विशेष न्यायाधीश विकास ढल ने दो सह-आरोपियों वैभव जैन और अंकुश जैन के संदर्भ में कहा कि उन्होंने अपराध से अर्जित धन को छिपाने में ‘जानते बूझते’ हुए जैन की मदद की थी और ‘‘प्रथम दृष्टया धन शोधन के दोषी’’ थे।
अदालत ने कहा कि ‘‘प्रथम दृष्टया’’ जैन ‘‘वास्तव में कोलकाता के एंट्री ऑपरेटरों को नकदी देकर अपराध से अर्जित धन को छिपाने में शामिल थे और उसके बाद शेयरों की बिक्री के नाम पर तीन कंपनियों में नकदी लगाई गयी और ऐसा यह दिखाने के लिए किया गया कि ये तीन कंपनियां बेदाग हैं।’’
अदालत ने कहा, ‘‘इस प्रक्रिया से, अपराध से अर्जित आय 4.61 करोड़ रुपये के एक तिहाई के बराबर धन को सफेद में बदला गया। इसके अलावा, जैन ने अपनी कंपनी में जे जे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कोलकाता के एंट्री ऑपरेटरों से आवास प्रविष्टियां प्राप्त करके 15 लाख रुपये के अपराध से अर्जित आय को सफेद बनाने के लिए भी इसी कार्यप्रणाली का उपयोग किया।’’
उसने कहा कि जैन ने अवैध धन के स्रोत का मार्ग छिपाने के लिए जानते हुए इस तरह की गतिविधि की। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस तरह, आवेदक/आरोपी सत्येंद्र कुमार जैन एक करोड़ रुपये से अधिक के धन शोधन के अपराध में प्रथम दृष्टया शामिल रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि काले धन को सफेद में बदलना ‘गंभीर आर्थिक अपराध’ है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए जैन को जमानत के लाभ का हक नहीं है। इसलिए जैन के आवेदन को खारिज किया जाता है।’’
जांच एजेंसी ने 2017 में जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज सीबीआई की एक प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन के मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
जैन पर कथित रूप से उनसे जुड़ी चार कंपनियों के माध्यम से काले धन को सफेद में बदलने का आरोप है।
अदालत ने हाल में धन शोधन मामले के सिलसिले में जैन, उनकी पत्नी और चार कंपनियों समेत आठ अन्य के खिलाफ ईडी द्वारा दायर अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) का संज्ञान भी लिया था।
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