Vidisha News विदिशा(नवदुनिया प्रतिनिधि)। 1961 एनडीए बैच के पूर्व सैनिकों का सम्मेलन विदिशा से सांची रोड स्थित यूटोपिया रिजार्ट में हुआ। यहां पहुंचे पूर्व सेनापति और अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जनरल जोगिंदर जसवंत सिंह(जेजे) ने कहा कि भारत में वो काबिलियत है कि वो आने वाले एक से दो दशक में विश्व गुरु बन जाएगा। उन्होंने अग्निवीर योजना को युवाओं के लिए सुनहरा अवसर बताया।
अमृत महोत्सव के तहत पूर्व सैनिकों का ये सम्मेलन था, जिसमें कई सैनिक तो 60 साल बाद अब पहली बार एक दूसरे से मिले थे। सभी ने अपनी यादें ताजा की और सांची स्तूप का भ्रमण भी किया। करीब 42 पूर्व सैनिक अपनी पत्नियों के साथ एक दूसरे मिलने सांची पहुंचे थे। यहां यूटोपिया रिजार्ट में मीडिया से भी चर्चा कर अपने अनुभवों के बारे में बताया।
1961 से 64 तक बैच में कई पूर्व सैनिक ऐसे थे जिन्होंने करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना का हमला भी झेला और सुरक्षित बचकर बाहर भी आए। उस वक्त के सेनापति रहे जनरल जेजे सिंह ने कहा कि आज भारत भारत की सेना आधुनिक हो चुकी है, चीन भी समझता है कि ये 1962 वाली भारत की सेना नहीं है। हमने गलवान सहित चीनी बार्डर पर चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया है।
इस अवसर पर कर्नल रहे ललित कुमार आनंद, मार्शल नारायण मैनन दिल्ली सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। 1961 बेच में करीब 250 सैनिक थे जिसमें से 110 जवान शहीद हो चुके हैं। बचे हुए पूर्व सैनिक कई सालों बाद एक दूसरे से फिर से मिले और अपनी यादें ताजा की। यहां रिजार्ट संचालक सचित ताम्रकार ने सभी का स्वागत भी किया।
अग्निवीर युवाओं के लिए सुनहरा अवसर
पूर्व सेनापति व पूर्व अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जनरल जेजे सिंह ने कहा कि अग्निवीर योजना युवाओं के लिए फ़ौज से जुड़ने का सुनहरा अवसर है। इसमें अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो सेना में आगे भी बढ़ेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसमें सुधार की संभावना भी जताई हैं।
इसे युवाओं ने नकारात्मक लिया जबकि ये उनके भविष्य को संवारने की योजना है इसमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं को मौका मिलेगा, इससे मिलने वाली राशि से वह स्वयं का व्यापार भी शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे देश भी इस तरह की सफल योजनाएं चला रहे हैं। युवा फौज की वैल्यू लेकर जाएंगे, अनुशासन, कठिन परिश्रम का अनुभव उन्हें आगे के करियर में काम आएगा। कोई भी व्यक्ति अग्निवीर को नौकरी देने में सबसे पहले हां कहेगा।
दो बार मौत के मुंह से बचके निकले
1971 में करगिल युद्ध के दौरान बार्डर पर पाकिस्तान की सेना से दो दो हाथ कर रहे कर्नल ललित कुमार आनंद ने नवुदनिया से बातचीत में बताया कि युद्ध के दौरान वह कंपनी कमांडर हुआ करते थे। दो बार ऐसा मौका आया कि वह मौत के मुंह में से निकलकर बाहर आए।
एक बार बार्डर पर सुचेतगढ़ सेक्टर पर मैं एक जीत से अपने ड्राइवर के साथ लैंड माइन का काम करके वापस यूनिट आ रहे थे तभी पाकिस्तानी सेना ने ताबड़तोड़ गोलियों से हमला कर दिया। एक पल को लगा कि अब नहीं बचेंगे लेकिन एक भी गोली उन्हें व ड्राइवर को नहीं लगी वे सुरक्षित बचकर वापस आ गए। वह पल याद करके आज भी सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है कि युद्ध में हमने पाकिस्तान को धूल चटाई थी।
Posted By: Nai Dunia News Network
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