पीठ ने कहा कि चूंकि आरोप पत्र में सामग्री आवेदक और संजय @ बबलू की मौत के बीच संबंध स्थापित करने से कम है, जिस पर तीन हमलावरों ने हमला किया था और अभियोजन पक्ष ने आवेदक पर साजिश का आरोप लगाया था, जो किसी भी तरह से सामने नहीं आया है। आरोपी पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट करेगा और जांच के नतीजे के आधार पर यह तय किया जाएगा कि उसकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है या नहीं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि “केवल इसलिए कि इसमें शामिल अपराध आईपीसी की धारा 302 के तहत है, उसकी हिरासत में पूछताछ के लिए यह अनिवार्य नहीं है और आवेदक की आशंका है कि, ‘उसके पास यह मानने का कारण है कि उसे गिरफ्तार किया जा सकता है’, अतः सीआरपीसी की धारा 438 के प्रावधान लागू करने के लिए पर्याप्त आधार है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि घटना लगभग तीन साल पहले हुई थी और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र में संकलित सामग्री आवेदक की सीमित भूमिका को दर्शाती है, इस स्तर पर, वह गिरफ्तारी से सुरक्षा का हकदार है।
उपरोक्त के मद्देनजर, पीठ ने जमानत की अनुमति दी और आवेदन को 17/10/2022 को सूचीबद्ध किया।
केस शीर्षक: संतोष पुत्र आनंद माने @ छोटू बनाम महाराष्ट्र राज्य
बेंच: जस्टिस भारती डांगरे
मामला संख्या: 2022 की अग्रिम जमानत आवेदन संख्या 2144
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