2 घंटे पहले
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जी20 सम्मेलन बाली में हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहाँ छाए हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन उनसे खुद मिलने आएँ और फिर साथ में ठहाके लगाए जाएँ, यह भारत की अहमियत को दिखाता है। इतना ही नहीं, जब मोदी बोले तो विकासशीलों की हेकड़ी निकाल दी। उन्होंने कहा- अगर दुनिया को विकास करना है तो भारत को साथ लेकर चलना पड़ेगा।
मीटिंग शुरू होने से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति खुद चलकर मोदी से मिलने के लिए आए।
क्योंकि भारत वो देश है जिसके पास कला है, आइडिया है, विशालता, कर्मठता और ईमानदारी है। कुछ उदाहरण भी दिए। जैसे कोरोना से जब दुनिया त्राहि- त्राहि कर रही थी, तब भारत ने अपने नागरिकों को जितनी मुफ़्त वैक्सीन लगाई वो अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की कुल आबादी की ढाई गुणा हैं। अपने नागरिकों को मुफ़्त वैक्सीन देने के साथ हमने दुनिया के कई देशों की मदद भी की। जिसे ज़रूरत थी वैक्सीन पहुँचाई। वह भी बिना कोई शर्त के। संकट के समय ऐसा परोपकार कोई और नहीं कर सकता। यह भारत की सदाशयता है।
यही नहीं, अमेरिका की जितनी आबादी है, उतने तो भारत में हमने बैंक अकाउंट खोल रखे हैं। भारत की आबादी की विशालता का दुनिया के सामने इस तरह का सदुपयोग पहली बार हुआ है। निश्चित रूप से ऐसे बयान कभी- कभी सुनने को मिलते हैं और जब सुनाई देते हैं तो दुनिया के सामने अपना मस्तक और ऊँचा हो जाता है।
मोदी ने यह कहकर भी भारत की निष्पक्षता दोहराई कि रूस-यूक्रेन युद्ध हर हाल में रुकना चाहिए। कोरोना काल के बाद इस युद्ध ने दुनियाभर की सप्लाई चेन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। दुनिया के लिए यह समय युद्ध का नहीं, बल्कि बातचीत का है। रूस और यूक्रेन को भी बातचीत ही करनी चाहिए।
दरअसल, एस जयशंकर जब से भारतीय विदेश मंत्री बने हैं, धीरे- धीरे हमारी विदेश नीति में पॉजिटिव एग्रेशन आया है। चूँकि वे विदेश मामलों के विशेषज्ञ हैं, इसलिए विदेश नीति पर लगातार अच्छा काम कर रहे हैं। यही वजह है कि आज भारत को हर मोर्चे पर, हर मंच पर, वाहवाही मिल रही है।
हालाँकि दुनिया में कई मुद्दे होते हैं जिन पर हर देश का अलग मत हो सकता है क्योंकि हर देश की विदेश नीति अलग होती है और उसको, उसी हिसाब से चलना होता है, लेकिन भारत को अब कोई शक्तिशाली देश इग्नोर करके नहीं चल सकता। विशाल आबादी, विशाल बाज़ार के साथ गुणवत्ता भी हमारा सबसे बड़ा आधार है जिसकी आज हर देश को ज़रूरत है। भारत इसलिए बड़ा है। भारत इसलिए झुकने वालों में से नहीं है।
सिर उठाकर खड़ा होने के सारे गुण भारत में हैं। फिर सामने अमेरिका हो या कोई और, डर किसे कहते हैं, हम जानते ही नहीं। जानना चाहिए भी नहीं।
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