Type 2 Diabetes Short-term long term Complications: डायबिटीज की समस्या पहले बुजुर्ग लोगों की बीमारी हुआ करती थी लेकिन पिछले कुछ वक्त में इसके कई मामले ऐसे सामने आए हैं जिसमें पीड़ित की उम्र 40 वर्ष से भी कम थी. हाल के कुछ वर्षों में डायबिटी की बीमारी तेजी से बढ़ी है और अब यह एक आम बीमारी हो चुकी है. डायबिटीज की सबसे बड़ी वजह है मनुष्य की बदली हुई जीवनशैली और हमारे स्वास्थ्य के लिए क्या फायदेमंद क्या नुकसानदायक इसकी परवाह किए बगैर खाद्य पदार्थों का सेवन करना. डायबिटीज दो प्रकार की होती है जिसमें टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज को गिना जाता है.
आमतौर पर टाइप 1 डायबिटी लोगों को आनुवांशिक कारणों से होती है जबकि टाइप 2 डायबिटीज को हम अपनी आदतों से बुलाया देते हैं. हेल्थलाइन की खबर के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज हमारे पूरे शरीर को प्रभावित करती है. ब्लड में अपर्याप्त रूप से शुगर की मात्रा बढ़ना टाइप 2 डायबिटीज का एक प्रमुख कारण साथ ही यह कई गंभीर बीमारियों का भी कारण बनती है. आपमें मधुमेह जितना अधिक समय तक रहेगा समस्या उतनी गंभीर होती जाएगी इसलिए जरूर है कि समय रहते ही इसका इलाज शुरू किया जा सके.
टाइप 2 डायबिटीज में कुछ शॉर्ट टर्म जटिलताएं होती हैं जबकि कुछ समस्याएं लॉन्ग टर्म होती है. अक्सर लोग इनके अंतर को समझ नहीं पाते. आइए जानते हैं कि आखिर ये जटिलाएं कौन कौन सी हैं…
टाइप 2 मधुमेह की अल्पकालिक जटिलताएं (Short-term complications of type 2 diabetes)
हाइपोग्लाइसीमिया
हाइपोग्लाइसीमिया टाइप 2 मधुमेह के सबसे आम शॉर्ट टर्म प्रभावों में से एक है. इसमें मरीज के ब्लड में शुगर का लेवल हर दिन बदलता रहता है. इसमें ध्यान रखने की बात है कि अगर आपका ब्लड शुगर बहुत कम हो जाता है, तो यह खतरनाक हो सकता है.
- हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण
- कमजोरी महसूस होना
- जी मिचलाना
- पसीना निकलना या फिर चिपचिपा महसूस करना
- सिर में दर्द के साथ चक्कर आना
- हांथ-पैरों को सुन्न होना
Type 2 Diabetes: शुरुआती स्टेज में ही बड़े संकेत दे देता है टाइप-2 डायबिटीज, जानें इसके स्टेप्स
हाइपोग्लाइसीमिया को रोकने के लिए अपने ब्लड में शुगर की जांच करें. यदि खून में शुगर की मात्रा 70 मिलीग्राम / डीएल से कम है, तो अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के “15-15 नियम” का पालन करके इसे बढ़ाने की कोशिश करें. करीब 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट खाएं, 15 मिनट प्रतीक्षा करें और फिर से ब्लड की जांच करें. यदि यह शुगर अभी भी बहुत कम है, तो नियम को फिर से दोहराएं. एक बार जब चीजें सामान्य हो जाएं, तो सामान्य भोजन करें.
हाइपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia)
हाइपरग्लेसेमिया में खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है. यह तब होता है जब आप अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और चीनी का सेवन करते हैं.
हाइपरग्लेसेमिया के लक्षणों में शामिल हैं:
- प्यास
- पेशाब में वृद्धि
यदि आपके पेशाब में कीटोन दिखता तो इस स्थिति में आपको व्यायाम नहीं करना चाहिए.
कीटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis)
केटोएसिडोसिस को मधुमेह केटोएसिडोसिस या डीकेए के नाम से भी जाना जाता है. डायबिटी में यह एक गंभीर और जानलेवा स्थिति है. केटोएसिडोसिस किसी में तब होता है जब उसके शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं होता.
Type 2 Diabetes: टाइप-2 डायबिटीज को कैसे प्रभावित करता है इंसुलिन, जानें जरूरी बातें
कीटोएसिडोसिस को लक्षण
- सांस की तकलीफ या भारी सांस लेना
- मुंह का अधिक सूखना
- मचली और उल्टी का महसूस होना
- फल जैसी सुगंध का एहसास होना
हाइपरोस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक अवस्था (Hyperosmolar hyperglycemic state)
डायबिटीज की यह स्थिति काफी दुर्लभ होने के साथ साथ काफी गंभीर भी होती है. यह उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है जिनकी उम्र अधिक है. ऐसे लोगों को अधिक खतरा है जो किसी संक्रमणका शिकार हैं. हाइपरोस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक नॉनकेटोटिक अवस्था / सिंड्रोम (HHNS) तब होता है जब खून में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है लेकिन कीटोन मौजूद नहीं होता. अगर आपको इसके लक्षण महसूस होते हैं तो तुरंत इलाज कराना चाहिए.
एचएचएनएस के लक्षण
- दृष्टि कमजोर होना या फिर खोना
- शरीर में एक तरफ कमजोरी महसूस करना
- उलझन में रहना
- बार बार प्यास लगना
- बुखार न होने पर भी शरीर का गर्म होना
उच्च रक्त चाप और दिल का दौरा
टाइप 2 डायबिटीज में उच्च रक्तचाप सबसे कॉमन समस्या है. टाइप 2 डायबिटीज वाले रोगी को अक्सर अपने ब्लड की जांच कराते रहना चाहिए जिससे ब्लड शुगर और अन्य जानकारियां मिल सकें. उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करने के लिए कम सोडियम वाला खाना चाहिए. उच्च रक्तचाप होने से हृदय संबंधी भी समस्याएं उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है. इससे दिल का दौरान आने की भी संभावना होती है.
टाइप 2 मधुमेह की दीर्घकालिक जटिलताएं ( Long-term complications of type 2 diabetes)
हृदय वाहिनी को नुकसान
रक्त शर्करा मैनेज न होने की वजह से धमनियों को नुकसान पहुंच सकता है. मधुमेह ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को भी बढ़ाता है, जो कि “खराब” कोलेस्ट्रॉल है. यह धमनियों को बंद कर सकता है जिससे दिल के दौरा पड़ने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.
स्ट्रोक की समस्या
टाइप 2 डायबिटी के रोगियों को स्ट्रोक आने की भी संभावना बनी रहती है. स्ट्रोक तब आते हैं जब खून के थक्के मस्तिष्क तक खून नहीं पहुंचने देते. अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, मधुमेह वाले लोगों में स्ट्रोक होने की संभावना 1.5 गुना अधिक होती है. रक्तचाप, धूम्रपान, दिल की बीमारी, हाई कोलेस्ट्रॉल और अधिक वजन स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा देते हैं.
आंखों की समस्या: टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में आंख संबंधी भी कई दिक्कतें आने की संभावना अधिक होती है. मुधमेह की समस्या अगर लंबे समय तक रही तो यह आंखों को कमजोर बना सकता है. डायबिटीज आपकी आंखों की छोटी छोटी ब्लड कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. डायबिटीज से ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, डायबिटिक रेटिनोपैथी की संभावना बढ़ जाती है.
पैर में छाले पड़ना: टाइप 2 डायबिटीज नसों को नुकसान पहुंचाता है जिससे पैर में छाले पड़ने की भी समस्या उत्पन्न हो सकती है. यह समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इससे संक्रमण पैलने का खतरा भी बना रहता है.
गैस्ट्रोपेरिसिस (gastroparesis) यदि लंबे समय तक खून में शुगर का लेवल बढ़ा रहता है तो इससे वेगस तंत्रिका को नुकसान पहुंचता है. वेगस तंत्रिका शरीर की वह तंत्रिका है जिससे पाचन तंत्र में भोजन की गति को नियंत्रित करती है. गैस्ट्रोपेरिसिस में वेगस तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो जाती है या काम करना बंद कर देती है. जब ऐसा होता है, तो पेट अपनी अपने को खाली करने में आमतौर पर जितना समय लेता है, उससे अधिक समय लगता है.
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Tags: Diabetes, Health, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : October 13, 2022, 15:30 IST
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