डॉ. गुरप्रीत सिंह वांडर।
– फोटो : LUDHIANA
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लुधियाना। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के उपकुलपति की नियुक्ति का मामला पेचीदा बनता जा रहा है। हाल ही में पंजाब सरकार की ओर से लुधियाना से डीएमसी हीरो हार्ट अस्पताल के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. गुरप्रीत सिंह वांडर को यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर नियुक्ति किया जाना और फिर राज्यपाल की ओर से उनकी नियुक्ति पर रोक लगाए जाने के बाद डा. वांडर ने वीसी पद से अनिच्छा जताकर पैनल से नाम वापस ले लिया है। ऐसे में वीसी की नियुक्ति का मामला लटक गया है। लिहाजा वीसी की नियुक्ति का मामला राजनीतिक परिवेश से देखा जाने लगा है। जिस तरह से डा. वांडर की नियुक्ति पर रोक लगाई गई है। इससे सरकार और राज्यपाल के बीच राजनीतिक गतिरोध भी बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि डॉ. वांडर सीनियर हृदय रोग विशेषज्ञ हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति पर रोक लगाया जाना हजम नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि डा. वांडर हृदय रोग विशेज्ञों में बड़ा नाम है। हार्ट सर्जरी में वह स्पेशलिस्ट है। वे उत्तर भारत के बडेे़ अस्पताल डीएससी हीरो हार्ट अस्पताल में तैनात हैं। ऐसे में उनके नाम पर रोक लगाया जाना कहीं न कहीं डॉ. वांडर को झटका लगा है। इसीलिए डॉ. वांडर ने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वीसी पद के लिए सरकार की ओर से भेजे पैनल से नाम वापस ले लिया है। जानकार मानते हैं बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वीसी पद पर नियुक्ति से पहले नामों का पैनल राज्यपाल के पास भेजा जाता है। लेकिन पैनल बनाकर नाम नहीं भेजे और सीधे नियुक्ति कर दी।
ऐसे में नियमों का हवाला देकर राज्यपाल ने रोक लगा दी। जिस तरह से बिना पैनल डॉ. वांडर का नाम आनन फानन में भेजा गया। इसी को तकनीकी गड़बड़ी माना जा रहा है। चूंकि अब सरकार ने पैनल बनाकर राज्यपाल को दोबारा नाम भेजा है। राज्यपाल के पास भेजे गए पैनल में जिनके नाम हैं, उनमें डा. वांडर के नाम की चर्चा है। आशंका है कि राज्यपाल ने जब पहले डा. वांडर के नाम पर रोक लगा दी तो संभवत: उनके नाम पर वे दोबारा मुहर लगाएंगेे या नहीं। ऐसे किसी तरह की किरकिरी से बचने के लिए डा. वांडर ने नाम वापस ले लिया है। ऐसे में सरकार को अब नया नाम भेजना होगा। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के लिए वीसी की नियुक्ति में और समय लग सकता है।
मेरे हाल पर मुझे छोड़ दें : डॉ. वांडर
इस संबंध में जब हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जीएस वांडर से बात करने का प्रयास किया तो डा. वांडर ने ज्यादा बात नहीं की। उन्होंने कहा कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाए।
मामले में सियासत का रंग चढ़ा है: डा. मित्रा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व सचिव डा. अरुण मित्रा ने बताया कि सरकार ने कहीं न कहीं तकनीकी गलती की है। राज्यपाल के पास वीसी पद के लिए नामों का पैनल भेजना चाहिए था। कई बड़े डॉक्टर हैं, उनकी नियुक्ति होनी चाहिए थी। लेकिन राज्यपाल ने रोक लगा दी है। ऐसे में सरकार तकनीकी खामी दूर कर दोबारा नाम भेज सकती है। उन्होंने कहा कि इस मसले में सियासत का रंग चढ़ा हो सकता है। लेकिन इन मसलों में सियासत नहीं होनी चाहिए।
लुधियाना। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के उपकुलपति की नियुक्ति का मामला पेचीदा बनता जा रहा है। हाल ही में पंजाब सरकार की ओर से लुधियाना से डीएमसी हीरो हार्ट अस्पताल के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. गुरप्रीत सिंह वांडर को यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर नियुक्ति किया जाना और फिर राज्यपाल की ओर से उनकी नियुक्ति पर रोक लगाए जाने के बाद डा. वांडर ने वीसी पद से अनिच्छा जताकर पैनल से नाम वापस ले लिया है। ऐसे में वीसी की नियुक्ति का मामला लटक गया है। लिहाजा वीसी की नियुक्ति का मामला राजनीतिक परिवेश से देखा जाने लगा है। जिस तरह से डा. वांडर की नियुक्ति पर रोक लगाई गई है। इससे सरकार और राज्यपाल के बीच राजनीतिक गतिरोध भी बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि डॉ. वांडर सीनियर हृदय रोग विशेषज्ञ हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति पर रोक लगाया जाना हजम नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि डा. वांडर हृदय रोग विशेज्ञों में बड़ा नाम है। हार्ट सर्जरी में वह स्पेशलिस्ट है। वे उत्तर भारत के बडेे़ अस्पताल डीएससी हीरो हार्ट अस्पताल में तैनात हैं। ऐसे में उनके नाम पर रोक लगाया जाना कहीं न कहीं डॉ. वांडर को झटका लगा है। इसीलिए डॉ. वांडर ने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वीसी पद के लिए सरकार की ओर से भेजे पैनल से नाम वापस ले लिया है। जानकार मानते हैं बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वीसी पद पर नियुक्ति से पहले नामों का पैनल राज्यपाल के पास भेजा जाता है। लेकिन पैनल बनाकर नाम नहीं भेजे और सीधे नियुक्ति कर दी।
ऐसे में नियमों का हवाला देकर राज्यपाल ने रोक लगा दी। जिस तरह से बिना पैनल डॉ. वांडर का नाम आनन फानन में भेजा गया। इसी को तकनीकी गड़बड़ी माना जा रहा है। चूंकि अब सरकार ने पैनल बनाकर राज्यपाल को दोबारा नाम भेजा है। राज्यपाल के पास भेजे गए पैनल में जिनके नाम हैं, उनमें डा. वांडर के नाम की चर्चा है। आशंका है कि राज्यपाल ने जब पहले डा. वांडर के नाम पर रोक लगा दी तो संभवत: उनके नाम पर वे दोबारा मुहर लगाएंगेे या नहीं। ऐसे किसी तरह की किरकिरी से बचने के लिए डा. वांडर ने नाम वापस ले लिया है। ऐसे में सरकार को अब नया नाम भेजना होगा। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के लिए वीसी की नियुक्ति में और समय लग सकता है।
मेरे हाल पर मुझे छोड़ दें : डॉ. वांडर
इस संबंध में जब हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जीएस वांडर से बात करने का प्रयास किया तो डा. वांडर ने ज्यादा बात नहीं की। उन्होंने कहा कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाए।
मामले में सियासत का रंग चढ़ा है: डा. मित्रा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व सचिव डा. अरुण मित्रा ने बताया कि सरकार ने कहीं न कहीं तकनीकी गलती की है। राज्यपाल के पास वीसी पद के लिए नामों का पैनल भेजना चाहिए था। कई बड़े डॉक्टर हैं, उनकी नियुक्ति होनी चाहिए थी। लेकिन राज्यपाल ने रोक लगा दी है। ऐसे में सरकार तकनीकी खामी दूर कर दोबारा नाम भेज सकती है। उन्होंने कहा कि इस मसले में सियासत का रंग चढ़ा हो सकता है। लेकिन इन मसलों में सियासत नहीं होनी चाहिए।
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