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अयोध्या। सभी धर्मों का मूल वेद है। वेद विज्ञान है ,वेद ही धर्म है। वेद में भारत की आत्मा समाहित है। आज भारत सरकार ने भी वेदशिक्षा को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान कर दी है।
जब तक संसार के घर-घर में वेद नहीं पहुंच जाता तब तक शुचिता से पूर्ण और मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण समाज का निर्माण असंभव है। हमें वैदिक मंत्रों की बिक्री नहीं करनी चाहिए बल्कि स्वाध्याय के माध्यम से नित्य वेद मंत्रों का पारायण करना चाहिए।
उक्त बातें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंगलवार को तीन दिवसीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहीं।
वेद के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध भारत सरकार की संस्था महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन एवं वशिष्ठ विद्या समिति अयोध्या के संयुक्त तत्वावधान में क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन कारसेवकपुरम में हो रहा है।
वेदों के प्रचार-प्रसार के लिए राष्ट्र की शीर्ष संस्था महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने प्राचीन काल से आधुनिक काल तक वेद के माध्यम से कैसे भारत जगत का सिरमौर रहा पर प्रकाश डाला।
कहा कि आज जो वातावरण विषाक्त हो गया उसको केवल वेद पारायण से ही समाप्त किया जा सकता है। आज आवश्यकता है कि हम वैदिक पद्धति को संरक्षित-संवर्धित करें।
मणिराम छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने कहा कि अब समय आ गया है कि शीघ्र ही वैदिक भारत की संकल्पना के अनुरूप राष्ट्र का निर्माण और इतिहास का संकलन हो। सारे धर्म का मूल, आधुनिक तकनीकी, विज्ञान सब वेदों में समाहित है।
सम्मेलन का संचालन भारत संस्कृत परिषद के अध्यक्ष राधा कृष्ण मनोरी ने किया। उद्घाटन सत्र में विहिप के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी, वेद विद्यालय प्रमुख हरिशंकर सिंह, वेदमूर्ति चंद्रभानु ,वेदमूर्ति सत्यमजी ,महर्षि वशिष्ठ विद्या समिति के मंत्री एवं लोकतंत्र सेनानी राधेश्याम मिश्र, प्रो. विक्रमा प्रसाद पांडेय, हनुमत प्रसाद नौटियाल , डॉ. अरुणव कुमार मिश्र, महंत गिरीश पति त्रिपाठी सहित अन्य मौजूद रहे।
वैदिक विश्वविद्यालय तिरुपति के पूर्व कुलपति प्रो. सुदर्शन शर्मा जी ने कहा कि हमें वेद के प्रति जिज्ञासा जगानी होगी। अशोक सिंघल के सपनों को साकार करने के लिए अशोक सिंघल वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। जिस विद्यालय में वेद मंत्रों के रहस्य को समझ कर आधुनिक विज्ञान और तकनीकी का विकास किया जाएगा।
अयोध्या। सभी धर्मों का मूल वेद है। वेद विज्ञान है ,वेद ही धर्म है। वेद में भारत की आत्मा समाहित है। आज भारत सरकार ने भी वेदशिक्षा को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान कर दी है।
जब तक संसार के घर-घर में वेद नहीं पहुंच जाता तब तक शुचिता से पूर्ण और मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण समाज का निर्माण असंभव है। हमें वैदिक मंत्रों की बिक्री नहीं करनी चाहिए बल्कि स्वाध्याय के माध्यम से नित्य वेद मंत्रों का पारायण करना चाहिए।
उक्त बातें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंगलवार को तीन दिवसीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहीं।
वेद के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध भारत सरकार की संस्था महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन एवं वशिष्ठ विद्या समिति अयोध्या के संयुक्त तत्वावधान में क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन कारसेवकपुरम में हो रहा है।
वेदों के प्रचार-प्रसार के लिए राष्ट्र की शीर्ष संस्था महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने प्राचीन काल से आधुनिक काल तक वेद के माध्यम से कैसे भारत जगत का सिरमौर रहा पर प्रकाश डाला।
कहा कि आज जो वातावरण विषाक्त हो गया उसको केवल वेद पारायण से ही समाप्त किया जा सकता है। आज आवश्यकता है कि हम वैदिक पद्धति को संरक्षित-संवर्धित करें।
मणिराम छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने कहा कि अब समय आ गया है कि शीघ्र ही वैदिक भारत की संकल्पना के अनुरूप राष्ट्र का निर्माण और इतिहास का संकलन हो। सारे धर्म का मूल, आधुनिक तकनीकी, विज्ञान सब वेदों में समाहित है।
सम्मेलन का संचालन भारत संस्कृत परिषद के अध्यक्ष राधा कृष्ण मनोरी ने किया। उद्घाटन सत्र में विहिप के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी, वेद विद्यालय प्रमुख हरिशंकर सिंह, वेदमूर्ति चंद्रभानु ,वेदमूर्ति सत्यमजी ,महर्षि वशिष्ठ विद्या समिति के मंत्री एवं लोकतंत्र सेनानी राधेश्याम मिश्र, प्रो. विक्रमा प्रसाद पांडेय, हनुमत प्रसाद नौटियाल , डॉ. अरुणव कुमार मिश्र, महंत गिरीश पति त्रिपाठी सहित अन्य मौजूद रहे।
वैदिक विश्वविद्यालय तिरुपति के पूर्व कुलपति प्रो. सुदर्शन शर्मा जी ने कहा कि हमें वेद के प्रति जिज्ञासा जगानी होगी। अशोक सिंघल के सपनों को साकार करने के लिए अशोक सिंघल वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। जिस विद्यालय में वेद मंत्रों के रहस्य को समझ कर आधुनिक विज्ञान और तकनीकी का विकास किया जाएगा।
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