राहुल गांधी
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हिमाचल प्रदेश और गुजरात के महत्वपूर्ण चुनावों मे हर और चर्चा रही कि राहुल गांधी को दोनों राज्यों में जमकर प्रचार करना चाहिए । लेकिन राहुल गांधी तो हिमाचल प्रदेश के चुनाव में एक दिन गए तक नहीं। गुजरात के चुनाव में कुछ कार्यक्रम प्रस्तावित है लेकिन उनकी तारीख तय नहीं है। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा किस काम की जब वह खुद चुनावों में प्रचार करने नहीं पहुंच पा रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति बनाने वालों ने ऐसा ताना-बाना बुना कि विपक्षी तो विपक्षी कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े नेता तक चकरा गए। भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति बनाने वालों में शामिल एक प्रमुख कांग्रेस के नेता कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा को लेकर जो रणनीति बनाई गई थी वह चुनावों के लिहाज से बिल्कुल सटीक बैठ रही है।
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का मकसद विधानसभा चुनाव नहीं
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े हुए एक वरिष्ठ कांग्रेस के नेता कहते हैं कि उनका मकसद विधानसभा के चुनाव तो थे ही नहीं। हालांकि उनका कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा चुनावी यात्रा नहीं है। लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि कोई भी राजनीतिक यात्रा बगैर चुनाव या राजनैतिक मकसद के नहीं होती है। हालांकि कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जो यात्रा चल रही है उसका टारगेट राज्यों के विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि लोकसभा के चुनाव तक पूरी हवा बनाने की है। राजनैतिक विश्लेषक और एसएस ओझा कहते हैं कि राहुल गांधी के चुनावी राज्यों में ना जाना यह बिल्कुल कम जाना राजनीतिक लिहाज से कांग्रेस की एक बहुत सधी हुई रणनीति मानी जा सकती है। हालांकि ओझा का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा की पूरी रणनीति बनाने वालों की क्या योजना रही होगी यह तो वही जाने। लेकिन राहुल गांधी का चुनाव प्रचार के लिए ना पहुंचना न सिर्फ कांग्रेस बल्कि व्यक्तिगत तौर पर राहुल गांधी के लिए फिलहाल एक पॉजिटिव नैरेटिव सेट करने जैसी स्थिति में है।
…तब राहुल पर खड़े होते सवाल
कांग्रेस पार्टी से ही जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर राहुल गांधी चुनाव में जाते और उसके परिणाम सकारात्मक नहीं आते तो राहुल गांधी के ऊपर सवाल खड़े होने लगते हैं। यही नहीं पूरा विपक्ष मिलकर राहुल गांधी और उनकी पूरी यात्रा को फेल कराने के मकसद से जुड़ जाता। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ऐसा नहीं है पार्टी की स्थिति के बारे में पार्टी आलाकमान को जानकारी नहीं है। यही वजह है कि राहुल गांधी का पूरा फोकस भारत जोड़ो यात्रा पर ही बना रहा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं अगर राहुल गांधी चुनावों में जाते और चुनावी रैलियों में शिरकत करते तो यह मान लिया जाता कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पूरी तरीके से राजनैतिक है। कांग्रेस के नेताओं और भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति बनाने वालों में शामिल एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी और वरिष्ठ नेता यह नहीं चाहते थे कि भारत जोड़ो यात्रा जब खत्म हो तो वह भी मकसद साबित हो। यही वजह रही कि फोकस करते हुए भारत जोड़ो यात्रा को एक अपनी दशा दिशा देते हुए ही आगे बढ़ाया जाता रहा।
कांग्रेस के मुताबिक ये सियासी यात्रा नहीं
सियासी जानकार जटाशंकर सिंह भी मानते हैं कि कहते हैं कि यह बात बिल्कुल तय है अगर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के बीच में चुनावी राज्यों में जाकर प्रचार करते या रैलियां और बड़े-बड़े सम्मेलन में शामिल होते हैं तो जो मकसद लेकर भारत जोड़ो यात्रा शुरू की गई थी उस पर सवालिया निशान लगने लगते हैं। दरअसल, कांग्रेस ने जब भारत जोड़ो यात्रा शुरू की तो यही कहा कि यह कोई चुनावी यात्रा नहीं है। इसलिए राहुल गांधी का यात्रा के दौरान चुनावों में जाना माना जाता कि राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी चुनावों के लिहाज से ही इस यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि कांग्रेस भले यह कहती रही हो कि भारत जोड़ो यात्रा का कोई राजनीतिक मकसद नहीं है लेकिन लोकतंत्र में किसी भी तरीके के बड़े आंदोलनों का मकसद अंततः सियासी ही होता है। इसलिए भारत जोड़ो यात्रा का मकसद मंत्र का सियासी साबित होगा लेकिन फायदे के लिहाज से राहुल गांधी का विधानसभा के चुनावों में ना जाना एक सही फैसला माना जा सकता है।
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