स्पोर्ट्स डेस्क11 मिनट पहलेलेखक: कृष्ण कुमार पांडेय
ऑस्ट्रेलिया में 16 अक्टूबर से आठवें टी-20 वर्ल्ड कप आगाज हो रहा है। आज से हम आपके लिए रोजाना टी-20 क्रिकेट और इस वर्ल्ड कप से जुड़ी रोचक स्टोरी लाएंगे। पहली स्टोरी में पढ़िए कि कैसे टी-20 फॉर्मेट ने क्रिकेट के खेल पर पॉजिटिव इम्पैक्ट डाला और इसे ग्लोबल स्पोर्ट बनने में मदद की है…
भारतीय क्रिकेट बोर्ड 1975 में टीम इंडिया के खिलाड़ियों को एक टेस्ट मैच खेलने के लिए 2500 रुपए की फीस देता था। फिर वनडे क्रिकेट आया और 1983 में तीसरे वर्ल्ड कप में हम चैंपियन भी बन गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि चैंपियन बनने के बाद जब हमारे खिलाड़ी वापस भारत आए तो BCCI के पास पैसे नहीं थे अपने खिलाड़ियों को देने के लिए। तब लता मंगेशकर ने टीम के लिए शो किया और जो पैसा आया उसे खिलाड़ियों को दिया गया।
1983 के वर्ल्ड कप के बाद कमाई कुछ बढ़ी, लेकिन तब भी BCCI को भारत का एक मैच टीवी पर दिखाने के लिए दूरदर्शन को 5 लाख रुपए की फीस चुकानी पड़ती थी। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को छोड़कर दुनिया भर के तमाम क्रिकेट बोर्ड की लगभग ऐसी ही स्थिति थी।
1991 में पहली बार टीवी राइट्स बिके और भारतीय बोर्ड की हैसियत कुछ लाख से रुपए से कुछ करोड़ रुपए की हुई। आने वाले करीब डेढ़ दशक में रुतबा कुछ सौ करोड़ रुपए का हुआ।
फिर आया टी-20 फॉर्मेट। इसने न सिर्फ भारत और भारतीय क्रिकेट बोर्ड को मालामाल किया बल्कि क्रिकेट के खेल को भी फुटबॉल के बाद दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल बना दिया। आज तो टीम के कप्तान रोहित शर्मा को बोर्ड 7 करोड़ सलाना की कॉन्ट्रैक्ट फीस देता है। IPL की कमाई अलग है। भारतीय टीम से जुड़े अन्य स्टार्स भी मोटी कमाई कर रहे हैं। जहां तक ब्रॉडकास्ट की बात करें तो अब तो भारत में होने वाले एक अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए ब्रॉडकास्टर BCCI को 43.20 करोड़ रुपए देता है।
ये तमाम बदलाव आए टी-20 फॉर्मेट के हिट होने के बाद। 2007 में हुए पहले टी-20 वर्ल्ड कप के बाद से अब तक इस फॉर्मेट ने क्रिकेट को क्या-क्या दिया है वह सब हम आज जानेंगे। आखिर तक इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप टी-20 फॉर्मेट की ताकत से रूबरू होंगे और यह भी समझेंगे कि यह फटाफट फॉर्मेट टेस्ट क्रिकेट के लिए भी काफी फायदेमंद है।
ज्यादा देशों तक क्रिकेट की पहुंच
टी-20 फॉर्मेट के लोकप्रिय होने से इस खेल की पहुंच बढ़ी है। 1877 में पहला टेस्ट मैच खेला गया। शुरुआत के 145 साल बाद भी अब तक केवल 12 देश ही इस फॉर्मेट में खेल पाए हैं। वनडे से दायरा थोड़ा बढ़ा। लेकिन, टी-20 ने क्रांति ही कर दी। अब तक किस फॉर्मेट में कितने देश इंटरनेशनल मैच खेल चुके हैं यह आप अगली तस्वीर में देख सकते हैं। क्रिकेट में फॉर्मेट जितना छोटा है उलटफेर की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। 20-20 ओवर के खेल में कमजोर टीमों के जीतने की उम्मीद भी बनी रहती है। इसलिए इस फॉर्मेट को कई देशों ने बेहद कम समय में अपना लिया।
टी-20 की बदौलत क्रिकेट अब दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल
टी-20 फॉर्मेट के दुनियाभर में फैलने से क्रिकेट का ग्लोबल फैन बेस भी 15 साल में करीब डबल हो गया है। अब यह फुटबॉल के बाद सबसे ज्यादा फॉलो किया जाने वाला खेल है। पहले यह रुतबा फील्ड हॉकी को हासिल था। किस खेल के दुनियाभर में कितने फैंस हैं यह आप अगली तस्वीर में देख सकते हैं। भारत में पहले से क्रिकेट के फैंस सबसे बड़ी संख्या में मौजूद थे। लेकिन, टी-20 फॉर्मेट के आने से देश में भी इसका नया फैन बेस बना। BCCI के पूर्व सचिव और टीम इंडिया के पूर्व सिलेक्टर संजय जगदाले भी इस बात को स्वीकार करते हैं।
उन्होंने भास्कर को बताया कि टी-20 ने देश में नया फैन बनाया। ये ऐसे फैंस हैं जो पहले क्रिकेट नहीं देखते थे लेकिन टी-20 ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित किया। इसमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में हैं। आप संजय जगदाले की बात इस खबर के साथ लगी पहली तस्वीर को क्लिक कर सुन सकते हैं।
क्रिकेट बना प्रोफेशनल खेल, IPL इस खेल की सबसे बड़ी लीग
मॉडर्न एरा में सफल खेल वही हैं जो प्रोफेशनल लेवल पर अपना मुकाम बना चुके हों। फ्रोफेशनल स्तर पर सफलता की सबसे बड़ी शर्त है फ्रेंचाइजी लीग का होना। फुटबॉल, बास्केटबॉल, आईस हॉकी, बेसबॉल जैसे खेल इस शर्त को पूरा करते हैं। टी-20 के आने के बाद क्रिकेट में भी यह मुमकिन हुआ। एक टी-20 मैच 3 से 4 घंटे के अंदर पूरा हो जाता है और इंटेंसिटी लगातार बनी रहती है। बोरियत भरा कोई पल नहीं आता है।
भारत में IPL की शुरुआत हुई और क्रिकेट एक सेमी प्रोफेशनल से पूरी तरह प्रोफेशनल खेल बन गया। आगे के दो ग्राफिक्स में आप IPL की कामयाबी देख सकते हैं। पहले टी-20 वर्ल्ड कप शुरू होने से अब तक BCCI और ICC की कमाई करीब 10 गुना तक बढ़ चुकी है।
ओलिंपिक में फिर से एंट्री मुमकिन हो सकेगी
दुनिया का सबसे बड़ा स्पोर्टिंग इवेंट ओलिंपिक है। इसमें फुटबॉल, बास्केटबॉल जैसे खेल भी शामिल हैं लेकिन क्रिकेट को जगह नहीं मिल रही है। साल 1900 में पेरिस में हुए समर ओलिंपिक में पहली और आखिरी बार क्रिकेट को शामिल किया गया था। फिर क्रिकेट को इसलिए शामिल नहीं किया जाता था क्योंकि इसके मैच पूरे होने में बहुत ज्यादा समय की जरूरत होती थी। साथ ही गिने-चुने देश क्रिकेट खेलते थे।
टी-20 के आने से तस्वीर बदल गई। समय कम लगने के साथ-साथ यह करीब 100 देशों में पहुंच गया। ICC की पूरी कोशिश है कि 2028 में अमेरिका के लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलिंपिक गेम्स में क्रिकेट की वापसी हो जाए। 2024 में वेस्टइंडीज और अमेरिका मिलकर टी-20 वर्ल्ड कप होस्ट करा रहे हैं। लॉस एंजिल्स में भी मुकाबले खेले जाएंगे। यानी 2028 ओलिंपिक से पहले वहां क्रिकेट के जरूरी इन्फ्रस्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा। अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति ने भी अब तक क्रिकेट की री-एंट्री को लेकर सकारात्मक रुख दिखलाया है।
अब जान लेते हैं कि टी-20 से टेस्ट क्रिकेट को क्या फायदा मिला
संजय जगदाले ने भास्कर को बताया कि टी-20 क्रिकेट के आगमन से टेस्ट क्रिकेट भी रोचक हो गया है। अब बल्लेबाज पहले की तुलना में ज्यादा रिस्क लेते हैं और इसका असर टेस्ट क्रिकेट पर भी पड़ा है। इससे टेस्ट में ड्रॉ की संख्या काफी कम हो गई है और ज्यादातर मैचों के नतीजे निकलने लगे हैं। अगली तस्वीर में आप देख सकते हैं कि 2007 में हुए पहले वर्ल्ड कप से पूर्व कितने टेस्ट ड्रॉ होते थे और उसके बाद से कितने टेस्ट ड्रॉ हो रहे हैं।
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