Publish Date: | Wed, 16 Nov 2022 07:00 AM (IST)
रायपुर। सनातन संस्कृति और वेद-पुराणों में लिखे संदेशों की जानकारी बच्चों और युवा पीढ़ी को देनी होगी। जब धर्म के प्रति निष्ठा जागेगी और लोगों को समझ में आएगा कि अपना धर्म श्रेष्ठ है, तभी मतांतरण को रोका जा सकता है। सनातन धर्म अखंड है और कभी समाप्त नहीं होगा। यह कहना है ऋषिकेश से पधारे संत मैथिलीशरण भाईजी का। वे समता कालोनी के मैक आडिटोरियम में 16 से 22 नवंबर तक चलने वाले सत्संग, प्रवचन के लिए राजधानी पहुंचे हैं।
छत्तीसगढ़ में मतांतरण के बढ़ते मामले पर पूछे गए प्रश्न पर महाराज ने कहा कि जो लोग मतांतरण कर लेते हैं, उन्हें अपने धर्म के बारे में कुछ पता नहीं होता। यदि लोगों को अपने धर्म की श्रेष्ठता और पारिवारिक मूल्यों, समाज की महत्ता की जानकारी दी जाए तो वे कभी अपने धर्म से विमुख नहीं होंगे। चाहे धर्म, समाज का क्षेत्र हो या व्यक्तिगत जीवन, हमेशा सकारात्मक विचारों को अपनाएं। महाराजश्री ने कहा कि गति, प्रशंसा और भलाई यदि किसी को प्राप्त है तो यह मानना चाहिए कि उस साधक ने सत्संग किया है। सत्संग का गर्भाधान भी सुमति को जन्म देता है और फिर जितने प्रकार की संपत्ति लौकिक और पारमार्थिक हैं, सब की सब व्यक्ति को मिल जाती है। व्यक्ति सब प्रकार आनंदित हो जाता है और सब समर्पित करके धन्य हो जाता है।
इन गुणों पर प्रवचन
श्रीरामचरित मानस में बाल कांड की दो चौपाई मति, कीर्ति गति भूति भलाई, जब जेहि जतन जहां जेहि पाई। सो जानव सत्संग प्रभाउ, लोकउं बेद न आन उपाउं। पहला मति यानी बुद्धि, दूसरा कीर्ति यानी प्रतिष्ठा, तीसरा गति यानी मुक्ति, चौथा भूति यानी समृद्धि और पांचवां भलाई यानी सेवा, सब कुछ बेहतर होने की व्याख्या करेंगे। महाराजश्री ने इन दो चौपाइयों का चयन आयोजक श्री रामकिंकर विचार मिशन परिवार के पुरुषोत्तम सिंघानिया एवं डा. नवनीत जैन के आग्रह पर किया है। प्रवचन में मिथिला और चित्रकूट से आए पंडित अनिल पाठक और पंडित विक्रम मिश्र मधुर भजनों की प्रस्तुति देंगे। आयोजक डा. नवनीत जैन, डा. पुरुषोत्तम सिंघानिया, भारत भूषण गुप्ता आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं।
कर्म में है वास्तविक सुख
संत का कहना है कि संसार जिस संसार की प्राप्ति को प्राप्ति मानता है, वास्तव में यह प्राप्ति न होकर दुख के साधनों का संयोजन है। यदि सुख के लिए कर रहा था तो वह यह क्यों नहीं कहता कि मैं बहुत आनंदित हूं और धन्यता को प्राप्त हो चुका हूं । जब तक पाने की इच्छा बनी हुई है तब तक पाया नहीं है। सुख का आधार जब तक कर्म नहीं होगा तब तक कर्म के कल्पित फल की कामना में डूबकर स्वप्न की तरह नए-नए फलों को देखते रहेंगे, पर ज्यों ही वास्तविकता की नींद खुलेगी त्यों ही हम जहां के तहां दिखाई देंगे। संसार के अधिकांश लोग इस दौड़ में दौड़ रहे हैं पर पहुंच कहीं नहीं रहे हैं। कल्पित सुख की मिथ्या कल्पना में डूबे हुए हैं, वास्तविक सुख कर्म में और कर्म के समर्पण में है।
मैक आडिटोरियम में आज से प्रवचन
संतश्री प्रतिदिन सुबह 9 बजे से पुरानी बस्ती के श्रीरामकिंकर अस्पताल में दूसरी मंजिल पर सत्संग, भजन-कीर्तन में शामिल होंगे। मैक आडिटोरियम में शाम 7 से 8.30 बजे तक श्रीरामचरित मानस की चौपाई पर आधारित पांच गुणों पर प्रवचन देंगे।
Posted By: Abhishek Rai
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