India Flags Concerns Over Rich Nations Efforts To Extend Mitigation To Agriculture – Cop27: अमीर देशों की मनमानी पर भारत चिंतित, कहा- विकासशील देशों पर डाल रहे जलवायु परिवर्तन की जिम्मेदारी
सीओपी27 से इतर यूएनएफसीसीसी पवेलियन में एक सत्र को संबोधित करते केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव। – फोटो : [email protected]
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भारत ने मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में गुरुवार को विकसित दुनिया के प्रयासों का विरोध किया। सूत्रों ने बताया कि भारत ने कहा कि अमीर देश अपनी जीवन शैली को बदलकर उत्सर्जन को कम नहीं करना चाहते हैं और विदेशों में सस्ता समाधान खोज रहे हैं। भारत ने कहा कि विकसित देश कृषि क्षेत्र को छोटा करने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे रहे हैं, हम इसका विरोध करते हैं।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के एक सूत्र ने कहा कि कोरोनिविया संयुक्त कार्य (Koronivia Joint Work) द्वारा कृषि क्षेत्र को लेकर तैयार किए गए ड्राफ्ट डिसिजन टेक्सट पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत ने कहा कि विकसित देश कृषि के क्षेत्र में कमी के दायरे का विस्तार करने पर जोर देकर गरीब और किसान-समर्थक निर्णय को रोक रहे हैं। इस प्रकार विश्व में खाद्य सुरक्षा की बुनियाद से समझौता किया जा रहा है।
भारत ने कहा कि हर जलवायु शिखर सम्मेलन में विकसित देश अपने ऐतिहासिक उत्सर्जन से उत्पन्न होने वाली अपनी जिम्मेदारियों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे से ध्यान हटाने वाले साधनों का उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था के लक्ष्यों को बदलना चाहते हैं। अनुबंध- I के तहत आने वाले देशों को यह याद करना चाहिए कि दुनिया पर 790 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड ((GtCO2)) का कार्बन कर्ज बकाया है, जिसकी कीमत 79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है, मामूली कीमत की बात करे तो यह 100 अमेरिकी डालर प्रति टन है।
विस्तार
भारत ने मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में गुरुवार को विकसित दुनिया के प्रयासों का विरोध किया। सूत्रों ने बताया कि भारत ने कहा कि अमीर देश अपनी जीवन शैली को बदलकर उत्सर्जन को कम नहीं करना चाहते हैं और विदेशों में सस्ता समाधान खोज रहे हैं। भारत ने कहा कि विकसित देश कृषि क्षेत्र को छोटा करने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे रहे हैं, हम इसका विरोध करते हैं।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के एक सूत्र ने कहा कि कोरोनिविया संयुक्त कार्य (Koronivia Joint Work) द्वारा कृषि क्षेत्र को लेकर तैयार किए गए ड्राफ्ट डिसिजन टेक्सट पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत ने कहा कि विकसित देश कृषि के क्षेत्र में कमी के दायरे का विस्तार करने पर जोर देकर गरीब और किसान-समर्थक निर्णय को रोक रहे हैं। इस प्रकार विश्व में खाद्य सुरक्षा की बुनियाद से समझौता किया जा रहा है।
भारत ने कहा कि हर जलवायु शिखर सम्मेलन में विकसित देश अपने ऐतिहासिक उत्सर्जन से उत्पन्न होने वाली अपनी जिम्मेदारियों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे से ध्यान हटाने वाले साधनों का उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था के लक्ष्यों को बदलना चाहते हैं। अनुबंध- I के तहत आने वाले देशों को यह याद करना चाहिए कि दुनिया पर 790 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड ((GtCO2)) का कार्बन कर्ज बकाया है, जिसकी कीमत 79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है, मामूली कीमत की बात करे तो यह 100 अमेरिकी डालर प्रति टन है।
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