टीम जागरण, देहरादून : Uttarakhandi Song : उत्तराखंड में कुमाऊं और गढ़वाल की भव्य संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। उत्तराखंडी गीतों के प्रति भी हर पहाड़ी के दिल में यह लगाव दिखाई देता है। इतना ही नहीं इन पहाड़ी लोक गीतों के सुर इतने मीठे और आकर्षक होते हैं कि इसे सुनने वाला हर कोई झूमने लगता है।
आज हम आपके एक ऐसे ही लोक गीत के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि हर उत्तराखंड की दिल में बसता है। यह गीत उसे अपने पहाड़ की याद दिलाता है और अपनी संस्कृति से भी जोड़ता है। इतना ही नहीं इस पहाड़ी गीत की धुन पर 2009 में बने विज्ञापन में सिने स्टार आमिर खान भी झूम चुके हैं।
हर उत्तराखंडी की जुबां पर बेडु पाको बारामासा गीत…
जी हां, हम बात कर रहे हैं हर उत्तराखंडी की जुबां पर रहने वाला बेडु पाको बारामासा गीत की। जो घर में होने वाले समारोह की शान है। जिसके बजने के बाद बरबस ही पैर थिरकने लगते हैं।
- बेडु पाको बारोमासा गीत के रचियता स्व. विजेंद्र लाल शाह और स्व. मोहन उप्रेती हैं।
- जानकारों के मुताबिक इस गीत को पहली बार वर्ष 1952 में राजकीय इंटर कालेज नैनीताल में गाया गया था।
- 1955 में जब रूस के दो शीर्ष नेता ख्रुश्चेव व बुल्गानिन भारत आये तो अन्तर्राष्ट्रीय समारोह में यह गीत गाया गया।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को यह गीत काफी पसंद आया, इस तरह गीत को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान मिली।
- बेडु पाको बारोमासा गीत भारत के पहले प्रधानमंत्री स्व जवाहर लाल नेहरू के पसंदीदा गीतों में से एक था।
- अल्मोड़ा के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस गीत की रचना यहीं हुई है।
- बताते हैं कि विजेंद्र लाल शाह अल्मोड़ा में जाखनदेवी के पास एक चाय की दुकान पर यह गीत गुन-गुना रहे थे।
- तभी वहां मोहन उप्रेती पहुंचे और उन्होंने गीत को पूरा करने का आग्रह किया।
- यह कुमाऊंनी लोकगीत था, लेकिन गढ़वाल में यह गीत काफी प्रसिद्ध हुआ।
- लोकगायक स्व. गोपालबाबू गोस्वामी ने जब इसे अपनी आवाज दी तो यह गीत और लोकप्रिय हो गया।
गीत के बोल…
- बेडू पाको बारो मासा ,नरेण काफल पाको चैत मेरी छैला।
- बेडू पाको बारो मासा , ओ नरेण काफल पाको चैत मेरी छैला।।
- रुणा भूणा दिन आया , नरेण को जा मेरी मैता ,मेरी छैला।
- अल्मोड़े की नंदा देवी , नरेण फुल चढूनी पाती ,मेरी छैला।
- जैसी तीले बोली मारी , ओह नरेण धन्य मेरी छाती मेरी छैला।
- बेडू पाको बारो मासा , ओ नरेण काफल पाको चैत मेरी छैला।
- नैनीताल की नंदा देवी , नरेण फुल चढूनी पाती ,मेरी छैला।
- बेडू पाको बारो मासा , ओ नरेण काफल पाको चैत मेरी छैला।
- तेरी खुटी को कान बूड़ो , नरेण मेरी खुटी में पीड़ा ,मेरी छैला।
- बेडू पाको बारो मासा , ओ नरेण काफल पाको चैत मेरी छैला।
- अल्मोड़े की लाल बजारा ,-2, नरेण पाथरे की सीणी मेरी छैला।
- आपु खानी पान सुपारी ,-2, ओ नरेण मैकू दीनी बीड़ी मेरी छैला।
- बेडू पाको बारो मासा , ओ नरेण काफल पाको चैत मेरी छैला।
- श्री बिजेंद्र लाल शाह ,-2 यो तनोरो गीत मेरी छैला।
- बेडू पाको बारो मासा , ओ नरेण काफल पाको चैत मेरी छैला।
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इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर छाया बेडु पाको बारामासा
वहीं हर उत्तराखंडी की जुबां पर रहने वाला बेडु पाको बारामासा गीत को पहली बार गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी लोकगायकों ने एक साथ आवाज दी गई है। इसमें कुछ नया अंतरा जोड़ा गया है।
राज्य स्थापना दिवस 2022 पर रिलीज हुआ यह गीत इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर छा गया है। गीत सुनने में कर्णप्रिय व देखने में मनमोहक लग रहा है। लोग विभिन्न माध्यमों से इस गीत को खूब सराहा रहे हैं।
यह गीत अब चांदनी इंटरप्राइजेज की ओर से यह गीत तैयार किया गया है। इसमें पहली बार उत्तराखंड की वादियां, गढ़वाल राइफल बैंड की प्रस्तुति, सांस्कृतिक व पारंपरिक झलक देखने को मिल रही है।
लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने दी है आवाज
खास बात यह है कि गीत को लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, नैननाथ रावल, पद्मश्री डा. प्रीतम भरतवाण, बालीवुड अभिनेता हेमंत पांडे, नवीन टोलिया, पंकज पांडे, किशन महिपाल, मीना राणा, कल्पना चौहान, सुरेश प्रसाद सुरीला, गजेंद्र राणा, प्रकाश रावत, रजनीकांत सेमवाल, अमित सागर, गोविंद डिगरी, हेमा ध्यानी, इंदर आर्य, रेशमा शाह, पंकज पांडे, चंद्रप्रकाश समेत कई हस्तियों ने आवाज दी है।
पद्मश्री डा. प्रीतम भरतवाण का कहना है कि बुजुर्ग से लेकर युवा तक आज भी इस गीत को पसंद करते हैं। अलग-अलग लोकगायकों की आवाज में यह गीत काफी पसंद आएगा। लोकगायक किशन महिपाल का कहना है कि पहली बार ऐसा गीत प्रस्तुत किया गया, जिसे गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनसारी लोकगायकों ने एक साथ आवाज दी है।
Photo : wikipedia
Edited By: Nirmala Bohra
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