Sports department’s silence on dumb wrestler’s plea, fined
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भानू भारद्वाज
करनाल। कर्ण स्टेडियम में जूनियर कुश्ती कोच के पद पर तैनात पद्मश्री विरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान के मामले में कारण बताओ नोटिस का जवाब न देने पर कोर्ट ने खेल विभाग पर 10 हजार का जुर्माना लगाया है। इससे पहले डेफ खिलाड़ियों से भेदभाव का आरोप लगाकर कुश्ची कोच की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिका में बताया गया कि पैरा ओलंपिक की भांति ही डेफ ओलंपिक का भी आयोजन किया जाता है, लेकिन डेफ ओलंपिक के पदक विजेता को अपेक्षाकृत कम पुरस्कार राशि और प्रोत्साहन मिलता है। मई 2022 में 24 वें डेफलंपिक (डेफ ओलंपिक) का आयोजन ब्राजील में हुआ था। इसमें हरियाणा के 15 सहित भारत के 64 डेफ खिलाड़ियों का दल ब्राजील गया था।
विरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान ने 2005 से 2022 के बीच पांच बार हुए डेफ ओलंपिक में तीन स्वर्ण, दो कांस्य और डेफ वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक स्वर्ण सहित तीन पदक हासिल किए। इसके चलते गूंगा पहलवान को नौ वर्ष पहले कर्ण स्टेडियम में जूनियर कुश्ती कोच के पद पर तैनात किया गया। खेल विभाग द्वारा गूंगा पहलवान को पुरस्कार राशि के तौर पर एक करोड़ की राशि भी दी गई थी, लेकिन यह पुरस्कार राशि और पद सामान्य और पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों को दी जाने वाली पुरस्कार के समान नहीं था। इसे लेकर विरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान ने हरियाणा स्पोर्ट्स काउंसिल ऑफ डेफ के माध्यम से अपने अधिकारों को लेकर न्यायालय में चुनौती दी है। लेकिन याचिका पर शोकॉज नोटिस का जवाब खेल विभाग की ओर से नहीं दिया गया और न ही कोई कोर्ट में हाजिर हुआ। इस पर विकलांग व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्त हरियाणा, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की अदालत में चल रहे मुकदमे में कोर्ट ने खेल एवं युवा मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और निदेशक पर जुर्माना लगाया है। साथ ही अगली सुनवाई के लिए 15 दिसंबर की तिथि तय की गई है।
डेफ खिलाड़ी विरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान की ओर से पैरवी कर रहे उनके साथी रामवीर डागर ने बताया कि पिछले नौ वर्ष से विरेंद्र सिंह को जूनियर कुश्ती कोच के पद पर तैनात कर रखा है, जो उनके साथ अन्याय है।
मार्च माह में दिए गए निर्देश के बाद सितंबर तक प्रतिवादी पक्ष की ओर से कोई जवाब न आने पर सोमवार को 10 हजार का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही सुनवाई के लिए 15 दिसंबर को अगली तारीख दी गई है।
–अजय वर्मा, अधिवक्ता
भानू भारद्वाज
करनाल। कर्ण स्टेडियम में जूनियर कुश्ती कोच के पद पर तैनात पद्मश्री विरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान के मामले में कारण बताओ नोटिस का जवाब न देने पर कोर्ट ने खेल विभाग पर 10 हजार का जुर्माना लगाया है। इससे पहले डेफ खिलाड़ियों से भेदभाव का आरोप लगाकर कुश्ची कोच की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिका में बताया गया कि पैरा ओलंपिक की भांति ही डेफ ओलंपिक का भी आयोजन किया जाता है, लेकिन डेफ ओलंपिक के पदक विजेता को अपेक्षाकृत कम पुरस्कार राशि और प्रोत्साहन मिलता है। मई 2022 में 24 वें डेफलंपिक (डेफ ओलंपिक) का आयोजन ब्राजील में हुआ था। इसमें हरियाणा के 15 सहित भारत के 64 डेफ खिलाड़ियों का दल ब्राजील गया था।
विरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान ने 2005 से 2022 के बीच पांच बार हुए डेफ ओलंपिक में तीन स्वर्ण, दो कांस्य और डेफ वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक स्वर्ण सहित तीन पदक हासिल किए। इसके चलते गूंगा पहलवान को नौ वर्ष पहले कर्ण स्टेडियम में जूनियर कुश्ती कोच के पद पर तैनात किया गया। खेल विभाग द्वारा गूंगा पहलवान को पुरस्कार राशि के तौर पर एक करोड़ की राशि भी दी गई थी, लेकिन यह पुरस्कार राशि और पद सामान्य और पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों को दी जाने वाली पुरस्कार के समान नहीं था। इसे लेकर विरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान ने हरियाणा स्पोर्ट्स काउंसिल ऑफ डेफ के माध्यम से अपने अधिकारों को लेकर न्यायालय में चुनौती दी है। लेकिन याचिका पर शोकॉज नोटिस का जवाब खेल विभाग की ओर से नहीं दिया गया और न ही कोई कोर्ट में हाजिर हुआ। इस पर विकलांग व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्त हरियाणा, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की अदालत में चल रहे मुकदमे में कोर्ट ने खेल एवं युवा मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और निदेशक पर जुर्माना लगाया है। साथ ही अगली सुनवाई के लिए 15 दिसंबर की तिथि तय की गई है।
डेफ खिलाड़ी विरेंद्र सिंह उर्फ गूंगा पहलवान की ओर से पैरवी कर रहे उनके साथी रामवीर डागर ने बताया कि पिछले नौ वर्ष से विरेंद्र सिंह को जूनियर कुश्ती कोच के पद पर तैनात कर रखा है, जो उनके साथ अन्याय है।
मार्च माह में दिए गए निर्देश के बाद सितंबर तक प्रतिवादी पक्ष की ओर से कोई जवाब न आने पर सोमवार को 10 हजार का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही सुनवाई के लिए 15 दिसंबर को अगली तारीख दी गई है।
–अजय वर्मा, अधिवक्ता
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