Sanskarshala 2022, भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक है। विरासत में हमें पूर्वजों के विचार, जीवनशैली व संस्कार मिलते हैं। जब शिशु जन्म लेता है तो उसे जीवनशैली, रीति-रिवाज व नैतिक मूल्य सिखाने का दायित्व परिवार व विद्यालय पर होता है। परंपरागत शिक्षा प्रणाली में बच्चे मानसिक व शारीरिक रूप से आरोग्य व स्वस्थ रहते हैं। कोरोना के दौर में हमने देखा है कि बच्चों ने आनलाइन कक्षाओं में सशक्त भूमिका निभाई है। साथ ही यह भी देखा है कि मोबाइल फोन, कंप्यूटर व अन्य उपकरणों के अत्यधिक प्रयोग से बच्चों के स्वास्थ्य व मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। मैं स्वयं एक शिक्षा विशारद हूं। मैं यह भलीभांति जानता हूं कि किस तरह आजकल इंटरनेट मीडिया पर बच्चों की मौजूदगी बढ़ गई है। इसका बच्चों पर सकारात्मक व नकारात्मक असर पड़ा है। आजकल बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी स्मार्ट फोन के आदी हो चुके हैं। हालांकि, अभिभावक होने के नाते हमें यह पता होना चाहिए कि बच्चे के विकास पर इंटरनेट मीडिया का क्या असर पड़ता है। इंटरनेट मीडिया की मदद से हम घर बैठे दुनियाभर के लोगों से संपर्क बना सकते हैं। बच्चे अपने दूर के रिश्तेदारों और दूर हो चुके दोस्तों से भी वार्तालाप कर सकते हैं।
इंटरनेट मीडिया से बेहतर होती है कम्युनिकेशन स्किल्स
इंटरनेट मीडिया की मदद से कई मुद्दों पर बच्चों की बेहतर विचारधारा विकसित होती है। नेटवर्किंग स्किल्स बढ़ाने के लिए बच्चे नई चीजें सीखते हैं और एक-दूसरे के साथ विचार-विमर्श कर सकते हैं। जो बच्चे इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, उनकी कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी होती है और इससे उन्हें लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग मिलता है। हमारे स्कूल के शिक्षकों ने कोरोना के दौर में माइक्रोसाफ्ट से बच्चों को शिक्षा प्रदान की है। हमारे विद्याथिर्यों ने माइक्रोसाफ्ट के विभिन्न टूल्स को सीखा। इसका परिणाम यह हुआ कि आज विद्यालय ने दूसरी बार माइक्रोसाफ्ट शोकेस स्कूल के रूप में उपलब्धि हासिल की है। टेक्नोलाजी में माहिर हमारे विद्यार्थियों व शिक्षकों ने फलिप ग्रिड, वाइट बोर्ड, पैडलेट व वननोट में निपुणता हासिल की है।
टेक्नोलाजी का फायदा कम नुकसान ज्यादा
बच्चों का मन नाजुक और चंचल होता है और इंटरनेट मीडिया आसानी से उनकी सोच व व्यवहार को बदल सकता है। मैंने स्वयं अनुभव किया है कि आजकल बच्चों का कंप्यूटर के प्रति अधिक रुझान है। चाहे होमवर्क हो व सवालों का जवाब हो, बच्चे कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं। बच्चे सबसे अधिक कंप्यूटर पर गेम खेलते हैं। बच्चे के हाथ में मोबाइल फोन, लैपटाप या कंप्यूटर देने से इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो सकता है। इससे पढ़ने की क्षमता प्रभावित होने के साथ ही उनकी गणित की योग्यता पर असर पड़ रहा है। घरों में अभिभावकों की देखरेख में बच्चे अगर कंप्यूटर का इस्तेमाल करें तो अच्छा साबित हो सकता है। बच्चों का कंप्यूटर व मोबाइल फोन पर अधिक समय तक बने रहना उनकी स्मरणशक्ति को कमजोर कर सकता है। साथ ही अल्जाइमर और निद्रा का शिकार हो सकते हैं। जरूरी है कि अभिभावक आनलाइन खतरों की जानकारी रखें और जितना हो सके साइबर सेफ्टी को नजरअंदाज न करें व बच्चे की लाइफ का हिस्सा बनें। भले ही वह आनलाइन हो या आफलाइन।
-डा. छवि कश्यप, प्रधानाचार्य, रेनबो इंटरनेशनल स्कूल, नगरोटा बगवां
Edited By: Virender Kumar
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