रतलाम, 16 जनवरी (हि.स.)। मालवांचल लोक कला संस्कृति संस्थान में मकर संक्रान्ति लोकोत्सव कार्यक्रम में मकर संक्रांति का भौगोलिक – खगोलीय एवं लोक सांस्कृतिक महत्व पर संगोष्ठी में शा.कन्या महाविद्यालय की भूगोल विषय प्राध्यापक डॉ मायारानी देवड़ा ने मकर संक्रांति पर्व की खगोलीय घटना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय जन मानस उत्सव धर्मी होता है । हमारी भारतीय संस्कृति में धर्म एवं विज्ञान एक दूसरे के पूरक है और मनुष्य प्रकृति को पूजता आया है ।
डॉ देवड़ा ने कहा कि सूर्य का मकर राशि मे उत्तरायण होना , सूर्य की तेजस्विता में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है । हमारे खगोलशास्त्रीयो ने पृथ्वी के परिभ्रमण की खोज की थी । आर्यभट्ट 475 ई. के थे उन्होंने पृथ्वी गोल हैऔर उसकी परिधि को नाप को स्पष्ट किया था । वराहमिहिर बड़े खगोलविद हुऐ जिन्होंने सूर्य ग्रहण एवं चन्द्र ग्रहण पृथ्वी की परछाई से होंगे इसकी खोज की थी। न्यूटन से कई शताब्दियों पहले भास्कराचार्य ने कहा कि पृथ्वी में चुम्बकीय बल है । पृथ्वी से सबसे निकट ध्रुव तारा है ,यह उत्तरी ध्रुव पर स्थित होकर स्थिर है पृथ्वी एक ग्रह है । जो सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है ।
उन्होंने बताया कि पृथ्वी के दो भाग करने वाली रेखा को भूमध्य रेखा कहते हैं । जिससे पृथ्वी 23ए झुकी रहती है । इसके घूर्णन के कारण दिन – रात होते है । अक्षांश रेखा एवं देशांतर रेखाओं के कारण पृथ्वी 365 दिन में सूर्य की परिक्रमा करती है । हमारी समस्त खगोलीय घटना से दिन का बड़े – छोटे होना ग्रहों- नक्षत्रों का परिभ्रमण आदि आदि घटनाएं होती है । जो पृथ्वी के जन जीवन को प्रभावित करती है । हमारा जोतिष भी विज्ञान सम्मत है : और खगोल धर्म सम्मत ।
वहीं प्रतिभा चाँदनी वाला ने कहा कि हम भारतीय सूर्य के उपासक हैं । हमारी संस्कृति तमसो मा ज्योतिर्गमय की संस्कृति है । संक्रान्ति पर्व बहुत सारे परिवर्तनों को लेकर आता है । सूर्य का राशि परिवर्तन हमारे भी जीवन मे परिवर्तन का द्योतक है । संक्रान्ति से जुड़ी आस्थाएं तिल गुड़ का सेवन, पतंग एवं गिल्ली डंडा सभी हमे जीवन का संदेश देते है । आज इन पर्वो को हमे नई पीढ़ी में संचरित करने की आवश्यकता है । भारत एक कृषि प्रधान देश है नई फसल का आना भी नव जीवन की प्रेरणा देता है ।
डॉ.उषा व्यास ने कहा कि उत्तरायण हमारे शारीरिक मानसिक एवं आत्मिक विकास का परिचायक है । वही पतंग हमे लक्ष्य को साध कर गन्तव्य तक पहुंचने की प्रेरणा देती है । हमारे शास्त्र एवं अवतरित जीवन चरित्र इस बात के प्रमाण हैं कि जब भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी तो वह इंद्र लोक तक पहुंची थी । ऐसी ही अनन्त ऊंचाइयों को हम छुए।
डॉ.मंगलेश्वरी जोशी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि सूर्य के उत्तरायण होने का अर्थ हमारे उत्तरोत्तर विकास की ओर संकेत करता है । नए नए धान का अंकुरण हमारे जीवन में नई चेतना को अंकुरित करता है ।
अनुराधा खरे ने कहा कि अंधकार से प्रकाश की ओर चलो की परंपरा निश्चित ही मनुष्य की चेतना को प्रखर करती है । भारतीय पंचांग की तिथियां चन्द्रमा की गति पर आधारित है। 90 प्रतिशत पृथ्वी की आबादी उत्तरी गोलार्ध की ओर निवास करती है , उत्तरायण हमें ऊर्जा प्रदान करता है।
डॉ शोभना तिवारी ने कहा कि खगोल से लोक तक यह मकर संक्रांति का पर्व अनूठा पर्व है जो हमे पृथ्वी से, धरातल से जुड़े रहने का जमीनी सतह से जुड़े रहने का संदेश देता है । और पतंग ऊंचाइयों को प्राप्त करने का संदेश देती है ।
रश्मि उपाध्याय ने पतंग के साथ खेले जाने वाले गुल्ली डंडा के खेल पर दृष्टि पात करते हुए कहा कि गुल्ली पर डंडे की चोंट और उसके उछलकर सुदूर जाने की गति हमें जीवन का सन्देश देती है । प्रेमचंद पूरी भारतीय संस्कृति के संवाहक है । साहित्य और संस्कृति एक दूसरे के पर्याय है ; वैसे ही गुल्ली डंडा और प्रेमचंद एक दूसरे के पर्याय है ।
हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी
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