नई दिल्ली: साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित किए गए ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले के पांचवें दिन कई प्रकार की साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन किया गया. इनमें साहित्यकारों का सम्मान, बाल साहित्य पर चर्चा और लेखक से मुलाकात जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए.
साहित्य अकादमी सर्वोच्च सम्मान ‘मानद महत्तर सदस्यता’ प्रख्यात लेखक और चित्रकार प्रफुल्ल मोहंती को प्रदान किया गया. साहित्य अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने प्रफुल्ल मोहंती को यह सम्मान प्रदान किया. इस अवसर पर साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक, ओड़िआ परामर्श मंडल के संयोजक बिजयानंद सिंह और साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव उपस्थित थे.
महत्तर सदस्यता के रूप में प्रफुल्ल मोहंती को एक शॉल और ताम्र-फलक प्रदान किया गया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एक गांव का बच्चा जो खुद पढ़ा और आगे बढ़ा, उसके लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.
साहित्य अकादमी सर्वोच्च सम्मान ‘मानद महत्तर सदस्यता’ प्रख्यात लेखक और चित्रकार प्रफुल्ल मोहंती को प्रदान किया गया.
इस बार साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित हुए रचनाकारों ने पुस्तकायन में आयोजित लेखक सम्मेलन में अपनी-अपनी रचना-प्रक्रिया के बारे में विचार साझा किए. सभी बाल लेखकों का कहना था कि बच्चों के लिए और गंभीरता से लिखने की ज़रूरत है और बच्चों के लिए लिखते हुए हमें वर्तमान परिदृश्य, ख़ासतौर पर तकनीकी परिवर्तनों, को बहुत ध्यान से प्रस्तुत करना होगा.
अपने प्रिय लेखक से मिलिए कार्यक्रम में बच्चों से संवाद करतीं प्रसिद्ध साहित्यकार क्षमा शर्मा.
‘अपने प्रिय लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में प्रख्यात बाल लेखिका क्षमा शर्मा ने बच्चों के साथ रोचक संवाद किया और अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने कहा कि आज का बाल साहित्य बहुत बदल गया है. बच्चों के बीच मोबाइल की व्यापक उपलब्धि ने जहां बच्चों के लिए कई नई क्षमताएं बढ़ाई हैं वहीं उसके अधिक इस्तेमाल से अनेक समस्याएं खड़ी हुई हैं. उन्होंने तकनीकी रफ़्तार में बच्चों की मासूमियत को बचाए रखने की अपील की.
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‘बाल साहित्य के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात मराठी लेखक राजीव तांबे ने की. इसमें जॅया मित्र (बांग्ला), वर्षा दास (गुजराती) और सम्पदानन्द मिश्र (संस्कृत) ने अपने-अपने भाषा के बाल साहित्य की स्थिति और उसके समक्ष चुनौतियों की बात पर चर्चा की.
लेखकों ने अपनी-अपनी भाषाओं में बाल पत्रिकाओं की कमी और बाल साहित्य की कम उपलब्धता का उल्लेख करते हुए कहा कि अभी बाल साहित्यकारो को बच्चों की दुनिया को समझ कर सृजन करना बेहद आवश्यक है. राजीव तांबे ने बेहद दिलचस्प तरीके से बच्चों के साथ संवाद करते हुए रोचक कहानियां प्रस्तुत कीं और उन्होंने बच्चों के लिए लिखने वाले लेखकों से कहा कि कई बार ज़्यादा ज्ञान या उपदेश की बातें बाल साहित्य को नीरस बना देती हैं. उन्होंने कहा कि बाल साहित्य में उपदेश के स्थान पर संदेश होना चाहिए.
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Tags: Hindi Literature, Hindi Writer, Literature
FIRST PUBLISHED : November 15, 2022, 19:01 IST
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