Publish Date: | Sun, 13 Nov 2022 06:05 AM (IST)
रायपुर। प्रदेश में पिछले चार वर्षों में महिलाओं पर हुए अपराध में 62 प्रतिशत की कमी आई है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो का यह आंकड़ा उन उम्मीदों को और मजबूत करता है, जिसमें महिला प्रताड़ना मुक्त प्रदेश की परिकल्पना की जाती रही है। इतना तो निश्चित है कि जिस तरह के प्रयासों से यह संभव हो पाया है, वे सतत जारी रहने के साथ ही उनमें कुछ नए प्रयासों को भी जोड़ते रहना चाहिए। नारी को हमारे धर्म, संस्कृति में देवी का दर्जा दिया गया है।
ऐसे में उसके साथ होने वाला किसी भी प्रकार का अत्याचार बहुत ही दुखद है। इस पर अंकुश लगना ही चाहिए। यह सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ दुष्कर्म के मामले में पांचवें स्थान से 11वें स्थान पर और दुष्कर्म के प्रयास के मामले में 10वें स्थान से 16वें स्थान पर पहुंच गया है। दरअसल, यह विषय ही ऐसा है जिसमें जब तक महिलाओं के साथ होने वाली किसी भी प्रकार की प्रताड़ना पूरी तरह खत्म न हो जाए, संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता। इसका दर्द वही महसूस कर सकता है, जिसने इस दंश को झेला हो। जिसके परिवार के लोग इस बुरे दौर से गुजरे हों।
यह बात अलग है कि इस तरह के विषयों को लेकर राजनीति भी खूब होती है। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी खूब लगाए जाते हैं। लेकिन यह भी सच्चाई है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह राजनीतिक हो या गैर-राजनीतिक, इस तरह के दौर से गुजरने की कल्पना कभी नहीं करता। भाजपा महिला मोर्चा ने वर्तमान सरकार में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में बढ़ोतरी का आरोप लगाते हुए बिलासपुर में महतारी हुंकार रैली निकाली। इसमें शामिल केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने राज्य सरकार के समक्ष आंकड़े प्रस्तुत करते हुए सवाल पूछा है कि कांग्रेस राज में यहां छह हजार बहनों की इज्जत क्यों लूटी गई।
हजारों महिलाओं का अपहरण क्यों हुआ। इस पर कांग्रेस ने आंकड़ा प्रस्तुत कर भाजपा शासनकाल की अपेक्षा वर्तमान सरकार में महिला अपराधों में कमी आने का दावा किया है। यह बात सभी को समझनी होगी कि जब घर की अथवा पड़ोस की किसी बच्ची के साथ गलत होता है, तो उस समय आंकड़े नहीं देखे जाते। उस समय सिर्फ और सिर्फ उसकी तकलीफ को महसूस किया जाता है। उसके साथ गलत करने वाले को हर हाल में दंडित करने का उद्वेग मन में उठता है।
दरअसल, यह विषय भावनाओं से जुड़ा हुआ है। इस पर काम भी पूरे मनोभाव से होना चाहिए। यह बात ठीक है कि हर दौर में अच्छाई के साथ बुराई भी रही है, लेकिन उसे कम से कम करने के सार्थक प्रयास होते रहने चाहिए। सभी साथ मिलकर महिलाओं की सुरक्षा की चिंता करें, ताकि स्थिति में लगातार सुधार होता रहे। विपक्ष की चिंता को भी अनावश्यक नहीं कहा जा सकता।
उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकारें कोई भी हों, महिलाओं की सुरक्षा को पहली प्राथमिकता में रखते हुए सतत काम करती रहेंगी। यह उम्मीद इसलिए भी और बंधती है क्योंकि सरकारों में महिलाओं की भी भागीदारी बढ़ रही है। सुधार के प्रयास सतत होते रहेंगे तो महिला प्रताड़ना मुक्त राज्य की परिकल्पना अवश्य साकार होगी।
Posted By: Pramod Sahu
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