Ranchi : केंद्रीय सरना समिति ने आरोप लगाया है कि आज आदिवासी समाज पर चौतरफा हमला हो रहा है. , साथ ही कुछ आदिवासी संगठन के सिरफिरे पदाधिकारी और सदस्य अपनी विकृत मानसिकता से भोले-भाले आदिवासियों को धर्म और आस्था के नाम पर भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं. उन्हें अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित पौराणिक मान्यताओं, रूढ़िवादी संस्कृति, रीति -रिवाज, धर्म-कर्म से भटका कर एक नई व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो सही नहीं है. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा और महासचिव कृष्ण कांत टोप्पो ने संयुक्त रुप से बयान जारी कर सरना धर्मावलंबियों से अपील की है कि “राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा भारत” एवं उनके सहयोगी संगठनों के किसी भी बात या कार्यक्रम का सीधा विरोध करें.
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धर्मगुरू व्यवस्था की शुरूआत अच्छी नहीं- केंद्रीय सरना समिति
केंद्रीय सरना समिति ने कहा कि तथाकथित धर्मगुरु व्यवस्था की जो शुरुआत की जा रही है, इसे भी नकारने का यथासंभव प्रयास करें. क्योंकि अन्य दूसरे समाज के धर्म गुरुओं को शिक्षा – दीक्षा के उपरांत धर्मगुरु की उपाधि दी जाती है और उस समाज में मान्यता प्राप्त है, लेकिन सरना धर्म गुरुओं की व्यवस्था इससे उलट है. अगर किसी भी संगठन-संस्था को सरना समुदाय के हितार्थ कुछ अद्भुत कार्य करने की आवश्यकता है तो वह सरना समुदाय के लोगों के बीच शिक्षा का महत्व, रूढ़िवादी व्यवस्था, संस्कृति-सभ्यता और आदिवासियों के रोजगार के अवसरों संबंध में जन जागरण करे. मूल विषयों को बिना त्यागे व्यवस्थित करें तो उसका स्वागत है. अध्यक्ष बबलू मुंडा ने चेतावनी देते हुए कहा कि आदिवासियों की पारंपरिक रूढ़िवादी व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को सबक सिखाने के लिए तैयार है. ऐसे धार्मिक संगठन धर्म विरोधी कार्यों से बाज आएं. वहीं केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय पाहन जगलाल पाहन ने कहा कि माना कि हमारी धार्मिक -सामाजिक व्यवस्था अलिखित है लेकिन अन्य सभी धर्मों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ है.
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