ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने से किया मैदानों की ओर रुख, सदियों से जारी है जंगलों में रहने का पुश्तैनी व्यवसाय
बीआर चौहान-यशवंतनगर
प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने से भेड़पालकों ने मैदानी क्षेत्रों का रूख कर दिया है। बता दें कि पूरे वर्ष भेड़पालक सर्दियों में मैदानी क्षेत्र और गर्मियों में पहाड़ों की ओर पलायन करते हैं। चिलचिलाती गर्मी हो या बरसात के अतिरिक्त ठिठुरती ठंड में गडरिये अपनी भेड़-बकरियों के साथ खुले मैदान में डेरा जमाए रहते हैं। किन्नौर के छितकुल से आए घुमंतू भेड़पालक छेरिंग का कहना है कि भेड़-बकरियों को पालना उनका पुश्तैनी व्यवसाय है। इस परंपरा को कायम रखने के लिए वह साल भर घरों से बाहर रहकर अपना जीवन-यापन करते हैं। इनका कहना है कि उनका जीवन बहुत संघर्षमय है, परंतु वह इस कार्य से आदी हो चुके हैं अन्यथा बिना छत के साल भर बाहर रहना बहुत मुश्किल होता है। उन्होंने बताया कि किन्नौर में अब यह व्यवसाय काफी कम हो चुका है गिने चुने कुछ परिवार ही इस व्यवसाय से जुड़े हैं। इसी प्रकार डोडरा क्वार से भेड़-बकरियां लेकर आए रामदास ने बताया कि विशेषकर निचले क्षेत्रों में चारागाहों की भी कमी हो गई है जिस कारण इस पेशे से जुड़े अनेक लोगों ने यह कार्य छोड़ दिया है।
उन्होंने बताया कि अतीत में वन विभाग द्वारा चरागाह के परमिट उदारता से दिए जाते थे, परंतु अब लोगों द्वारा शामलात भूमि पर कब्जे किए जाने के कारण उन्हें भेड़-बकरियों को चुगाने के लिए बहुत कठिनाई पेश आ रही है। गौर रहे कि प्रदेश के किन्नौर, डोडरा क्वार, चंबा, पांगी इत्यादि के क्षेत्रों में घुमंतू भेड़पालकों की संख्या काफी अधिक है। पशुपालन विभाग के अनुसार प्रदेश के छह जिलों चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, शिमला, किन्नौर और सिरमौर में भेड़पालन का कार्य किया जाता है और वर्तमान में इन क्षेत्रों में भेड़-बकरियों की संख्या करीब 19 लाख है जिनमें से 60 प्रतिशत घुमंतू भेड़पालक हैं जिन्हें सुविधाएं प्रदान करने के लिए वूल फेडरेशन द्वारा समय-समय पर जागरूकता कैंप लगाए जाते हैं। वूल फेडरेशन के कार्यालय में जब इस बारे बात की गई तो उन्होंने बताया कि भेड़पालकों को सोलर लाइटें, प्राथमिक उपचार किटें, तिरपाल इत्यादि सामान नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाता है। उन्होंने बताया कि फेडरेशन द्वारा उचित दरों पर भेड़पालकों से ऊना भी खरीदी जाती है जिसके लिए प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर विशेष संग्रहण केंद्र खोले गए हैं।…(एचडीएम)
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