भागलपुरएक घंटा पहलेलेखक: त्रिपुरारि
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मानिक सरकार स्थित निगम की पानी की टंकी। आज तक इसकी सफाई हाेते किसी ने नहीं देखी।
नहीं-नहीं हमने कभी निगम की पानी की टंकियाें की सफाई हाेते नहीं देखी। यह कहना है नगर पालिका व नगर निगम की जलकल शाखा में करीब 25 साल तक काम कर चुके रिटायर इंजीनियर हरेराम चाैधरी का।
जलकल में ही पाइप लाइन इंस्पेक्टर पद से रिटायर हाेनेवाले एक कर्मचारी, 26 साल से निगम में काम कर रहे एक अन्य इंजीनियर, 11 साल से सिकंदरपुर के बाेरिंग में काम करने वाले एक कर्मचारी ने भी बताया कि उन्हाेंने आज तक निगम की पानी टंकियाें की सफाई हाेते नहीं देखी।
पूर्व डिप्टी मेयर प्रीति शेखर कहती हैं कि निगम ने केवल निर्णय लिया पर टंकियाें की सफाई नहीं कराई। सिर्फ घंटाघर संप हाउस की सफाई हुई, लेकिन उससे पानी की आपूर्ति ही नहीं हुई। वार्ड 21 के निर्वतमान पार्षद संजय सिन्हा, वार्ड 49 से पूर्व पार्षद दीपक साह, इसी वार्ड से निर्वतमान पार्षद शशिकला देवी ने भी बताया कि उन्हाेंने आज तक निगम की पानी टंकियाें की सफाई हाेते हुए नहीं देखी।
यहां अपार्टमेंट की टंकी साफ की ताे निकली 10 किलाे से ज्यादा गाद
एक साधारण परिवार में रहनेवाले लाेग भी साल में कम से एक बार अपने घर की टंकी की सफाई करवाते हैं। शहर में ही 31 फ्लैट वाले एक अपार्टमेंट के पानी टंकी की हाल में सफाई कराई गई ताे उससे करीब 10 किलाे से ज्यादा गाद निकली।
मटमैला पानी व दुर्गंध आने के बाद अपार्टमेंट में रहने वालाें ने टंकी की सफाई कराई थी। निगम के पानी के भी मटमैला व दुर्गंध की लाेग शिकायत करते हैं, लेकिन उसपर ध्यान नहीं दिया जाता है।
दरअसल, नगर निगम क्षेत्र में 241 प्याऊ व मानिक सरकार व घंटाघर की दाे बड़ी जलमीनाराें की कभी साफ-सफाई ही नहीं हुई। जबकि भागलपुर में गंगा व जमीन के नीचे के पानी में फ्लाेराइड की मात्रा ज्यादा है। लेकिन निगम प्रशासन इसकाे ध्यान में रखे बिना शहर के छह लाख लाेगाें तक पानी की सप्लाई कर रहा है।
हर राेज शहर के अस्पतालाें में दूषित पानी से हाेने वाली बीमारियाें का इलाज कराने के लिए लाेग आ रहे हैं, लेकिन भागलपुर नगर निगम बने हुए 20 साल हाे गए, कभी टंकी की सफाई की ओर अफसराें का ध्यान नहीं गया।
सफाई के लिए तकनीकी टीम से करेंगे बात
समस्या आएगी ताे जलमीनाराें की सफाई कराएंगे। मेरी जानकारी में एक टंकी लीक हुई थी ताे खाली कर उसकी सफाई की गई थी। तकनीकी टीम से बात करेंगे कि कहां सफाई की जरूरत है। सफाई करने के लिए जलापूर्ति बंद करनी हाेगी। इससे लाेगाें काे पानी नहीं मिलेगा ताे दिक्कत हाेगी।-याेगेश सागर, नगर आयुक्त
टंकी की सफाई न हाेने से जमा हाेते हैं फफूंद : डाॅ राजीव
मेडिकल काॅलेज अस्पताल में तैनात गैस्ट्राेएंट्राेलाॅजिस्ट डाॅ. राजीव सिन्हा कहते हैं कि पानी अगर दूषित हाे ताे इससे जांडिस, टायफाइड, जिआर्डिया, डायरिया व अन्य बीमारी हाेने की संभावना ज्यादा रहती है। जमे हुए साफ पानी में डेंगू व मलेरिया के मच्छर भी पनपते हैं। इसलिए पानी ताे शुद्ध हाेना ही चाहिए। लंबे समय तक टंकियाें की सफाई नहीं हाेने से उसमें गाद जमा हाेने के अलावा फफूंद जमा हाे जाता है जाे बीमारी काे न्याेता देता है।
फिटकिरी या ब्लीचिंग पाउडर डालकर हाेती है सफाई
भागलपुर में पूर्व में जलापूर्ति याेजना पर कार्य कर चुके प्राेजेक्ट हेड राजीव रंजन मिश्रा कहते हैं कि अधिक दिनों तक टंकी की सफाई नहीं करने पर मिट्टी की परत जम जाती है। पानी में हल्का एसिड या फिटकरी डालकर घोल तैयार किया जाता है। उसे टंकी में डालकर कुछ देर के लिए छोड़ने से मिट्टी की परत निकल जाती है। ब्लीचिंग पाउडर डालकर भी टंकी की सफाई की जाती है।
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