दिग्गज भारतीय आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने कहा कि यह बेहद शर्म की बात है कि गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत (Gambia Children Death) के पीछे एक भारतीय कफ सीरप वजह थी, और इसने देश की दवा नियामक एजेंसियों की छवि को धूमिल किया है। नारायण मूर्ति ने यह टिप्पणी मंगलवार 15 नवंबर को बेंगलुरु में ‘इंफोसिस साइंस प्राइज (Infosys Science Prize)‘ के विजेताओं के नामों का ऐलान करते हुए की। बता दें कि गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत को 4 कफ सीरप से जोड़ा गया है, जिसे एक भारतीय दवा कंपनी ‘मेडन फार्मास्युटिकल्स’ ने बनाया था।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों के लिए साइंस के क्षेत्र में रिसर्च बहुत अहम है और ऐसा करके ही हम विकसित दुनिया में शामिल हो सकते हैं।
नारायण मूर्ति ने कहा, “जहां बुद्धिजीवियों और योग्यता का सम्मान हो और समाज से उन्हें समर्थन और सराहाना मिलता है, ऐसे माहौल में रिसर्च अधिक फलता-फूलता है। इसलिए, भारतीय रिसर्चर्स के शानदार शोध प्रयासों को पहचानना और उन्हें पुरस्कृत करना जरूरी है। वैज्ञानिक रिसर्च एक तरह से जिज्ञासा, साहस, सकारात्मक संशय और यथास्थिति पर सवाल उठाने से जुड़ा हुआ है।”
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टीके के क्षेत्र में काफी काम बाकी
इंफोसिस के को-फाउंडर ने कहा कि दो भारतीय कंपनियों हाल ही में COVID टीकों का उत्पादन किया हो, जिसे 1 अरब भारतीयों को लगाया गया है। इसके अलावा कई भारतीयों ने साइंस और रिसर्च के क्षेत्र में प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान जीता हैं। हालांकि इसके बावजूद अभी भी कई चुनौतियां हमारे सामने हैं।
उन्होंने कहा कि जो कोविड के टीके हमारे देश में बने हैं, वह विकसित देशों की तकनीक या रिसर्च पर आधारित हैं। इसके अलावा भारत ने अभी तक डेंगू या चिकनगुनिया के लिए कोई टीका विकसित नहीं किया है।
रिसर्च के लिए इन 2 चीजों पर नारायण मूर्ति ने दिया जोर
नारायण मूर्ति, इंफोसिस साइंस फाउंडेशन के एक ट्रस्टी भी हैं। उन्होंने कहा कि रिसर्च की सफलता के लिए सबसे अधिक जरूरी दो चीजें हैं और इनमें पैसा नहीं शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “पहला हमारी स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा को सवाल-जवाब की तरफ फिर से लाना है। वह कक्षाओं में जो सीखते हैं, उसे वास्तविक दुनिया से जोड़ना होगा। न कि टकर परीक्षा पास करने को बढ़ावा देते रहा है। यहां तक कि हमारे आईआईटी भी इस सिंड्रोम के शिकार हो गए हैं, जिसके लिए काफी हद तक कोचिंग कक्षाएं जिम्मेदार हैं।”
नारायण मूर्ति ने कहा कि दूसरी चीज हमारे शोधकर्ताओं के लिए था कि वे तत्काल समस्याओं को हल करने पर ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने कहा, “इस तरह की मानसिकता निश्चित तौर पर हमें बड़ी चुनौतियों को हल करने की ओर ले जाएगी।” मूर्ति ने यह भी कहा कि 2022 में दुनिया की टॉप-250 यूनिवर्सिटी की लिस्ट में कोई भी भारतीय संस्थान शामिल नहीं था, जिसपर हमें ध्यान देने की जरूरत है।
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