माना जाता है कि तकनीक और विज्ञान पुरुषों के वर्चस्व का क्षेत्र है, यहां महिलाएं पर्याप्त नहीं हैं। वर्तमान में स्थिति इसके उलट नजर आ रही है। तकनीकी के प्रयोग में युवतियों से लेकर स्कूली छात्राएं तक आगे निकल रही हैं। किसी ने एप बनाकर तो किसी ने सोशल मीडिया का प्रयोग कर मानवता की मिसाल पेश की है। विज्ञान में रुचि रखने वाली बालिकाओं की संख्या बढ़ी है। वह शोध के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही हैं। सशक्त बालिकाएं अब इस दौर की प्रेरणास्रोत बनकर सामने आ रही हैं।
यह भी पढ़ें: Meerut: दीपक हत्याकांड मामले में एसआईटी गठित, एएसपी व सीओ होंगे शामिल
डिंपल ने एल्जाइमर रोग पर बनाया एप
आर्मी पब्लिक स्कूल की 10वीं की छात्रा डिंपल दिनकर पाटिल ने एल्जाइमर (भूलने की बीमारी) का समाधान डिजिटल माध्यम से खोज निकाला। उन्होंने इस बीमारी के लिए ‘ब्रेनी’ एप डेवलप किया है। डिंपल ने बताया कि उनकी दादी एल्जाइमर से पीड़ित है। उन्हें देखकर ही एप बनाने का विचार आया। एप को यूनेस्को के सामने भी प्रदर्शित कर मेंबरशिप ली है। जल्द ही एप प्लेस्टोर पर उपलब्ध होगा। इसके पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है। डिंपल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी रुचि रखती हैं।
अमेरिका में आलू पर शोध कर रहीं डॉ. कृति
राजेंद्र नगर निवासी युवा वैज्ञानिक डॉ. कृति त्यागी को अमेरिका की मिनेसौटा यूनिवर्सिटी ने आलू के रोगों पर शोध करने के लिए पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप प्रदान की है। फंगस व बैक्टीरिया से आलू को बचाने के लिए मिनेसौटा यूनिवर्सिटी ने भारत से डा. कृति को चुना है। पिता नरेश त्यागी ने बताया कि कृति ने 12 सितंबर को मिनेसौटा यूनिवर्सिटी पहुंचकर शोध कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च में चावल को शीथ ब्लाईट बीमारी से बचाने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। अभी तक कृति के छह शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
सोशल मीडिया का प्रयोग कर की मदद
केएल इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा अवनि ने कोरोना काल में कोविड सहायता केंद्र नाम से व्हॉट्सएप ग्रुप बनाकर लाखों लोगों तक सहायता पहुंचाई। उन्होंने बताया कि उस वक्त के हालात देख दो दोस्तों के साथ मिलकर ग्रुप शुरू किया। हर दिन ग्रुप में लोग जुड़ते गए। अस्पताल में बेड, रक्त की जरूरत या अन्य मदद के लिए मैसेज आते गए। उन मैसेज को सोशल मीडिया पर वायरल कर वैरीफाइड लोगों से मदद पहुंचाई। अभी तक ग्रुप सक्रिय है।
गौरांगी बनीं कंप्यूटर गर्ल
एमपीजीएस शास्त्रीनगर की छात्रा गौरांगी गर्ग को कंप्यूटर गर्ल के नाम से जाना जाता है। सात साल की उम्र में उन्होंने कंप्यूटर की सभी शॉर्ट कीज पर कमांड हासिल कर ली। वह बगैर माउस के कंप्यूटर को सभी कमांड देती हैं। फिलहाल गौरांगी 11 वर्ष की हैं और तकरीबन सभी सॉफ्टवेयर की जानकारी रखती हैं। इस प्रतिभा के लिए उन्हें कक्षा में शिक्षकों से प्रोत्साहन मिलता है।
इसलिए मनाया जाता है दिवस
दुनियाभर में युवा लड़कियों की आवाज को सशक्त करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 11 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
इस बारे में चर्चा post