अजमेर36 मिनट पहले
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- स्कूल संचालक व राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एक दूसरे की गलती बता रहे
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की तकनीकी खामी और स्कूल संचालकों की लापरवाही से प्रदेश के 10वीं-12वीं के 5 हजार से अधिक विद्यार्थियों को पेनल्टी के रूप में करीब 30 लाख रुपए भरना पड़ सकता था। कारण, इन परीक्षार्थियों ने स्कूलों को शुल्क जमा करा दिया था, लेकिन स्कूल संचालकों ने बोर्ड द्वारा तय की गई समय सीमा में विद्यार्थियों का शुल्क बैंक में जमा नहीं किया।
ऐसे में इन विद्यार्थियों पर शुल्क के 600 रुपए के साथ ही अतिरिक्त शुल्क के रूप में 600 रुपए जमा करने का भार और आ गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए बोर्ड ने 4 हजार विद्यार्थियों पर लगने वाली पेनल्टी के करीब 24 लाख रुपए नहीं लेकर उन्हें राहत दी है। इसके बावजूद भी प्रदेश के करीब एक हजार परीक्षार्थियों पर 6 लाख रुपए पेनल्टी की तलवार अभी लटकी हुई है। बोर्ड ने साधारण शुल्क के साथ बोर्ड परीक्षा आवेदन पत्र भरने की अंतिम तिथि 30 सितंबर तक तय की थी। यदि अंतिम तिथि से पहले ही स्कूल परीक्षार्थियों के फार्म व शुल्क जमा करा देते तो किसी भी परीक्षार्थी को पेनल्टी नहीं लगती।
100 स्कूलों के ही 5 हजार परीक्षार्थी
औसतन एक स्कूल में 50 विद्यार्थी भी 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बैठें तो करीब 5 हजार परीक्षार्थी ऐसे थे, जिन्होंने स्कूल संचालकों को परीक्षा शुल्क जमा कर दिया था। 600 रुपए प्रति परीक्षार्थी के हिसाब से यह शुल्क 30 लाख रुपए होता है। एक अक्टूबर से बोर्ड ने विलंब शुल्क के साथ आवेदन मांगना शुरू किया। ऐसे में 30 लाख रुपए सामान्य शुल्क और 30 लाख रुपए ही पेनल्टी भी इन बच्चों पर लग गई। सामान्य शुल्क और पेनल्टी मिला कर स्कूल संचालकों को अब 60 लाख रुपए भरना था।
आरोप-बोर्ड की तकनीकी खामी है
स्कूल संचालकों ने बोर्ड की तकनीकी खामी बताते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने 30 सितंबर को ही फॉर्म भर कर लॉक कर दिए थे और चालान जनरेट कर लिए थे। बोर्ड ने परीक्षा शुल्क जमा कराने के लिए 4 अक्टूबर तक का समय दिया हुआ था। जब बैंक गए तो बैंक ने बोर्ड की वेबसाइट से डाउनलोड किए गए चालान को गलत बताते हुए शुल्क जमा करने से मना कर दिया। दूसरा चालान लाने के लिए कहा।
अंतिम तिथि के इंतजार में होती हैं गलतियां
बोर्ड द्वारा परीक्षा फार्म भरने के लिए करीब डेढ़ महीने का समय विद्यार्थियों के परीक्षा फार्म भरने के लिए अवसर दिया। स्कूल संचालक अंतिम दिनांक के निकट आने पर फार्म भरते हैं। इससे कई प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ती है।
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