मनमोहन सेजू
बाड़मेर. कहते है फूलों से हर कोई प्यार करता है, कांटों से नहीं. पाकिस्तान की सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर जिले में कांटों का ऐसा पार्क है जिसे देखते ही उससे आपको प्यार हो जाएगा. बाड़मेर वन विभाग के तत्कालीन उपवन सरंक्षक विक्रम केसरी प्रधान की सोच से धरातल पर आया कैक्टस पार्क आज हजारों लोगों की पहली पसंद बना हुआ है.
बाड़मेर का रेत और कांटों से बरसों पुराना नाता है. अब इन्हीं कांटों ने इस रेतीली जमीन पर नया संसार रचा है. यहां के हिल्ली स्मृति उद्यान में बने कैक्टस गार्डन में कांटों की दुनिया फूलों की रंगत को भी मात दे रही है. प्रदेश में अपनी तरह के इस पहले कैक्टस पार्क में 200 से अधिक प्रजातियों के 700 पौधे लगाए गए हैं. बाड़मेर वन विभाग के तत्कालीन उपवन सरंक्षक विक्रम केसरी प्रधान की परिकल्पना थी कि कांटों की रंगीन दुनिया में कैक्टस पार्क विकसित किया जाए. यही वजह है कि वर्ष 2018 में इस पार्क को शुरू किया गया था.
मरुधरा को सूखे और कांटों वाली जमीन से नाम से पहचाना जाता है, लेकिन अब उसकी यही पहचान सतरंगी रंगों से लबरेज नजर आ रही है. यहां सैकड़ों की तादाद में एक साथ देशी और विदेशी कैक्टस के पौधे लगाए गए हैं. प्रतिदिन सैकड़ों लोग इस पार्क को अचंभे के साथ देखते हैं. देश-विदेश के सैकड़ों प्रजातियों के कैक्टस न केवल बच्चों के लिए, बल्कि बड़ों के लिए भी अपने अनूठे संसार की वजह से खास नजर आता है.
वर्ष 2018 से वन विभाग इस पार्क को विकसित करने में जुटा हुआ है. वन विभाग के सहायक उपवन सरंक्षक दीपक कुमार के मुताबिक अब इसको आमजन के लिए खोल दिया गया है. यहां से विभिन्न प्रजातियों को लोगों तक भी पहुंचाया जा रहा है जिससे लोग उसे अपने घरों में आसानी से लगा सकते हैं. तत्कालीन उपवन सरंक्षक की मेहनत से यहां कैक्टस की 200 प्रजातियां विकसित हुई हैं.
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Tags: Barmer news, Plantation, Rajasthan news in hindi
FIRST PUBLISHED : November 11, 2022, 18:11 IST
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