प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ललितपुर के तालबेहात थाना क्षेत्र में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित राम सुंदर लोधी को अपराध से उन्मुक्त कर दिया है। साथ ही विशेष अदालत द्वारा याची की अर्जी खारिज करने का आदेश रद कर दिया है।
न तो दुष्कर्म का आरोप और न मेडिकल टेस्ट में सुबूत
हाई कोर्ट ने कहा है कि याची पर लगाए गए आरोपों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। पीड़िता ने अपने बयान में दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया है और चिकित्सा जांच में भी शारीरिक संबंध बनाने के सुबूत नहीं मिले हैं। केवल शिकायतकर्ता ने संदेह के आधार पर एफआइआर दर्ज कराई और पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी लेकिन अभियोग चलाने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इसलिए याची अपराध से उन्मोचित किये जाने का हकदार हैं।
याची का कहना था कि उसको गलत फंसाया गया
यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने राम सुंदर लोधी की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसको गलत फंसाया गया है। पीड़िता की मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है और न ऐसा कोई प्रमाण मिला है।
संयुक्त निबंधक सहकारिता से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संयुक्त आयुक्त व संयुक्त निबंधक सहकारिता कानपुर से 16 अक्टूबर 2014को पारित आदेश का पालन न करने पर स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने रमेश चंद्र यादव की अवमानना याचिका पर दिया है।
याची अधिवक्ता आर एन यादव का कहना है कि कोर्ट ने 2014 में याची को बकाया वेतन, ग्रेच्युटी सहित सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
पालन न करने पर अवमानना याचिका पर 2015 में नोटिस भी जारी की गई है किन्तु कोई जवाब नहीं आया।
संयुक्त आयुक्त व संयुक्त निबंधक ने 13 फरवरी 2015 को सचिव सहकारी समिति छिबरामऊ, कन्नौज को बकाया वेतन तथा प्रबंध समिति को ग्रेच्युटी आदि का भुगतान करने का आदेश दिया था। इसके बाद क्या हुआ कोई सूचना नहीं है। और न ही कोई हाजिर हुआ। इस पर कोर्ट ने व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।
Edited By: Ankur Tripathi
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post