Astrology for Deepak: सनातन धर्म में कई ऐसी महान प्राचीन परंपराएं हैं, जो आज भी दुनिया के करोड़ों लोगों का मार्गदर्शन कर रही हैं. इन्हीं में एक परंपरा है दीपक जलाना. शायद ही कोई ऐसा शुभ कार्य होगा, जिसकी शुरुआत दीपक जलाकर न की जाती होगी. मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे जीवन से सभी अंधकार दूर कर देते हैं. लेकिन अगर कभी आरती करते वक्त दीपक बुझ (Deepak ke Bujhne ka Arth) जाए तो यह किस बात का संकेत होता है. आइए आज इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
देवी-देवताओं के नाराज होने के संकेत
धर्म शास्त्रों के मुताबिक पूजा के दौरान दीपक के बुझ (Deepak ke Bujhne ka Arth) जाने का अर्थ ये होता है कि देवी-देवता आपसे नाराज हैं. ऐसा होने पर पूजा करने वाले की मनोकामनाएं पूर्ण होने में बाधा आती हैं. ऐसी स्थिति में हाथ जोड़कर ईश्वर से सच्चे मन से क्षमा मांग सकते हैं और दोबारा से दीपक प्रज्वलित कर सकते हैं.
सच्चे मन से आराधना न करना भी एक वजह
पूजा के दौरान दीपक बुझ (Deepak ke Bujhne ka Arth) जाने का एक अर्थ ये भी होता है कि व्यक्ति सच्चे मन से ईश्वर की आराधना नहीं कर रहा है. इसकी वजह मोबाइल का इस्तेमाल या दूसरी बातों का ध्यान हो सकता है. ऐसे में बेहतर रहेगा कि पूजा-अर्चना से पहले आप अपने सारे गैजेट्स बंद कर दें.
किसी अनिष्ट का संकेत होता है दीपक का बुझना
आरती के समय दीपक का बुझना (Deepak ke Bujhne ka Arth) किसी अनिष्ट के होने का संकेत होता है. ऐसे में बेहतर रहेगा कि पूजा शुरू करने से पहले आप उसमें पर्याप्त घी-तेल डाल लें. साथ ही उसकी उसकी बाती की लंबाई भी एक बार चेक कर लें. अगर आप इन सावधानियों का ध्यान रखेंगे तो निश्चित रूप से दीपक देर तक जलता रहेगा.
दीपक जलाने से पहले कूलर-पंखे बंद कर दें
आप जिस जगह पूजा कर रहे हों, वहां पर कूलर-पंखे बंद कर दें. साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि दीपक पर तेज हवा न पड़ रही हो. अगर उस तक तेज हवा आ रही हो तो किसी चीज से उसकी ओट कर दें, जिससे वह बुझने (Deepak ke Bujhne ka Arth) न पाए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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