उत्तराखंड में फिलहाल 918 रिकॉर्ड मामलों में से 912 में चार्जशीट हो चुकी है. पर्यावरणीय अपराधों में केवल 4 लोगों को ही अब तक दोषी ठहराया गया है. वहीं, कोर्ट से कोई भी व्यक्ति अब तक बरी नहीं हुआ है.
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उत्तराखंड पर्यावरण के लिहाज से बेहद धनी राज्य है, लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में पर्यावरणीय अपराधों के ग्राफ ने उत्तराखंड की चिंता बढ़ दी है. दरअसल, हिमालय राज्यों की तुलना में उत्तराखंड पर्यावरणीय अपराधों में सबसे ऊपर है. उत्तराखंड हिमालय राज्यों में एक ऐसा राज्य है, जहां पर पर्यावरण अपराध बड़े पैमाने पर हो रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि पर्यावरण अपराधों को लेकर चार्जशीट भी दाखिल हो रही है, लेकिन सदा के मामले में सबसे फिसड्डी साबित हो रहा है.
वहीं, पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए उत्तराखंड में जो स्थितियां मौजूद है, उसकी कीमत देश और दुनिया अच्छी तरह से जानती है. वैसे इसी स्वस्थ पर्यावरणीय माहौल के बीच कुछ आंकड़े ऐसे भी हैं, जो काफी रोचक होने के साथ प्रदेश के लिए चिंता बढ़ाने वाले भी हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में उत्तराखंड पर्यावरणीय अपराधों के लिहाज से हिमालयी राज्यों में पहले पायदान पर है. वहीं, देश में छठवें स्थान पर है. उत्तराखंड में साल 2021 में 912, 2020 में 1271 और 2019 में 96 मामले दर्ज हुए थे. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 2021 में 64471, 2020 में 61767 और 2019 में 34676 रहा. हिमाचल में 2021 में 163 मामले, 2020 में 198 और 2019 में मात्र 188 मामले दर्ज किए गए थे. औसतन देश में पर्यावरणीय अपराध 4.7 फीसदी होते हैं, जबकि उत्तराखंड का औसत इसका दोगुना 8 फीसदी है.
918 में से 912 पर ही चार्जशीट, 4 दोषी ठहराए गए
उत्तराखंड में फिलहाल 918 रिकॉर्ड मामलों में से 912 में चार्जशीट हो चुकी है. पर्यावरणीय अपराधों में केवल 4 लोगों को ही अब तक दोषी ठहराया गया है. वहीं, कोर्ट से कोई भी व्यक्ति अब तक बरी नहीं हुआ है. सबसे ज्यादा मामले सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट में करीब 850 मामले दर्ज है. फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत 53 मामले दर्ज हुए. वहीं, वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत भी 9 मामले राज्य में दर्ज किए गए. एयर एंड वाटर पॉल्यूशन कंट्रोल एक्ट और नोटिस पॉल्यूशन एक्ट को भी इसमें रिकॉर्ड किया गया है.
नियम और कानूनों की उड़ी धज्जियां
ये आंकड़े पर्यावरणीय अपराधों से जुड़े हैं, जो उत्तराखंड को बहुमूल्य वन संपदा वाला राज्य होने के साथ यहां नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है. दरअसल,एनसीआरबी की तरफ से साल 2021 तक की, जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें पर्यावरणीय अपराधों में उत्तराखंड को काफी संवेदनशील दिखाया गया है. जाहिर है कि इतनी बड़ी संपदा के बीच आपराधिक मामलों का अधिक संख्या में दर्ज किया जाना स्वाभाविक है. इसी बात को उत्तराखंड पुलिस महकमा भी बयां कर रहा है. उत्तराखंड पुलिस विभाग में अपर पुलिस महानिदेशक वी मुरुगेशन बताते हैं कि पर्यावरणीय अपराध कई तरह के होते हैं. जिसमें वाइल्डलाइफ की तस्करी के साथ ही टोबैको और स्मोकिंग प्रोडक्ट एक्ट के तहत पुलिस की अहम भूमिका होती है. जिसके लिए समय-समय पर पुलिस अधिकारियों को निर्देशित भी किया जाता है. पुलिस विभाग की सक्रियता अधिक होने के कारण ऐसे मामलों में अपराधिक घटनाएं अधिक संख्या में रजिस्टर्ड होती है
पिछले 5 सालों में 9162 आग की घटनाएं
पर्यावरणीय अपराधों में उन सभी श्रेणियों को शामिल किया जाता है, जिससे पर्यावरण पर सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभाव पड़ता है. प्रदेश में जंगलों की आग एक बड़ी वजह है. उत्तराखंड में पिछले 5 सालों में 9162 आग लगने की घटनाएं हुई है. वहीं, पिछले 5 सालों में जंगलों की आग की वजह से 14,634.23 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए. इन मामलों में भी जानबूझकर आग लगाने वाले लोगों पर कार्रवाई की जाती है. पर्यावरणीय अपराधों को लेकर सामने आए आंकड़ों को लेकर अध्ययन करने वाले जानकार चिंता जाहिर करते हैं. पर्यावरण विशेषज्ञ एस पी सती बताते हैं कि पर्यावरणीय अपराध को लेकर यह आंकड़े चिंताजनक हैं. इसके लिए कठोर कदम उठाए जाने चाहिए. पर्यावरण को नुकसान की एक बड़ी वजह विकास कार्यों को लेकर भारी दबाव है.
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