दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा एंटरप्रेन्योरशिप लाउंज सीजन 5 के तहत समृद्धि, नानपुरा, सूरत में ‘आईटी उद्यमियों’ पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें धिवाईस के सीईओ विशाल विरानी और ईजी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के सह-संस्थापक विपुल कपूर ने आईटी क्षेत्र में सफल होने के लिए उद्यमियों को महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया।
सफल होने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है तभी व्यक्ति सफल होता है
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला ने कहा कि जब कोई विचार दिमाग में आता है और उसे लागू किया जाता है, तो वह विचार व्यक्ति को एक स्तर पर ले जाता है। जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है तभी व्यक्ति सफल होता है और प्रसिद्धि पाता है। इसलिए, उन्होंने युवा उद्यमियों को उच्च लक्ष्य रखने की सलाह दी। लक्ष्य ऊंचा होगा तो सफलता भी ऊंची होगी।
बेंग्लौर में बड़ी कंपनियों में उच्च वेतन वाली नोकरी के अवसर छोडकर सूरत में कंपनी शुरू की
विपुल कपूर ने कहा कि उन्होंने जीवन में जो भी लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे हासिल किया है। सूरत के वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में पढ़ रहे थे और स्वर्ण पदक विजेता बनना चाहते थे, उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की और स्वर्ण पदक विजेता बने। आईटी में पढ़ाई करने के बाद, छह महीने वडोदरा में काम किया लेकिन कुछ कारणों से सूरत वापस आ गया। उस समय बेंग्लौर में बड़ी कंपनियों में उच्च वेतन वाली नौकरी के बहुत अवसर थे, लेकिन सूरत में आईटी क्षेत्र में कुछ करने की भावना ने मुझे अपनी खुद की कंपनी विकसित करने के लिए प्रेरित किया और मैं आगे बढ़ गया।
युवाओं को आईटी क्षेत्र में सफल उद्यमियों की सफलता की कहानियां पेश कि गयी
आईटी सेक्टर में कुछ प्लेटफॉर्म पर अफरातफरी का माहौल रहा, लेकिन आगे बढ़ने की चाहत ने कड़ी मेहनत से सफलता दिलाई। उन्होंने पार्टनर हितेश के साथ मिलकर एक आईटी कंपनी बनाई और उसे नई ऊंचाईयों पर ले गए। कंपनी में संस्थापक, सह-संस्थापक, सीईओ, कर्मचारियों और ग्राहकों पर विचार किया जाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, कोई भी जीवन में कहीं से भी और कभी भी शुरुआत कर सकता है। उनका मानना है कि पूरी दुनिया गोल है और इसमें कुछ भी असंभव नहीं है। इसलिए, उन्होंने पांच साल में आईटी क्षेत्र में ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद कंपनी छोड़ने और नए सिरे से शुरुआत करने का फैसला किया है। उन्होंने अपना अनुभव साझा किया और विदेशी आईटी कंपनियों के साथ साझेदारी करते हुए सब कुछ जांच कर आगे बढ़ने की सलाह दी।
नया उद्यम शुरू करने की सोच रहे हैं, तो आपको पहले नया उद्यम क्यों करें? यह स्पष्ट होना चाहिए
विशाल विरानी ने कहा कि पहले तो उन्होंने डॉक्टर बनने के बारे में सोचा। फिर मैकेनिकल इंजीनियर और गोल्ड मेडलिस्ट बनने का ख्याल नहीं आया। इसलिए यदि आप आईटी क्षेत्र या जीवन में किसी अन्य क्षेत्र में एक नया उद्यम शुरू करने की सोच रहे हैं, तो आपको पहले स्पष्ट ‘क्यों’ होना चाहिए। यानी नया उद्यम क्यों करें? यह स्पष्ट होना चाहिए। ‘क्यों’ की सफाई के बाद उसका प्रभाव, उसकी वापसी और गलत दिशा में प्रयास न करना? आपको इसके बारे में ध्यान से सोचना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। जब उन्होंने एक आईटी कंपनी शुरू की, तो उनका उद्देश्य सिर्फ सर्वाईव करना जीवित रहना था। कंपनी के विजन और मिशन के बारे में कोई विचार नहीं था।
तकनीकी रूप से तरक्की करने पर ही आपको फंड मिल सकता है
लेकिन किसी कंपनी या स्टार्ट-अप के लिए फंड हासिल करने के लिए तकनीकी रूप से ग्रोथ जरूरी है। तकनीकी रूप से तरक्की करने पर ही आपको फंड मिल सकता है। स्किल के आधार पर बड़ा फंड मिलना मुश्किल है। कई स्टार्ट-अप के पास अच्छे विचार हैं लेकिन सफल होने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के समर्थन की आवश्यकता है। जब उन्होंने शुरुआत की तो उनके लिए धन प्राप्त करना भी बहुत मुश्किल था। लेकिन वह उस व्यक्ति को कभी नहीं भूले जिसने उसे धन दिया था। आज उनकी कंपनी 80 करोड़ रुपये तक का फंड जुटाने पहुंच गई है और कई नामी कारोबारियों से फंड जुटा चुकी है।
चैंबर के उपाध्यक्ष रमेश वघासिया ने आभार व्यक्त किया
चैंबर के ग्रुप चेयरमैन कमलेश गजेरा ने कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की। इस अवसर पर चैंबर की उद्यमिता विकास समिति के अध्यक्ष संजय पंजाबी ने भाषण दिया और सह-अध्यक्ष डॉ. राकेश दोशी ने कार्यक्रम का सार प्रस्तुत किया। पूरे कार्यक्रम का संचालन समिति सदस्य चेतन पटेल ने किया। कार्यक्रम में दोनों विशेषज्ञों ने आईटी उद्यमियों के विभिन्न सवालों के जवाब दिए। चैंबर के उपाध्यक्ष रमेश वघासिया ने सर्वे का आभार व्यक्त कर कार्यक्रम का समापन किया।
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