देश के पहले गैर कांग्रेसी पीएम बने मोरार जी देसाई अकेले ऐसे शख्स थे जिन्हें भारत रत्न दिए जाने से पहले पाकिस्तान के ‘भारत रत्न’ निशान-ए- पाकिस्तान से नवाजा गया था.
मोरार जी देसाई पहले ऐसे शख्स थे जिन्हें भारत से पहले पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला था.
बांग्लादेश का उदय होने के बाद भारत – पाकिस्तान के बीच रिश्ते तल्ख थे. 1977 में भारत की राजनीति में बदलाव की ऐसी लहर चली की की पीएम की कुर्सी मिली एक गुजराती को. मोरारजी देसाई देश के पीएम बने तो उन्होंने भारत-पाक के बीच रिश्ते सुधारने का काम किया. पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति को कभी अपना छोटा भाई कहा तो कभी चेतावनी भरे लहजे में एक्शन लेने की चेतावनी भी दी. देश के चौथे और पहले गैर कांग्रेसी पीएम बने मोरार जी देसाई अकेले ऐसे शख्स थे जिन्हें भारत रत्न दिए जाने से पहले पाकिस्तान के ‘भारत रत्न’ निशान-ए- पाकिस्तान से नवाजा गया था.
भारत रत्न से पहले मिला निशान-ए-पाकिस्तान
मोरारजी देसाई 1977 से 1979 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. उन्होंने पाकिस्तान और भारत के बीच रिश्ते सुधारने के लिए काफी कोशिशें कीं थीं. वह पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउल हक से भी मिले थे और दोनों देशों के बीच लेन-देन यानी की व्यापार होते रहने की बात कही थी. मोरारजी देसाई के इसी प्रयास के चलते उनके सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद पाकिस्तान ने 1990 में उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा था. इसके बाद भारत सरकार ने 1991 में उन्हें भारत रत्न दिया था. खास बात ये है कि वह निशान-ए-पाकिस्तान पाने वाले पहले भारतीय थे.
जब पाक राष्ट्रपति से बोले- ‘मैं एक्शन लेना भी जानता हूं’
मोरार जी देसाई ने पाक के तत्कालीन राष्ट्र जियाउल हक से मुलाकात की तो दोनों देशों के बीच व्यापार चलते रहने की वकालत की. खुद को बड़ा भाई बताते हुए यह भी कहा कि ‘मुझे कुछ नहीं लेना, तुम्हें सब देना ही है’. हालांकि इसी मुलाकात में उन्होंने जिया उल हक को धमकी भी दी थी कि ‘अगर कुछ गलत होता है तो जिम्मेदार तुम होगे. मैं बातें करने वाला नहीं हूं. एक्शन लेना भी जानता हूं.’
गोधरा के दंगों ने बदला था जीवन
मोरार जी रणछोड़ भाई देसाई का जन्म गुजरात के वलसाड क्षेत्र के एक गांव भदेही में हुआ था. वह बचपन से ही पढ़ने-लिखने में होशियार थे. मुंबई प्रोविंशियल सिविल सेवा एग्जाम पास कर वह अधिकारी बने और सबसे पहले उप जिलाधीश बनाए गए अहमदाबाद के. कुछ समय बाद उनका ट्रांसफर गोधरा में कर दिया गया. 1927-28 में गोधरा में भयंकर दंगे हुए. एक अधिकारी के तौर पर मोरार जी देसाई पर एक पक्ष का साथ देने का आरोप लगा तो उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस के साथ जुड़ गए.
देश के थे सबसे बुजुर्ग पीएम
मोरार जी देसाई की काबिलियत ने कुछ ही दिनों में उन्हें गुजरात की राजनीति का प्रमुख चेहरा बनाया और देखते ही देखते वह देश की राजनीति में छा गए.पहले वित्त मंत्री बने तो एक वित्त मंत्री के तोर पर सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाया. 1969 में कांग्रेस जब बंटी तो मोरार जी देसाई ने भी कांग्रेस आलाकमान से दूसरी बना ली और 1975 में वह जनता पार्टी में शामिल हो गए. 1977 में वह 81 वर्ष की उम्र में देश चौथे और पहले गैर कांग्रेसी पीएम बने. वह देश के सबसे बुजुर्ग पीएम में से एक थे.
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