इंडोनेशिया की राजधानी बाली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन से कुछ बेहद ही शानदार झलक देखने को मिली. इन्हीं मे से एक थी जी20 की आधिकारिक रुप से अध्यक्षता मिलना. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G20 की अध्यक्षता सौंपी. अब अगले साल जी-20 समिट की मेजबानी भारत करेगा. सितंबर 2023 में भारत की राजधानी नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित होगा. ये भारत के लिए बड़ा पल होगा, लेकिन इसे सफल बनाना मोदी सरकार के लिए इतना आसान नहीं.
मोदी बोले- भारतीयों के लिए गर्व की बात
G-20 की अध्यक्षता मिलने पर पीएम मोदी ने कहा कि ये हर भारतीय के लिए गर्व की बात है. आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है. पीएम ने कहा कि G-20 का जिम्मा भारत ऐसे समय ले रहा है जब विश्व जियो पॉलिटिकल तनावों, आर्थिक संकट और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों और महामारी के दुष्प्रभावों से एक साथ जूझ रहा है. ऐसे समय विश्व G-20 की तरफ आशा की नजर से देख रहा है.
भारत के पास है सुनहरा मौका
G-20 की अध्यक्षता करते हुए भारत के पास पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाने का सुनहरा मौका है. पीएम मोदी इसके लिए पूरा प्लान भी बना चुके हैं. पीएम ने कहा कि अगले एक साल में हमारा प्रयत्न रहेगा कि जी-20 नए विचारों की परिकल्पना के लिए और सामूहिक एक्शन को गति देने के लिए एक ग्लोबल प्राइम मूवर की तरह काम करे. प्राकृतिक संसाधनों पर ऑनरशिप का भाव आज संघर्ष को जन्म दे रहा है और पर्यावरण की दुर्दशा का मुख्य कारण बना है. प्लैनेट के सुरक्षित भविष्य के लिए ट्रस्टशिप का भाव ही समाधान है.
रूस-यूक्रेन युद्ध से बंट चुकी है दुनिया
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया दो भागों में स्पष्ट रूप से बंट गई है. खास बात ये है कि दोनों गुटों के देश जी-20 में शामिल हैं. वहीं भारत ऐसी स्थिति में है, जो दोनों गुटों के काफी करीब है. मोदी एकमात्र ऐसे नेता हैं जो रूस और यूक्रेन दोनों के राष्ट्रपति से बात कर सकते हैं. यही वजह है कि पूरी दुनिया भारत से इस युद्ध को खत्म कराने की अपील कर रहा है. मोदी भी युद्ध के पक्षधर नहीं हैं. वे हर मंच से बातचीत के जरिए सारी समस्याओं का हल निकालने की बात कहते हैं. यदि भारत इस युद्ध को खत्म करा देगा, तो पूरी दुनिया में उसका कद और बढ़ जाएगा.
मोदी सरकार के लिए आसान नहीं राह
मोदी सरकार के लिए इस कार्यक्रम को सफलता से आयोजित कर पाना इतना आसान नहीं है. भारत में ही एक वर्ग इस आयोजन में बाधा डालने का काम कर सकता है. सिर्फ मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए ये वर्ग भारत को शर्मिंदा करने में भी पीछे नहीं हटता है. याद करिए अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए डोनाल्ड ट्रंप जब भारत आने वाले थे तो दिल्ली में CAA-NRC को लेकर कैसे दंगे भड़क उठे थे. 26 जनवरी को जब दुनियाभर की मीडिया भारतीय गणतंत्र दिवस को कवर करने के लिए दिल्ली में जुटी थी तो कैसे किसान आंदोलन के बहाने लालकिले पर हुड़दंग मचाया गया था.
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