गुनाएक घंटा पहले
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जिस मनुष्य के हृदय में आठ चीजें रहती है तब ही हम ईश्वर के निकट पहुंच सकते हैं। आसुरी स्वभाव वाले व्यक्ति स्वयं का हित देखते है तथा दूसरों को दुख पहुंचाकर सुख का अनुभव करते है। यह बात पं. मनोज शर्मा ने स्वाध्याय में सावित्री शर्मा के स्वनिवास गणेश भवन द्वारकाधीश मंदिर के पास व्यक्त किए।
पं. रामकुमार तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंसा का सहारा धर्म की रक्षा के लिए करना न्यायोचित है, विप्र का धर्म ब्राह्मण कर्म करना तथा क्षत्रिय का धर्म समाज की रक्षा करना हो।स्वाध्याय में गीताजी का पूजन सावित्री शर्मा ने किया। गणेश गौरी गुरू वंदना अंकित पांडेय ने सुनाई। सुभाषित सुनाते हुए रामसिंह रघुवंशी ने बताया कि मनुष्य तो हर घर मे जन्म लेता है, जबकि मनुष्यता कुछ ही घरों में पाई जाती है, अमृतवचन में मनोज शर्मा ने कहा कभी भी किसी को ऐसी बात मत कहो जिससे विरोधी के सामने आपका सिर शर्म है झुक जाए।
अधर्म का नाश एवं धर्म की हमेशा जीत होती है। प्रेरक प्रसंग में केशव बैरागी ने बताया कि पेड़ कभी भी फल नहीं खाता तथा नदी कभी भी पानी नहीं पीती राम एवं कृष्ण ने धर्म की रक्षा एवं अधर्मियों के नाश के लिए राजपाट छोड़ दिया था। अध्याय सोलह के प्रथम ग्यारह श्लोक का स्वाध्याय में पाठ किया। स्वाध्याय में राघव शर्मा, नीता शर्मा, सरोज शर्मा, शशि शर्मा, आनंद भदौरिया, मनोज तिवारी, उपस्थित रहे।
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