जिनेवा, एएनआइ। यूक्रेन, अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया के अशांत देशों के करोड़ों विस्थापित लोगों पर आने वाला ठंडक का मौसम कहर बनकर टूट सकता है। इन देशों में बड़ी संख्या में लोग खुले आकाश के नीचे या अस्थायी आवासों में रह रहे हैं। इन आवासों को गर्म रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में शून्य से कम तापमान में लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ना निश्चित माना जा रहा है। यह स्थिति बुजुर्गों और बच्चों पर भारी पड़ सकती है। यह बात संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने कही है। एजेंसी ने कहा है कि बलपूर्वक या मजबूरी में विस्थापित होने वाले लोगों के लिए आने वाला ठंडक का मौसम बेहद मुश्किल हो सकता है। उन्हें आवास, भोजन, कपड़ों और जीवनरक्षक उपायों में कमी की समस्या झेलनी पड़ेगी।
50 लाख लोग बिजली और पानी से वंचित
यूक्रेन में बिजली की कमी वहां की समस्या और बढ़ा सकती है। रूस के बिजली संयंत्रों पर ताजा हमलों से इस समय करीब 50 लाख लोग बिजली और पानी से वंचित हैं। उनके लिए ठंडक का मौसम दुखदायी साबित हो सकता है। यूक्रेन में बिजली-पानी के संकट के कारण पड़ोसी देशों-पोलैंड, रोमानिया, जर्मनी आदि यूक्रेनी शरणार्थियों की संख्या बढ़ सकती है। इस समय इन देशों में 50 लाख से ज्यादा यूक्रेनी नागरिक शरण लिए हुए हैं। एजेंसी ने कहा है कि सीरिया और इराक में भी विस्थापितों की बड़ी संख्या मौजूद है।
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वहां पर बढ़ने वाली ठंड और बर्फबारी उनकी मुश्किलों को और बढ़ाएगी। इनमें से तमाम लोगों के लिए इस तरह से भीषण ठंड लगातार झेलने का 11 वां या 12 वां वर्ष होगा। एजेंसी के अनुसार करीब 35 लाख सीरियाई और इराकी शरणार्थी सीरिया, इराक, लेबनान, जार्डन और मिस्त्र में जहां-तहां रह रहे हैं। वे मामूली सुविधाओं में जीवन बसर कर रहे हैं। इन लोगों पर ठंडक कहर बनकर टूट सकती है।
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Edited By: Shashank Mishra
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