बांदा, अमृत विचार। प्रदेश की योगी सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और गुणवत्तापरक शिक्षण कार्य को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा से जोड़ने को स्कूलों में कंप्यूटर मुहैया कराने से लेकर मिशन कायाकल्प के तहत स्कूलों की व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने का काम हो रहा है, लेकिन यहां तैनात जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अपना कार्यालय आवास से संचालित कर रही हैं। आवास में ही शिक्षकों का जमावड़ा लग रहा है। खुलेआम शिक्षकों के निलंबन और बहाली का खेल चल रहा है।
जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित करीब दो हजार प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कहीं शिक्षकों का टोटा है तो कहीं मूलभूत सुविधाओं का। आलम यह है कि जिले में जहां दर्जनभर से अधिक विद्यालय बंद पड़े हैं और वहां के बच्चे शिक्षा पाने से वंचित हैं, वहीं कई स्कूलों में छात्रों के सापेक्ष अधिक शिक्षक भरे पड़े हैं।
वहीं दूसरी ओर कई विद्यालय ऐसे भी हैं, जहां मात्र एक शिक्षक ही पूरे स्कूल का काम संभाले हुए है, लेकिन बीएसए को न तो बंद व एकल स्कूलों को भरने की चिंता है और न ही स्कूलों में हो रहे शिक्षण कार्य की गुणवत्ता आदि से। निलंबन-बहाली का यह खेल शिक्षा विभाग के अफसरों और शिक्षकों की मिलीभगत से चलाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो शिकायत के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने जिले के कई शिक्षकों को निलंबित किया, लेकिन उनके तबादले के बाद तत्काल बीएसए ने शिक्षकों से मिलीभगत करके उन्हें उसी स्कूल में बहाल कर दिया, जहां की शिकायतों के आधार पर उन्हें सस्पेंड किया गया था।
संबंधित गांवों के लोगों का कहना है कि ऐसे निलंबन का क्या फायदा, जब शिकायतों को अनदेखा करके शिक्षकों को उसी स्कूल में बहाल कर दिया जाता है। उधर बीएसए प्रिंसी मौर्य सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कहती हैं कि शिक्षा विभाग के महानिदेशक का स्पष्ट आदेश है कि निलंबित शिक्षकों को यथासंभव उसी स्कूल में बहाल किया जाए, जहां से वह निलंबित हुआ हो। ऐसे में उन्होंने उनके कार्यकाल में निलंबित करीब आधा दर्जन शिक्षकों में से दो शिक्षकों को खंड शिक्षा अधिकारी की आख्या के आधार पर बहाल किया है।
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