ललितपुर। निर्यापक श्रमण मुनि सुधा सागर महाराज ने अहंकार को विनाश का कारण बताते हुए कहा कि मनुष्य को कभी भी अपने धन और प्रतिष्ठा पर अहंकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा धन वैभव अपने पुण्य से मिलता है उसको दान में लगाने के बाद धर्म क्षेत्र में श्रेष्ठता पाई तो कई भवों को सुधारता है। वहीं सब कुछ करने के बाद अहंकार करना पतन का कारण होता है। वह मंगलवार को शाही पंचकल्याणक प्रतिष्ठा समारोह में बोल रहे थे।
मुनि श्री ने गर्भपात को महापाप बताते हुए कहा कि अपनी भावनाएं पवित्र रखें। जीव के जहां गर्भ में आते ही तीन लोक में खुशियां छा जातीं हैं वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके गर्भ में आते ही दुखी हो जाते हैं और गर्भपात जैसा महापाप करते हैं। मां बनना कोई साधारण बात नहीं गर्भपात के परिणाम नहीं आना चाहिए। मुनि श्री ने कहा कि गर्भपात जैसे जघन्य अपराध करने से कई जन्मों तक भटकना पड़ता है। गर्भपात के कुकृत्य पर शंखनाद करते हुए मुनि श्री ने पंचकल्याणक के गर्भकल्याण में उपस्थित इंद्र-इंद्राणियों के समूह को जागृत किया कि अपनी कोख को पवित्र बनाओ जिससे धर्म और संस्कृति की रक्षा हो सके। इससे पहले सुबह प्रभु अभिषेक शांतिधारा पुर्ण्याजक परिवारों ने की। मुनि श्री के पादप्रक्षालन का पुर्ण्याजन डॉ. अक्षय टडैया, आकाश जैन, स्वतंत्र मोदी, संजीव जैन,अशोक, राजेंद्र जैन को मिला।
भक्तिपूर्वक प्रभु के सम्मुख समर्पित किए अर्घ
गर्भकल्याणक की पूजन उपस्थित हजारों की संख्या इंद्र-इंद्राणियों ने की प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रमुख पात्र सौधर्म इंद्र सुमन-स्वतंत्र मोदी, धनपति कुवेर सुधा जैन-अशोक जैन, महायज्ञ नायक रचना संजीव जैन,शिरोमणि श्रावक श्रेष्ठी महेंद्र कुमार सराफ, विधि यज्ञनायक प्रभात कुमार सराफ, भरत चक्रवर्ती, रवींद्र अलया, बाहुबली संजीव कुमार, ईशान इंद्र विनय कुमार जैन,सनत इंद्र संजीव कुमार लकी, राजीव कुमार, यज्ञनायक- महेंद्र कुमार सराफ, अखिलेश, विनय जैन,आलोक जैन,राजेंद्र सराफ,संदीप सराफ लालू,वीरेंद्र कुमार गंगचारी, महेंद्र कुमार,राजकुमार, राजा श्रयांस राजीव, राजा सोम डॉ.अक्षय टडैया ने भक्तिपूर्वक प्रभु के सम्मुख अर्घ समर्पित किए।
तीर्थकर माता गोदभराई हुई में उमड़ी महिला श्रद्धालु
प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी प्रदीप सुयश के निर्देशन में महाराजा नाभिराय के दरवार लगा जिसमें भगवान की माता मरूदेवी की सीमंतनी क्रियाएं तीर्थकर माता गोदभराई हुई जिसमें महिलाओं ने भक्तिपूर्वक सम्मलित होकर पुर्ण्याजन किया। तीर्थंकर भगवान के माता पिता बनने का सौभाग्य कल्पना जैन-राजेंद्र जैन को मिला। इस मौके पर मुनि पूज्य सागर महाराज ने अभिनंदनोदय तीर्थ के गौरवशाली इतिहास को बताया और पंचकल्याणक प्रतिष्ठा को पुण्य के क्षण बताए। अयोध्यापुरी में महाराजा नाभिराय के दरवार में राज्य व्यवस्था की चर्चा और माता मरूदेवी ने सोलह स्वप्नों की महाराज नाभिराय को जानकारी दी जिसका उन्होने फलादेश बताया। छप्पन कुमारिकाओं ने माता मरूदेवी की सेवा की और अपनी ओर से भेंट समर्पण की।
ये लोग कर रहे व्यवस्थाएं
प्रतिष्ठा महोत्सव की व्यवस्थाओं को वीर व्यायामशाला, आचार्य विद्यासागर सेवा संघ, स्याद्वाद वर्द्धमान सेवा संघ, वीरसेवा संघ, आदिनाथ सेवा संघ, भारतीय जैन मिलन बाहुबलि सेवा संघ, जैन सेवा संघ, तारण तरण युवा सेवा समिति, जैन एंबुलेंस समिति, वीर क्लब, जैन सेवा संघ महिला मंडल गल्ला व्यापार मंडल, उद्योग व्यापार मंडल द्वारा संयोजित की जा रही है जिसमें जैन पंचायत अध्यक्ष अनिल जैन अंचल, महामंत्री डॉ. अक्षय टडैया मंदिर प्रबंधक मोदी पकंज जैन, मेला कैप्टन नरेंद्र कडंकी, कैप्टन राजकुमार जैन, पार्षद महेंद्र सिंघई, वैभव जैन टिन्ना, स्वदेश गोयल, मनोज जैन, संजय मोदी, पवन जैन मयंक, आलोक जैन, जिनेंद्र जैन आदि का सहयोग मिल रहा है। कार्यक्रम स्थल पर गल्ला व्यापार मंडल जहां भोजन व्यवस्था के लिए पुर्ण्याजक बना। वहीं नाश्ता और चाय आदि की व्यवस्था की संयोजना उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल एवं सिंघई कंपनी द्वारा की जा रही है।
इंद्र इंद्राणियों के सैलाब से हुआ शाही पंचकल्याणक
धर्मसभा में मुनि सुधासागर महाराज ने अपने अंदाज में कहा प्रात:काल अयोध्यापुरी के प्रतिष्ठा मंडप में इंद्र इंद्राणियों का अलौकिक दृश्य देखते ही बनता रहा। मुख्य पात्र तो हर पंचकल्याणक में रहते लेकिन सामान्य पात्रों का समूह जो 750 फीट लंबे विशाल पंडाल रहा इस पंचकल्याणक की महासत्ता बना जिसको देखकर आंखें तृप्त हुई कि दुनिया का स्वरूप भी ऐसा हो जिसमें धर्म संस्कृति का वहुमान रहे।
पडगाहन का मिला पुर्ण्याजन
शाही पंचकल्याणक अयोध्यापुरी में निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर महाराज को पडगाहन का पुर्ण्याजन ग्रहण जैन राजीव वैद्य परिवार, मुनि पूज्य सागर महाराज को पडगाहन जीवन सिंघई मिर्चवारा परिवार,एलक धैर्यसागर को पडगाहन जिनेंद्र जैन रजपुरा प्रबंधक नयामंदिर, क्षुल्लक गंभीर सागर महाराज को पडगाहन ब्रह्मचारिणी विमलेश समूह को मिला।
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