नोएडा प्राधिकरण की पहल से कचरे को बिना प्रदूषण के हो सकेगा निपटारा
तस्वीर साभार : Twitter
मुख्य बातें
- नोएडा में पहली बार नई टेक्नोलॉजी से होगा कचरे का निस्तारण
- कचरा निस्तारण में बिजली और फ्यूल भी नहीं होगा खर्च
- कचरा निस्तारण करते समय नहीं होगा किसी तरह का प्रदूषण
बता दें कि, सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस कचरा निस्तारण पर न तो एक यूनिट बिजली खर्च होगी और न ही किसी तरह का ईंधन खर्च किया जाएगा। नई तकनीकी के जरिए कचरा जब निस्तारित कर लिया जाएगा तो उससे निकलने वाला धुआं भी कार्बन मुक्त होगा, जिसका पर्यावरण पर कोई भी गलत असर नहीं होगा। बता दें कि, इस तकनीकी से नोएडा का कचरा भी निस्तारित होगा, जिस पर बिजली व फ्यूल तक खर्च नहीं करना होगा। यह तकनीकी पूरी तरह से यूएस बेस्ड बताई जा रही है।
निपटारे के बाद निकलने वाली राख का यहां होगा उपयोग
मिली जानकारी के अनुसार, इस टेक्नोलॉजी में कूड़े के निस्तारण के लिए उसे सेग्रीगेट यानी अलग-अलग नहीं करना होता है। मशीन सेल्फ आपरेट होती है। निस्तारण के दौरान न तो कोई बदबू आएगी और न ही हेल्थ पर कोई गलत असर होगा। बता दें कि, 100 मीट्रिक टन के प्लांट के लिए महज 5 हजार वर्गमीटर जमीन इस्तेमाल की जाएगी। इसके जरिए बायो मेडिकल वेस्ट और ई वेस्ट का भी निस्तारण हो सकेगा। इस तकनीकी में कपूर, लकड़ी और पानी का उपयोग किया जाएगा। जिससे निकलने वाला धुआं कार्बन रहित होगा।
16 घंटे तक लगातार चलेगी मशीन
नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी इंदू प्रकाश के अनुसार, कंपनी की ओर से प्रेजेंटेशन दिया गया है। प्राधिकरण की प्लानिंग है करीब 100 मीट्रिक टन का प्लांट यहां लगाया जाए। जिसकी लागत करीब 17 लाख के आसपास आने वाली है। यह प्लांट पॉल्यूशन फ्री होगा। ऐसे में इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। बता दें कि, अन्य मशीनों की क्षमता करीब 1 से 10 मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण की ही होती है। जबकि इसकी क्षमता करीब 1 मीट्रिक टन से 100 मीट्रिक टन तक कचरे के निस्तारण की होगी। ये प्लांट 16 घंटे लगातार काम करने में सक्षम होगा जबकि अन्य की क्षमता 5 से 6 घंटे की ही होती है।
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