प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत गरीबी के खिलाफ जंग में तकनीक को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
उन्होंने ‘बेंगलुरु टेक समिट’ में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि भारत को अब लालफीताशाही के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि इसकी पहचान निवेशकों को हर तरह की सुविधा देने वाले देश के रूप में है।
प्रधानमंत्री ने उद्घाटन भाषण में कहा कि 2021 के बाद से यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या दोगुनी हो गई है।
मोदी ने कहा, ‘भारत अब निवेशकों के लिए ‘रेड कार्पेट’ के लिए जाना जाता है। चाहे एफडीआई सुधार हो, या ड्रोन नियमों का उदारीकरण, या सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कदम, या विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन प्रोत्साहन योजनाएं, या कारोबारी सुगमता… हर जगह ये बात दिखाई देती है।’
उन्होंने कहा, ‘आपके निवेश और हमारे नवाचार से चमत्कार हो सकता है। आपका भरोसा और हमारी तकनीकी प्रतिभा मिलकर कुछ भी कर सकते हैं। मैं आप सभी को साथ काम करने के लिए आमंत्रित करता हूं, क्योंकि हम दुनिया की समस्याओं को हल करने में अग्रणी हैं।’
उन्होंने कहा कि भारत की प्रौद्योगिकी और नवाचार ने पहले ही दुनिया को प्रभावित किया है, लेकिन भविष्य में यह भूमिका और भी बड़ी होगी।
मोदी ने कहा कि भारत के युवाओं की ताकत को पूरी दुनिया मानती है और उन्होंने तकनीकी तथा प्रतिभा का वैश्वीकरण सुनिश्चित किया है।
उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य देखभाल, प्रबंधन, वित्त – आप युवा भारतीयों को कई क्षेत्रों में आगे पाएंगे। हम अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल वैश्विक भलाई के लिए कर रहे हैं। यहां तक कि भारत में भी उनका असर देखा जा रहा है।’
मोदी ने कहा कि भारत इस साल वैश्विक नवाचार सूचकांक में 40वें स्थान पर पहुंच गया है।
उन्होंने कहा, ‘2015 में हम 81वें स्थान पर थे। भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या 2021 से दोगुनी हो गई है। अब हम दुनिया में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप केंद्र हैं। हमारे पास 81,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं। सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हैं, जिनके भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र हैं। यह भारतीय प्रतिभा के कारण संभव हो सका।’
मोदी ने कहा कि तकनीकी पहुंच बढ़ाकर भारतीय युवाओं को मजबूत बनाया जा रहा है। देश में मोबाइल और डेटा क्रांति हो रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन छह करोड़ से बढ़कर 81 करोड़ हो गए हैं। स्मार्टफोन उपयोगकर्ता 15 करोड़ से बढ़कर 75 करोड़ हो गए। इंटरनेट की वृद्धि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से हो रही है।
मोदी ने कहा कि लंबे वक्त तक माना जाता था कि प्रौद्योगिकी बड़े और शक्तिशाली लोगों के लिए है। ‘लेकिन भारत ने दिखा दिया है कि प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण कैसे किया जाता है। भारत ने यह भी दिखाया है कि तकनीक को मानवीय स्पर्श कैसे दिया जाता है। भारत में प्रौद्योगिकी समानता और सशक्तिकरण का साधन है।’
प्रधानमंत्री ने दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ का जिक्र करते हुए कहा कि यह लगभग 20 करोड़ परिवारों को सुरक्षा कवच प्रदान करती है।
उन्होंने आगे कहा, ‘इसका मतलब है, लगभग 60 करोड़ लोग। यह कार्यक्रम एक तकनीकी मंच पर आधारित है। भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण अभियान चलाया। इसे कोविन नामक एक तकनीक-आधारित मंच के जरिए संचालित किया गया।’
उन्होंने शिक्षा क्षेत्र के बारे में कहा कि भारत में मुक्त पाठ्यक्रमों का एक बहुत बड़ा भंडार है। विभिन्न विषयों में हजारों पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। एक करोड़ से अधिक सफल प्रमाणन हुए हैं। यह सब ऑनलाइन और मुफ्त में किया जाता है।
मोदी ने कहा, ‘हमारे डेटा टैरिफ दुनिया में सबसे कम हैं। कोविड-19 के दौरान, कम डेटा लागत ने गरीब छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने में मदद की। इसके बिना उनके दो कीमती साल बर्बाद हो जाते।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत गरीबी के खिलाफ लड़ाई में प्रौद्योगिकी को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘हम स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का नक्शा बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। इसके बाद लोगों को संपत्ति कार्ड दिए जाते हैं। इससे भूमि विवाद में कमी हो रही है। इससे गरीबों को वित्तीय सेवाओं और ऋण पाने में भी मदद मिलती है।’
उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों को लाभ हस्तांतरण के लिए तकनीक के इस्तेमाल का उदाहरण भी दिया।
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