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- Muni Nipunratna Vijayji Said Only Sadguru Inspires Us To Listen To The Words Of God And Imbibe It In Life.
झाबुआएक घंटा पहले
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सद्गुरु के प्रति शिष्य का जब पूर्ण समर्पण हो जाता है, तो सदगुरू की करुणा प्राप्त होने लग जाती है। हमारे जीवन में सतगुरु अपने शिष्य में यदि सदगुण नहीं है, तो गुणों का प्रवेश कराते हैं एवं यदि गुण निष्क्रिय हो जाए तो सक्रिय करने का भी कार्य करते हैं। सदगुरू ही हमें परमात्मा के वचनों का श्रवण करने एवं जीवन में आत्मसात करने के लिए प्रेरित करते हैं। उपरोक्त प्रेरक उदबोधन आचार्य नित्यसेन सूरीश्वरजी व साधु साध्वी मंडल की निश्रा में चल रहे आत्मानंदी चातुर्मास में बावन जिनालय के पौषध भवन में प्रतिदिन चल रहे योग सार ग्रंथ की गाथाओं को समझाते हुए शुक्रवार को धर्म सभा में सम्राट के शिष्य मुनि निपुणरत्न विजयजी ने व्यक्त किए।
उन्होने चारों प्रकार की भावनाओं को और विस्तार से समझाते हुए कहा कि मैत्री भाव का पालन करने से जीवन में हिंसा का भाव भी समाप्त हो जाता है। यदि अहिंसा हमारे जीवन में आ जाएगी तो झूठ, असत्य, ब्रह्म पालन और परिग्रह करने के समस्त दुर्गुण स्वत: ही समाप्त हो जाएंगे और चार महाव्रतों का पालन हो सकेगा। जीवन में हिंसा है इसलिए झूठ असत्य, परिग्रह आदि दुर्गुणों का समावेश हो जाता है। अहिंसा गुण का जीवन के पालन करने से इन दुर्गुणों से हमारी आत्मा की सुरक्षा भी हो जाती है। स्वदया यानी आत्मा का ध्यान जब तक नहीं आए तब तक पर दया का कोई मतलब नहीं होता है।
जैसे ही स्वदया आएगी पर दया तो स्वत: ही हो जाएगी। क्योंकि उस समय अहिंसा का भाव प्रकट हो जाएगा। सभी जीवों के प्रति मैत्री भाव से शत्रु भाव समाप्त होता है, और जो धर्म क्रिया हम कर रहे हैं, वह वास्तविक धर्म क्रिया होगी। मैत्री भावना धर्म को लंबे समय भव भाव तक स्थिर रख सकते हैं, और श्रेष्ठ साधना का स्वरूप प्राप्त हो सकता है। जीवन में कई जीवों को मैत्री भाव अपनाने में कठिनाई होती है। जिसका कारण मोहनीय कर्म का उदय ही है। क्योंकि मोह गलत सही की समझ नहीं पड़ने देता है।
मोहनीय कर्म के लक्षणों का वर्णन करते हुए कहा कि जीव, जिसमें मोहनीय दशा प्रभावी होने लगती है। तो निर्दोष जीव में दोष देखना, गुणी जीव में गुण नहीं दिखना, स्वयं में दोष होने पर भी दोष नहीं दिखना और स्वयं गुणी नहीं होने पर भी गुणी समझना होता है। ऐसे जीव दूसरों के बजाय अपने धर्म, शास्त्र, तत्व को ही सही मानते हैं।
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