, जिनका लाभ मिलते हुए भी दिखाई दे रहा है।
रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान भी दी जाए जलवायु को प्राथमिकता
विश्व के कई प्रमुख नेता संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP27) में जलवायु समस्याओं पर चर्चा करने के लिए मिस्र के शर्म अल-शेख में एकत्र हुए हैं। इसे आमतौर पर 6 नवंबर से 22 नवंबर तक आयोजित होने वाले UNFCCC या COP27 के दलों के सम्मेलन के रूप में जाना जाता है। मैक्रों ने इस मंच पर सभी गहरे समुद्र खनन पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया। इसके साथ ही जोर देकर कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण ऊर्जा और खाद्य संकट के बावजूद जलवायु को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि रूस द्वारा उत्पन्न ऊर्जा खतरे के बीच अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं का त्याग नहीं करेंगे। अन्य देशों को भी अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को बनाए रखना चाहिए।
अर्थव्यवस्थाएं कोयले पर निर्भरता से बाहर निकालें
फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा, ‘अमीर देशों विशेष रूप से फ्रांस सहित यूरोपीय देशों के लिए यह हमारी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हमारी राष्ट्रीय रणनीतियों का निर्माण हो रहा है। हम रूस से ऊर्जा के खतरे के तहत अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं का त्याग नहीं करेंगे। जलवायु की लड़ाई जैव विविधता की लड़ाई से अविभाज्य है। ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को कोयले पर निर्भरता से बाहर निकालना चाहिए और उभरते देशों को जल्द से जल्द बदलाव करने में मदद करनी चाहिए।
Edited By: Tilakraj
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