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- There Is A Directorate But Not A Director, The Department Running From The Secretariat, After 2 Months It Was Found Out How Serious Lumpi Was
जयपुर43 मिनट पहलेलेखक: आलोक खण्डेलवाल
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न डीपीसी हो रही न ही बीमारियों पर कोई नियंत्रण।
जीडीपी में 10 प्रतिशत का योगदान देने वाले पशुपालन व्यवसाय से जुड़ा पशुपालन विभाग कुछ सालाें से खुद के भराेसे चल रहा है। पशुओं में लंपी जैसी बीमारी झेल रहा विभाग न उनकी नियमित बीमारियों पर भी नियंत्रण का काम भी नियंत्रण में नहीं रख पा रहा। हालात ये हैं कि विभाग के नियमित काम भी प्रभावित हो रहे हैं। कारण, विभाग के सबसे बड़े डायरेक्टर के पद की जिम्मेदारी किसी के पास नहीं है। कुछ समय के लिए विभाग में उपसचिव को जिम्मेदारी दी भी गई तो वह केवल कार्यकारी ही थी।
किसी आरएएस को यह जिम्मेदारी भी नियमों के खिलाफ दी गई थी। आज स्थिति यह है कि विभाग का पूरा डायरेक्टरेट बना हुआ है, लेकिन चला उसे सचिवालय रहा है। असर भी देखने काे मिला जबविभाग के अधिकारी और कर्मचारियों का कहना है कि विभाग के हर छोटे-बड़े काम के लिए सचिवालय में चक्कर काटने पड़ रहे हैं। ऐसे में जिस काम में कुछ क्षण लगते हैं, वे काम भी कई-कई दिन पेंडिंग हो रहे हैं।
आईएएस या तकनीकी अधिकारी बन सकता है डायरेक्टर
एनिमल हसबैंडरी स्टेट सर्विस रूल में प्रावधान है कि या तो आईएएस या विभाग के तकनीकी अधिकारी डायरेक्ट बनाए जा सकते हैं। हालांकि 1992 तक ही आईएएस अधिकारी डायरेक्टर रहे, लेकिन उसके बाद से तकनीकी अधिकारी को ही डायरेक्टर बनाया गया।
असल में पशुपालन विभाग में पशु चिकित्सा अधिकारी को ही ही डायरेक्टर बनाया जाता रहा है, ताकि वह विभाग से जुड़े सभी तकनीकी मामलों को देखकर उन पर फैसला कर सके। अब दिसंबर 2019 से यहां कोई पूर्णकालिक डायरेक्टर नहीं है। ऐसे में विभाग के तकनीकी कामों के अतिरिक्त अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रशासनिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
एक साल तक रही बिना काम के डायरेक्टर की कुर्सी
डायरेक्टरेट के अंतिम पूर्णकालिक डायरेक्टर डॉ. शैलेष शर्मा थे। इससे पहले डॉ. अजय गुप्ता के रिटायर होने के बाद डीपीसी के जरिए डॉ. लक्ष्मण राठौड़ को डायरेक्टर के पद के लिए चयन किया गया। विभाग के ही डॉ. महेश कटारा कोर्ट चले गए। कोर्ट ने डॉ. राठौड़ की डायरेक्टर की पावर सीज कर दी। इसके बाद एक साल तक राठौड़ कुर्सी पर तो बैठे, लेकिन बिना काम किए। फिर वे सेवानिवृत्त हो गए। 6 साल से किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की पदोन्नति नहीं हुई।
निदेशक पद पर सेवा नियमों में पशुपालन विभाग से पदोन्नत अफसर को लगाने का प्रावधान, लेकिन निचले पदों पर पदोन्नति नहीं होने से डायरेक्टर स्तर तक कोई पहुंच ही नहीं पा रहा। हालात ये है कि कई अतिरिक्त निदेशक, उप निदेशक व संयुक्त निदेशक का कार्यभार भी अन्य अफसरों को दिया गया है।
सरकार को जल्द ही डीपीसी करनी चाहिए, जिससे निचले स्तर के अधिकारी-कर्मचारियों का प्रमोशन हो। इसी प्रमोशन से डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर के पद भरे जा सकेंगे। – डॉ. रजनीश गुप्ता, पशु चिकित्सक संघ राजस्थान
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