दशकों के इंतज़ार के बाद आख़िर वो घड़ी आ गई जब मलेशिया के राजनेता अनवार इब्राहिम को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है.
प्रधानमंत्री पद पर अनवार इब्राहिम की नियुक्ति उनके दशकों लंबे सफ़र और इंतज़ार का नतीज़ा है. इस सफ़र में उन्हें एक नहीं दो बार ये मौका मिला, लेकिन वे सत्ता के क़रीब पहुंचकर चूक गए.
अनवार इब्राहिम के कभी सरपरस्त रहे देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कद्दावर राजनेता महातिर मोहम्मद के दौर में उन्हें सालों जेल में बंद रखा गया.
देश के इन दो दिग्गज राजनेताओं के उतार-चढ़ाव भरे रिश्ते न केवल उनकी कहानी बल्कि मलेशिया की राजनीति और उसमें अनवार इब्राहिम के क़द को भी बयान करते हैं.
अनवार इब्राहिम अब 75 साल के हो चुके हैं. मलेशिया के इस्लामिक यूथ मूवमेंट ‘एबीआईएम’ की शुरुआत करने वाले इब्राहिम ने करिश्माई और कद्दावर छात्र नेता के तौर पर अपनी पहचान नौजवानी के दिनों में ही बना ली थी.
साल 1982 में देश पर लंबे समय तक हुकूमत करने वाली राजनीतिक पार्टी यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन (यूएमएनओ) का दामन थामकर उन्होंने कई लोगों को चौंका दिया था.
लेकिन आने वाले वक़्त ने ये साबित कर दिया कि यूएमएनओ से जुड़ना उनका सोचा-समझा और सधा हुआ राजनीतिक फ़ैसला था.
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अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार
वे तेज़ी से सियासी कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लगे और सरकार के कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाली. साल 1993 में वे महातिर मोहम्मद के डिप्टी बन गए और उस वक़्त उन्हें उनके उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा था.
लेकिन 1997 में मलेशिया एशियाई वित्तीय संकट की चपेट में आ गया और दोनों नेताओं के बीच अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर मतभेद उभर आए.
1998 के सितंबर में अनवार इब्राहिम को पद से बर्ख़ास्त कर दिया गया जिसके बाद उन्होंने महातिर मोहम्मद के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई की.
यहीं से ‘रिफॉर्मासी’ आंदोलन की शुरुआत हुई. इस सुधार आंदोलन ने मलेशिया के लोकतंत्र समर्थकों की एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया. अनवार इब्राहिम को गिरफ़्तार कर लिया गया. उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार और सोडोमी के आरोप लगाए गए.
इस मुक़दमे की सुनवाई विवादास्पद रही जिसमें इब्राहिम ने ख़ुद पर लगे आरोपों से इनकार किया.
मुस्लिम बहुल मलेशिया में समलैंगिकता अपराध है. हालांकि समलैंगिकता के लिए किसी को कसूरवार ठहराए जाने के मामले मलेशिया में कम ही मिलते हैं.
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महातिर मोहम्मद से प्रतिद्वंद्विता
अनवार इब्राहिम के मामले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई और इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया गया.
भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें जब छह साल की सज़ा सुनाई गई तो सड़कों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. इसके एक साल बाद उन्हें सोडोमी के ‘अपराध’ के लिए नौ साल जेल की सज़ा सुनाई गई.
इस आरोप पर अनवार इब्राहिम हमेशा यही कहते रहे कि ये उन्हें बदनाम करने की साज़िश थी ताकि उन्हें महातिर मोहम्मद के सामने राजनीतिक ख़तरा बनने से रोका जा सके. साल 2003 में महातिर मोहम्मद देश के प्रधानमंत्री पद से हट गए.
इसके साल भर बाद साल 2004 के आख़िर में मलेशिया के सुप्रीम कोर्ट ने अनवार इब्राहिम के ख़िलाफ़ दिए गए सोडोमी के फ़ैसले को पलट दिया और उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.
रिहाई के बाद वे मज़बूत हो रहे विपक्ष का चेहरा बनकर उभरे. साल 2008 के चुनावों में विपक्ष ने अच्छा प्रदर्शन भी किया.
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नेशनल कोएलिशन
लेकिन उसी साल इब्राहिम के ख़िलाफ़ सोडोमी के आरोप दोबारा लगे. इस पर इब्राहिम ने कहा कि उन्हें सियासी तौर पर दरकिनार करने के लिए ये सरकार की एक और कोशिश है.
जनवरी, 2012 में हाई कोर्ट ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए आख़िरकार इब्राहिम को बरी कर दिया.
इसके अगले साल उन्होंने विपक्ष का नेतृत्व किया और चुनावों में उसे नई ऊंचाइयों पर ले गए. सत्तारूढ़ बारिसान नेशनल कोएलिशन के लिए ये ऐतिहासिक तौर पर अब तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन था.
लेकिन इब्राहिम की महत्वाकांक्षाओं को एक बार फिर झटका लगा. साल 2014 में वे एक स्टेट इलेक्शन लड़ने की तैयारी कर रहे थे तभी उन्हें बरी किए जाने के फ़ैसले को पलट दिया गया और उन्हें वापस जेल भेज दिया गया.
साल 2016 में सियासी घटनाक्रम में उस वक़्त नाटकीय बदलाव आ गया जब उनके पूर्व प्रतिद्वंद्वी महातिर मोहम्मद ने प्रधानमंत्री पद के लिए एक बार फिर रेस में उतरने का एलान कर दिया.
उस वक़्त महातिर मोहम्मद की उम्र 92 साल थी. तब उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नजीब रज़्ज़ाक के भ्रष्टाचार से तंग आकर उन्होंने चुनावी मैदान में उतरने का एलान किया.
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अनवार इब्राहिम की लोकप्रियता
लेकिन अपनी वापसी के लिए महातिर मोहम्मद ने जेल में बंद अनवार इब्राहिम के साथ हाथ मिलाकर सियासी हलकों में बहुत से लोगों को चौंका दिया.
महातिर के इस फ़ैसले की वजह विपक्षी कार्यकर्ताओं के बीच इब्राहिम की लोकप्रियता का बने रहना था.
महातिर मोहम्मद और अनवार इब्राहिम एक-दूसरे के साथ हाथ मिलाएंगे, इस राजनीतिक गठबंधन के बारे में सोचना उस वक़्त नामुमकिन की हद तक मुश्किल था.
साल 2018 के चुनावों में महातिर मोहम्मद की अगुवाई में पाकतन हरपन गठबंधन को ऐतिहासिक जीत मिली और उसके साथ ही 61 साल से देश की सत्ता पर क़ाबिज़ बारिसान नेशनल कोएलिशन का दौर ख़त्म हो गया.
इस गठबंधन में चार पार्टियां शामिल थीं और इसे एक ऐसा विविधतापूर्ण गठबंधन कहा गया जिसमें कई नस्लीय समूह शामिल थे. इस गठबंधन को मलय मुसलमानों, देश के चीनी लोगों और भारतीय मूल के लोगों का भी साथ मिला.
मलेशिया के प्रधानमंत्री के तौर पर महातिर मोहम्मद ने अपना वादा पूरा किया और अनवार इब्राहिम को जेल से रिहा कर दिया. उन्हें सरकार की ओर से माफ़ी दे दी गई.
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कोरोना महामारी के समय
महातिर मोहम्मद ने ये भी संकेत दिए कि वे इब्राहिम को दो साल के भीतर सत्ता सौंप देंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और वे इब्राहिम को सत्ता सौंपने की अपनी डेडलाइन लगातार बदलने लगे.
सत्ता के हस्तांतरण और मलय राष्ट्रवाद के उभार के साथ दोनों नेताओं के बीच कड़वाहट एक बार फिर से बढ़ने लगी.
फ़रवरी, 2020 में महातिर मोहम्मद ने अप्रत्याशित तरीके से इस्तीफ़ा दे दिया और उनके त्यागपत्र के साथ ही पाकतन हरपन गठबंधन टूट गया.
मलेशिया के राजनीतिक अस्थिरता के दौर में दाखिल होने के साथ ही इब्राहिम एक बार फिर सत्ता के क़रीब पहुंचकर प्रधानमंत्री बनने से चूक गए.
नई सरकार के गिरने के बाद यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन की सत्ता में वापसी हुई और मुहयिद्दीन यासीन को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया गया.
लेकिन जब कोरोना महामारी अपने चरम पर थी तो यासीन ने संसद का भरोसा खो दिया और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.
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25 सालों का इंतज़ार
अक्टूबर, 2022 में यासीन के उत्तराधिकारी और यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन के नेता इस्माइल साबरी याकूब ने मध्यावधि चुनावों का एलान किया.
यूएनएमओ को उम्मीद थी कि वे चुनाव जीतेंगे और सत्ता में वापस लौट पाएंगे.
लेकिन अनवार इब्राहिम के पाकतन हरपन गठबंधन ने ज़्यादातर सीटें जीत लीं हालांकि अभी भी वे सरकार गठन के लिए ज़रूरी सीटों से थोड़े फ़ासले पर हैं.
हालांकि कुछ दिनों की अनिश्चितता के बाद मलेशिया के किंग ने अनवार इब्राहिम के प्रधानमंत्री पद पर नियुक्ति का एलान कर दिया और इसके साथ ही उनका 25 सालों का इंतज़ार ख़त्म हो गया.
लेकिन इब्राहिम के लिए आगे की राह चुनौतियों से भरी है. उन्हें एक ऐसा कामचलाऊ गठबंधन बनाना होगा जिसमें मलेशिया के विविधतापूर्ण समाज की भागीदारी हो.
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