आचार्य के इन 6 मूलमंत्र में छुपी पूरी चाणक्य नीति
मुख्य बातें
- चाणक्य नीति में जीवन को सफल और सुखमय बनाने के कई उपयोगी सुझाव
- जरूरत से ज्यादा ‘सीधा’ व्यक्ति सबसे पहले फंसता है मुसीबत में
- व्यक्ति को समय-समय पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहिए
आचार्य चाणक्य के 6 मूलमंत्र
1. आचार्य चाणक्य के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ‘सीधा’ नहीं होना चाहिए। क्योंकि जिस तरह से वन में सीधे तने वाले पेड़ ही काटे जाते हैं, टेढ़े को कोई छूता। उसी तरह सीधे इंसान सबसे पहले मुसीबत में फंसते हैं।
2. आचार्य कहते हैं कि, जिस तरह से बगैर जहर वाला सांप भी फुफकारना नहीं छोड़ता, उसी तरह से कमजोर व्यक्ति को भी हर वक्त अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। समय-समय पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहिए।
3. आचार्य कहते हैं कि, कभी भी अपने रहस्यों को (सिवाय अपने गुरु के) किसी के साथ साझा मत करो, चाहे वह आपकी पत्नी या मित्र ही क्यों न हो। यही आपको बर्बाद करने का कारण बनेगी।
4. चाणक्य के अनुसार, हर मित्रता के पीछे कुछ न कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई भी दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है, लेकिन यही सत्य है।
5. संकट काल के लिए हमेशा धन बचा कर रखें। जब परिवार पर संकट आए तो धन कुर्बान कर दें, लेकिन जब स्वयं की रक्षा करने का समय आए तो अपने परिवार और धन दोनों को ही दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
6. आचार्य बच्चों की परवरिश के बारे में सुझाव देते हुए कहते हैं कि, अपने बच्चे को पहले पांच साल दुलार के साथ पालना चाहिए। अगले पांच साल उसे डांट-फटकार के साथ निगरानी में रखना चाहिए। इसके बाद उसे दुनियादारी सिखाएं और जब बच्चा सोलह साल का हो जाए, तो उसके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना शुरू कर दें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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