केरल कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत को अतुल्य भारत और गॉड्स ओन कंट्री (ईश्वर का घर) अभियानों की संकल्पना का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने नीति आयोग के सीईओ के रूप में भी अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई है. हाल ही में उन्हें ऐसे समय में जी-20 के शेरपा की जिम्मेदारी सौंपी गई, जब भारत शक्तिशाली देशों के इस क्लब का नेतृत्व कर रहा है. लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता ने उनसे बातचीत की. प्रमुख अंश…
– भारत के अगले एक साल तक जी-20 की अध्यक्षता करने का क्या महत्व है?
भारत की अध्यक्षता में हम जी-20 को सामूहिक कार्रवाई का प्रमुख मंच बनाना चाहते हैं. हम डिजिटल ट्रांसफार्मेशन में भारत की उपलब्धियों को साझा करना चाहते हैं और सदस्य देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण के माध्यम से सर्वोत्तम तरीकों को साझा करने के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं. मैं इस अवसर के महत्व पर जोर देना चाहता हूं जैसा कि बाली शिखर सम्मेलन में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा साझा किया गया था-हमारा उद्देश्य भारत की जी-20 अध्यक्षता को सभी सदस्य और अतिथि देशों के लिए समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुख बनाना है.
– हम राजनयिक और आर्थिक मोर्चों पर इस अवसर से क्या हासिल करने की उम्मीद कर सकते हैं?
हमने वैश्विक अर्थव्यवस्था में कई चुनौतियों जैसे ऋण संकट, महामारी के बाद की धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था और जलवायु संकट से निपटने के प्रयासों और विकास तेज करने के लिए अध्यक्ष पद ग्रहण किया है. समकालीन वैश्विक परिदृश्य में, विश्व को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो बहुपक्षीय सहयोग को सुकर बनाएं. समावेशी और न्यायसंगत विकास तथा सस्टेनेबिलिटी पर हमारा फोकस हमारी जी-20 प्राथमिकताओं में दृढ़ता से प्रतिबिंबित होगा. भारत के लिए यह वैश्विक प्राथमिकताओं और संस्थानों को इस तरह से आकार देने का अवसर है कि वे उभरती अर्थव्यवस्थाओं की जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं के अनुकूल हों.
– अगले एक वर्ष के दौरान जी-20 देशों के सामने क्या चुनौतियां आने की संभावना है?
हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती चल रहे राजनीतिक संघर्षों को हल करने के लिए सामूहिक रूप से बातचीत और कूटनीति के रास्ते को आगे बढ़ाने की है. विचार-विमर्श के माध्यम से, जी-20 में अपने सदस्य देशों के लिए सकारात्मक परिणामों को हासिल करने और विकासशील देशों के लिए समग्र विकास करने की काफी क्षमता है. खाद्य और ऊर्जा की बढ़ती कीमतें कई देशों में महंगाई बढ़ा रही हैं. 19 में से 3 जी-20 देशों में मुद्रास्फीति की दर 10 प्रतिशत से अधिक है, जबकि 7 सदस्यों की मुद्रास्फीति की दर 7.5 से 10 प्रतिशत के बीच है. यह स्थिति अतिरिक्त खपत, बढ़ती ब्याज दरों और आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों से और बिगड़ जाती है. हमें विकास और हरित ऊर्जा के लिए न्यायसंगत मॉडल पेश करने और इसके लिए जी-20 के राजनीतिक नेतृत्व के बीच आम सहमति बनाने की आवश्यकता है. तीसरी चुनौती सतत विकास लक्ष्य 2030 पर हमारी रुकी हुई प्रगति को फिर से शुरू करना है. भारत इन चुनौतियों को परिवर्तन के अवसरों में बदलने के लिए तत्पर है. हमारा मंत्र ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ हमारी प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है.
– हम भारत में जी-20 देशों की मेजबानी की तैयारी कैसे कर रहे हैं?
भारत की अध्यक्षता में जनभागीदारी के तहत योजनाबद्ध विभिन्न गतिविधियों, जैसे प्रवासी भारतीय दिवस, टाटा मुंबई मैराथॉन और 75 विश्वविद्यालयों में युवाओं के लिए विश्वविद्यालय आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों का अधिकतम जुड़ाव और भागीदारी लाने तथा एक यादगार आयोजन बनाने सहित अन्य प्रयास किए जा रहे हैं. जी-20 सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडलों को विशिष्ट ‘भारतीय अनुभव’ प्रदान करने के लिए देश भर में प्रतिष्ठित स्थानों के भ्रमण की योजना बनाई गई है. सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. मेहमानों को भारत के विभिन्न वस्त्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले उपहारों की श्रृंखला के साथ एक किट भेंट की जाएगी.
– हम कितनी बैठकों की योजना बना रहे हैं और किन शहरों में? स्थल चयन का कोई विशेष कारण?
हमारी अध्यक्षता के दौरान, भारत 55 शहरों और 32 विभिन्न क्षेत्रों में 200 से अधिक बैठकों की मेजबानी करेगा जो प्रतिनिधियों को विश्वस्तरीय ‘भारतीय अनुभव’ प्रदान करेगा. यह राष्ट्र की एकजुट ताकत को भी प्रदर्शित करेगा.
– रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, जी-20 बाली शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के हस्तक्षेप को दुनिया ने कैसे देखा?
एससीओ में माननीय प्रधानमंत्री के बयान ‘आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए’ को अधिकांश देशों ने समय की स्पष्ट पुकार के रूप में प्रतिध्वनित किया. इस बयान के लिए मीडिया का रुख भी बेहद सकारात्मक देखा गया था, और इस बयान को बाद में बाली घोषणा में शामिल किया गया. भारत ने शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से समाधान का मार्ग प्रशस्त किया, राष्ट्रों के बीच आम सहमति बनाई और इसलिए एक मजबूत सामाजिक-आर्थिक व राजनीतिक वैश्विक गतिविधि के लिए, इस कसौटी के समय में दुनिया को जिस महत्वपूर्ण नेतृत्व की जरूरत है, उसके रूप में भारत उभर रहा है.
– क्या भारत अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के आज के समय में विशेष रूप से सदस्य देशों के बीच अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है?
हमारा प्रयास होगा कि जी-20 सदस्य देशों की वैश्विक चुनौतियों के लिए सामूहिक महत्वाकांक्षाओं और प्रतिक्रियाओं को बढ़ाया जाए और विकासशील देशों की जरूरतों और दृष्टिकोणों को भी सामने लाया जाए, जो अध्यक्ष पद के लिए हमारे दर्शन और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना के अनुरूप है.
– जी-20 देशों के समक्ष हम कौन से सर्वोत्तम काम प्रदर्शित कर सकते हैं?
डिजिटल सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन के मामले में भारत के पास ज्ञान और सर्वोत्तम तरीकों के रूप में दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है. हमारे पास आधार है, जो दुनिया की सबसे बड़ी बायोमीट्रिक प्रणालियों में से एक है; ‘कोविन’ के जरिये हमने अरबों लोगों को टीका लगाया है; प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के अंतर्गत भारतीय परिवारों के लिए लाखों बैंक खाते खोले गए हैं; जीएसटी-पूरी तरह से कागज रहित कराधान व्यवस्था सहित डीबीटी, डिजिलॉकर, ई-संजीवनी आदि इसमें शामिल हैं. डिजिटलीकरण ने भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने और उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
Web Title: Amitabh Kant interview G 20 Sherpa says will show India’s achievements to world
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