रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत किसी ऐसी विश्व व्यवस्था में विश्वास नहीं करता जहां कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ समझा जाता है । उन्होंने कहा कि देशों के कार्य मनुष्यों की समानता एवं सम्मान के सार तत्व से मार्गदर्शित हों जोकि प्राचीन मूल्यों का हिस्सा है।
हिन्द प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता (आईपीआरडी) 2022 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने सुरक्षा और समृद्धि को हमेशा सम्पूर्ण मानवता के ‘सामूहिक उद्देश्य’ के रूप में देखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा दृढ़ विश्वास है कि अगर सुरक्षा सही अर्थों में सामूहिक उद्यम बन जाती है तब हम एक ऐसी विश्व व्यवस्था तैयार करने के बारे में सोच सकते हैं जो हम सभी के लिये लाभदायक हो । ’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि अब हमें सामूहिक सुरक्षा के दायरे से ऊपर उठकर साझे हित और साझी सुरक्षा के स्तर पर जाने की जरूरत है।
सिंह ने कहा, ‘‘ भारत बहुस्तरीय गठबंधन की नीति में विश्वास करता है जिसे विभिन्न हितधारकों के माध्यम से विविध सम्पर्कों के जरिये हासिल किया जा रहा है ताकि सभी के विचारों एवं चिंताओं के बारे में चर्चा की जा सके और उनका निपटारा किया जा सके । ’’
सुरक्षा परिदृश्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को एक की कीमत पर दूसरे की जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि हमें सभी के लिये जीत की स्थिति सृजित करने का प्रयास करना चाहिए ।
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि एक मजबूत एवं समृद्ध भारत का निर्माण दूसरों की कीमत पर नहीं हो सकता है बल्कि भारत दूसरों देशों को उनकी पूर्ण क्षमता को हासिल करने में मदद के लिये है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत किसी ऐसी विश्व व्यवस्था में विश्वास नहीं करता है जहां कुछ को दूसरों से श्रेष्ठ समझा जाता है । उन्होंने कहा कि देशों के कार्य मनुष्यों की समानता एवं सम्मान के सार तत्व से मार्गदर्शित हों जोकि प्राचीन मूल्यों का हिस्सा है।
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘अब युद्ध का समय नहीं है’ टिप्पणी का उल्लेख किया । उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब मानवता जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और व्यापक रूप से अभाव जैसी समस्याओं का सामना कर रही हो, तब यह आवश्यक हो जाता है कि हम सभी युद्धों और संघर्षों के विनाशकारी झांसे से विचलित हुए बिना, इन विशाल चुनौतियों से निपटने के लिए परस्पर मिलकर काम करें।’’
राजनाथ सिंह ने व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाने, क्षमता निर्माण करने और बुनियादी ढांचागत पहलों को बढ़ाने के लिए एक साथ मिलकर समय की कसौटी के तरीकों के रूप में काम करने पर जोर दिया ।
उन्होंने इस बात को दोहराया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रचनात्मक जुड़ाव में अपने सहयोगियों के साथ काम करने का भारत ने हमेशा ही प्रयास किया है।
उन्होंने ‘भारत-प्रशांत महासागर पहल’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पहल के लिए क्षेत्रीय सहयोग और भागीदारी महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जो सागर यानी ‘सभी क्षेत्र के लिए सुरक्षा और विकास’ के दृष्टि पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एक क्षेत्रीय सहकारी संरचना की रूपरेखा तैयार करते हैं।
सिंह ने एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण विश्व के निर्माण की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों को एक नैतिक जिम्मेदारी बताया।
तीन दिवसीय आईपीआरडी के समापन दिवस पर आयोजित इस विशेष सत्र में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने भारत की समग्र समुद्री सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरों और चुनौतियों के बारे में चर्चा की ।
इस अवसर पर, रक्षा मंत्री ने नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) द्वारा प्रकाशित ‘कोस्टल सिक्योरिटी डाइमेंशन्स ऑफ मैरीटाइम सिक्योरिटी’ नामक एक पुस्तक का भी विमोचन किया।
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