एक घंटा पहले
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दुनिया बदल रही है, कस्टमर्स भी बदल रहे हैं। जो कंपनियां इस बदलाव को अपना लेती हैं वही सर्वाइव करती हैं। कई व्यवसाय कहने को सालों साल से चल रहे हैं, लेकिन वहीं खड़े हुए हैं। आगे नहीं बढ़ रहे। किसी तरह बचे हुए हैं। दुनिया में कुछ लीडर्स ऐसे हैं जिन्होंने अपने व्यवसाय को न केवल हर मुश्किल दौर से बाहर निकाला है बल्कि तमाम परेशानियां और दिक्कतें झेलने के बाद भी बुलंदियों तक पहुंचा दिया है। ऐसे लीडर्स से बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
आज मैनेजमेंट मंत्रा में जानिए सफल बिजनेस में बनने का तरीका दुनिया के टॉप लीडर्स के जरिए
पहले कस्टमर बन जाएं –
1. पेप्सिको की सीईओ, इंद्रा नूयी अपने कर्मचारियों को कस्टमर का प्रतिनिधि बनने के लिए नहीं बोलती थीं, वो बोलती थीं कि आप कस्टमर बन जाएं। वो खुद एक टिपिकल कस्टमर की तरह रिटेल स्टोर्स विजिट किया करती थीं और बिजनेस को कंज्यूमर की नजर से देखने की कोशिश करती थीं। सभी को यही करने की सलाह देती थीं।
2. अमेजन किताबों को बेचने में बेहद सफल हुआ था क्योंकि जेफ बेजोस खुद पढ़ने का शौक रखते थे। वो खुद भी किताबों की दुकान पर जाते थे। उन्हें अपने टारगेट यूजर की जरूरतें पता होती थीं।
3. हार्ले डेविडसन एक ऐसे कल्चर को प्रमोट करता है जहां कर्मचारियों को राइडर्स बनने के लिए प्रेरित किया जाता है। अपने कस्टमर को बेहतर जानने-समझने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ता है।
4. नाइकी के फाउंडर बिली बाउडेन और फिल नाइट दोनों ट्रैक एथलीट्स थे। वो प्रोफेशनल एथलीट्स को जूतों से होने वाली परेशानियां और तकलीफ से अच्छी तरह वाकिफ थे।
फिर बारीकियों पर ध्यान दें-
बारीकियों पर ध्यान देकर ही अच्छी और महान चीज के फर्क को समझा जा सकता है। इससे पता चलता है कि कस्टमर आपके प्रोडक्ट और सर्विस के बारे में क्या सोचता या महसूस करता है। डोरीटोज़ की पैकिंग तय करने के दौरान इंद्रा नूयी और उनकी टीम का ध्यान एक बारीक मगर बेहद जरूरी चीज पर गया। उन्होंने देखा कि जब यूजर डोरीटोज के बैग को खत्म करता है तो पुरुष उसे अपने मुंह के अंदर ले जाकर खाली करते हैं जबकि महिलाएं ऐसा करने में हिचक महसूस करती हैं। तो वो कुछ डोरीटोज बैग के अंदर ही छोड़ देती हैं। पेप्सिको की टीम ने यह देखकर बैग को इस तरह रीडिजाइन किया कि सभी लोग बैग के अंदर तक पहुंचकर पूरा बैग खाली कर सकें। उन्होंने ये भी सुनिश्चित किया बैग महिलाओं के पर्स में फिट हो सके।
स्नो व्हाइट एंड सेवेन ड्वॉर्फ बनाते हुए वॉल्ट डिज्नी बेहद छोटी चीजों पर ध्यान देते थे। वह इसलिए कि वो लोगों को अपनी फिल्मों के जरिए बेहद प्रभावशाली, यादगार और अद्भुत अनुभव देना चाहते थे। वो अपनी टीम को बार बार स्नो वाइट , क्वीन और ड्वॉर्फ के कैरेक्टर को बदलने के लिए बोलते थे। वो चाहते थे कि सभी किरदार ज्यादा रियल लगें। वो अपने स्टूडियो में असली जानवरों को लेकर आते थे जिससे कि किरदार बनाने वाले कलाकार उनके हाव भाव बेहतर समझ सकें। वो अपनी टीम को ड्रेस, हेयर और एक्सप्रेशन के मूवमेंट को स्टडी करने के लिए कहते थे। वो अपनी टीम को एक्टिंग करने के लिए बोलते थे कि वो हर सीन को बेहतर समझ सकें और किरदार असली लगें।
सुनें, केवल सुनें-
जेफ्रे काट्जेनबर्ग, ड्रीमवर्क्स के सीईओ अपने कर्मचारियों से ब्रेकफास्ट या लंच टेबल पर मिला करते थे। उन्हें लगता था कि लोग खाने की टेबल पर सबसे ज्यादा रिलैक्स रहते हैं। बिना किसी डर और बेचैनी के बात करते हैं। यह मीटिंग इन्फॉर्मल होती है। जेफ्रे जानते थे कि वो केवल इसी तरह लोगों से व्यक्तिगत रूप से जुड़ सकते हैं। उन्हें सुनकर ही वो उनके करीब आ सकते हैं।
वॉलमार्ट के फाउंडर, सैम वॉल्टन स्टोर पर ही अपने कर्मचारियों से मिलते थे और उनकी परेशानियों के बारे में बात करते थे। वहीं वो उनके विचार भी जान लेते थे। अपने ट्रक ड्राइवर्स के साथ वो सुबह चार बजे डोनट्स के पैकेट के साथ मिलते थे और उन्हें घंटों सुना करते थे। ट्रक ड्राइवर्स उन्हें स्टोर, वेयरहाउज , वेस्टेज से जुड़ी बातें बताते थे। उन्हें कर्मचारियों के साथ समय बिताना बेहद पसंद था।
कम्युनिकेशन स्ट्रक्चर ऐसा हो-
एड कैटमल, पिक्सर के सीईओ कहते हैं कि हम ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर और कम्युनिकेशन स्ट्रक्चर में कंफ्यूज हो जाते हैं। ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर बेहतर कंट्रोल और ऑन-टाइम प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए आवश्यक हो सकता है लेकिन कम्युनिकेशन को ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर को फॉलो करने की जरूरत नहीं है। कम्युनिकेशन किसी के साथ, किसी भी समय करने की छूट होनी चाहिए। ओपन डोर पॉलिसी होनी चाहिए कि कंपनी हेड तक कोई भी पहुंच सके और अपनी बात या विचार उनके सामने रख सके।
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