जब भी हम रेप जैसे जघन्य अपराध के बारे में बात करते हैं, तो संविधान में बलात्कार को साबित करने के लिए कई मापदंड बनाए गए हैं। कई बार अपराधी के साथ खड़े लोगों को आपने ऐसी दलीलें देते हुए सुना होगा कि रेप तब तक नहीं साबित होता जब तक इंटरकोर्स न हुआ हो। यौन उत्पीड़न के आरोपियों का बचाव करने के लिए इस तरह के फूहड़ तर्कों का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि पोक्सो एक्ट के तहत किसी वस्तु या शरीर के अन्य अंगों (Organs) जैसे उंगलियों (Fingers) और पैर के अंगूठे का उपयोग करके सेक्सुयल हरासमेंट करने को भी यौन शोषण के दायरे में शामिल किया गया है।
इसी कड़ी में यौन अपराध की एक नई शब्दावली है डिजिटल रेप (Digital Rape)। बच्चे इसके सबसे सॉफ्ट टार्गेट होते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप इसके बारे में सब कुछ जानें और अपने बच्चों को इसके बारे में जागरुक करें।
यौन शोषण के बारे में बेतुकी दलीलों की वजह से कई बार अपराधी बच निकलता है। मगर अब नहीं, क्योंकि न्याय प्रणाली नें यौन उत्पीड़न या यौन अपराधों को समझने के लिए एक नए शब्द को अपने शब्द कोश में शामिल किया है और वो है ”डिजिटल रेप” (Digital Rape)। नाम में डिजिटल जुड़ा है, लेकिन इसका वर्चुअल दुनिया से कोई लेना देना नहीं है।
नोएडा में सामने आया ”डिजिटल रेप” का मामला
शायद आपने भी यह शब्द सुना हो। बीते दिनों ”डिजिटल रेप” के बारे में तब चर्चाएं बढ़ने लगीं थी जब नोएडा के पास गौतम बुद्ध नगर में 3 साल की बच्ची के साथ रेप का मामला सामने आया। बच्ची के साथ यह घटना तब हुई जब वह प्ले स्कूल में थी। हालांकि, अपराधी का अभी तक पता नहीं चल पाया है क्योंकि बच्ची सहमी हुई है। मगर इस मामले को POCSO अधिनियम की धारा 375, के तहत ”डिजिटल रेप” की श्रेणी में दर्ज कर लिया गया है।
छोटे बच्चे सहम जाते हैं और कुछ बता नहीं पाते क्योंकि कई बार उन्हें सही और गलत के बीच का अंतर नहीं पता होता है। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि उनकी मां होने के नाते आप उन्हें गुड और बैड टच के बारे में समझाएं। कहां तक किसी का छूना सही है और कहां तक नहीं, उन्हें ये बताना बहुत ज़रूरी है। ताकि बच्चे फर्क करना सीख सकें।
तो चलिये जानते हैं कुछ टिप्स जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को ‘डिजिटल रेप’ से बचा सकती हैं, लेकिन उससे पहले जान लेते हैं इसका सही मतलब
क्या होता है “डिजिटल रेप’? (Digital Rape Meaning)
डिजिटल रेप का साइबर अपराध या ऑनलाइन या वर्चुअल स्पेस में किए गए यौन अपराध से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि, यह सहमति के बिना हाथों और पैर की उंगलियों से योनि में की जाने वाली जबरन छेड़ – छाड़ है। यहां तक कि किसी ऑब्जेक्ट का डाला जाना भी डिजिटल रेप की श्रेणी में ही आता है।
अंग्रेजी में, ‘डिजिट’ (Digit) शब्द का अर्थ है पैर और हाथ की उंगली और अंगूठा। जिसकी मदद से कोई रेप करने की कोशिश करता है। इससे पहले इस तरह की नीचता को बलात्कार (Rape) नहीं, बल्कि छेड़छाड़ माना जाता था।
क्या हो सकते हैं बच्चे में सेक्सुयल अब्यूस के वार्निंग साइन
खिलौनों या वस्तुओं के साथ अनुचित, यौन तरीके से कार्य करना
बुरे सपने आना, नींद न आने की समस्या
पीछे हटना या बात न करना
असामान्य रूप से सीक्रेटिव होना
अचानक बिहेवियर बादल जाना
बिस्तर गीला करना
किसी से भी डर जाना और अकेले न रहना
गुस्सा आना और खाने की आदतों में बदलाव
टिप्स जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को ‘डिजिटल रेप’ के बारे में जागरुक कर सकती हैं
1 बच्चे को प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बताएं
जैसे ही बच्चा बड़ा होना शुरू करता है एक या दो साल की उम्र पर वे खुद को एक्सप्लोर करता है। इसी समय उसे उसके प्राइवेट पार्ट्स (Private Parts) के बारे में बताएं। आप कुछ बेसिक जानकारी के साथ शुरू कर सकती हैं जैसे कि ऑर्गन और उसके कार्य बताना। इसी समय पर बच्चा बॉडी इमेज के बारे में भी सीखता है इसलिए बिना किसी अजीब रिएक्शन के उसे इनके बारे में सेहत तरीके से बताएं।
2 समझाएं गुड और बैड टच
एक बार जब बच्चा अपने प्राइवेट पार्ट्स के बारे में समझ जाए तो उसे बताएं कि किसी और का इनपर हाथ लगाना गलत है और यही ‘बैड टच’ (Bad Touch ) है। वेजाइनल एरिया, बगल, होंठ, हिप्स और चेस्ट पर, किसी का भी हाथ लगाना ठीक नहीं है। इसके अलावा गालों को प्यार से छूना गुड टच हो सकता है वो भी सिर्फ अपनों का।
यदि उनके साथ कुछ भी इस तरह का हो तो वो तुरंत आपको बताएं।
3 बच्चों को सही और गलत बिहेवियर के बारे में बताना
किसी का भी जननांगों को छूना या सार्वजनिक या निजी तौर पर उनके सामने हस्तमैथुन करना गलत है
उनके लिए किसी दोस्त या नए भाई-बहन के जननांगों को देखना या छूना सही नहीं है
साथियों को प्राइवेट पार्ट्स दिखाना भी गलत है
किसी के बहुत पास खड़े रहना या बैठना
साथियों या वयस्कों की नग्न झलक पाने की कोशिश करना
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