11 नवंबर से लगेगा कृषि मेला
मुरैना, . मुरैना में आयोजित कृषि मेले की तैयारियां व्यापक पैमाने पर चल रहीं हैं. इस मेले से अंचल के हजारों किसानों को आधुनिक खेती के गुर विशेषज्ञों द्वारा सिखाए जायेंगे. इसके अलावा मेले में प्रत्येक दिन ऐसे किसानों द्वारा व्याख्यान दिए जायेंगे जो बड़े पैकेज वाली नौकरी छोड़कर अब लाखों करोड़ों रुपये उन्नत कृषि से कमा रहे हैं. यह कृषि मेला केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के विशेष प्रयासों से आयोजित हो रहा है. इस मेले की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं. केन्द्र व राज्य सरकार (State government) के कृषि मंत्रालय के बड़े अधिकारी इस पर निगरानी रखे हुए हैं.
मुरैना में आगामी 11 नवंबर को आयोजित तीन दिवसीय किसान मेला की तैयारियां व्यापक पैमाने पर चल रहीं हैं. मेले में लगभग 35 हजार किसानों को लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. मुरैना जिले के अलावा श्योपुर, भिण्ड, ग्वालियर (Gwalior) एवं शिवपुरी (Shivpuri)जिले के किसान मेले में शिरकत करेंगे. किसानों को कृषि मेले में लेकर आने सहित अन्य व्यवस्थाएं प्रशासन कर रहा है. लेकिन किसानों को वास्तविक तौर पर इस मेले का लाभ मिले इसके लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर व्यक्तिगत स्तर पर काफी प्रयास कर रहे हैं. उनकी व्यक्तिगत रुचि का ही परिणाम हैं कि यहां तीनों दिन देश के प्रख्यात कृषि विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे. फिर चाहे वह विशेषज्ञ कृषि क्षेत्र के हों अथवा पशुपालन व जैविक खेती के. विशेषज्ञ किसानों को खेती व पशुपालन में अधिक से अधिक लाभ कैसे प्राप्त किया जा सकता है, इसकी समझाइश देंगे.
बताया जाता है कि 11 नवंबर को भैंस पालन की उन्नत तकनीकी के लिये निदेशक केन्द्रीय भैंस पालन अनुसंधान संस्थान हिसार, दूध उत्पादन के लिये पशुपालन की पद्धतियां, पशुप्रबंधन के लिये डॉ एस एस लठवाल एनडीआरआई करनाल, पशुओं के लिये वर्ष भर चारा तकनीकी के लिये डॉ पुरूषोत्तम शर्मा प्रधान वैज्ञानिक आईसीएआरआई, जीएफआरआई झांसी, एलगी फार्मिंग एवं उपयोग के लिये डॉ आर के एस तोमर प्रधान वैज्ञानिक केवीके दतिया किसानों से रूबरू होंगे. इसके अलावा उसी दिन शाम 4.30 से 5.00 बजे तक समस्याओं के प्रश्नों के जवाब समस्त वैज्ञानिकों द्वारा दिये जायेंगे.
उधर दूसरे दिन सरसों की फसल आधारित प्रणाली से अधिक उत्पादन एवं लाभ की तकनीकों के लिये डॉ पीके राय निदेशक राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान भरतपुर (Bharatpur) , चंबल क्षेत्र में उत्पादित होने वाली खाद्यान्न फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीकी के लिये डॉ जीपी सिंह गेंहू एवं जौ निदेशालय करनाल, चंबल क्षेत्र के लघु सीमांत कृषकों हेतु एकीकृत प्रणालियों से व्यवसाय एवं लाभ के लिये डॉ ए एस पवार निदेशक निदेशालय मोदीपुरम, धान, गेंहू फसल अवशेषों का प्रबंधन यंत्र, डिकम्पोजर के लिये डॉ एस एस सिंह निदेशक केन्द्रीय कृषि विश्वद्यालय झांसी मौजूद रहेंगे. इसके अलावा शाम 4.30 से 5.00 बजे तक समस्त प्रश्नों का समाधान वैज्ञानिकों द्वारा किया जायेगा.
इसके अलावा मधुमक्खी पालन, शहद उत्पादन की तकनीकी के लिये डॉ अशोक यादव, कृषि वैज्ञानिक मुरैना, चंबल संभाग में मोती की खेती की संभावनाओं के लिये निदेशक सेन्ट्रल इंस्टीटयूट ऑॅफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर भुवनेश्वर (Bhubaneswar) , प्राकृतिक खेती के अंतर्गत सब्जी एवं विदेशी सब्जी के लिये डॉ बी एस तोमर सब्जी विभाग आईएआरआई नई दिल्ली (New Delhi), अमरूद उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीकों के लिये केन्द्रीय उद्यानिकी सब ट्रोपिकल संस्थान लखनऊ (Lucknow) किसानों को प्रशिक्षण देंगे. सांय 4.30 से 5.00 बजे तक कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब दिये जायेंगे.
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