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- People Of Indore Are Passionate, The World Has Learned From The Cleanliness Here, Now This City Should Make A Model Of Saving Water
इंदौरएक घंटा पहले
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साइकिल यात्रा पर निकले पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी इंदौर पहुंचे।
मेरे लिए यह महज यात्रा नहीं, जिंदा रहने की जरूरत है। आपके और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी, क्योंकि जल, मिट्टी, हवा और वन, जिनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, वह खतरे में हैं और कोई इस पर बात नहीं कर रहा। महाराष्ट्र में मुझे जंगल ही देखने को नहीं मिले। एमपी आया तो जंगल देख राहत मिली।
हर राज्य में 33 प्रतिशत वन होने चाहिए, लेकिन देश के कई राज्य इस आंकड़े से बहुत पीछे हैं। यह बात प्रगति से प्रकृति पथ पर साइकिल यात्रा कर रहे पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने भास्कर से कही। वे अपने दल के साथ शुक्रवार को इंदौर पहुंचे। उन्होंने कहा इंदौर के लोग प्रयोगवादी और जुनूनी हैं। यहां के सफाई मॉडल को दुनिया ने अपनाया। अब ऐसा ही कुछ पानी बचाने के लिए भी यह शहर कर दिखाए।
उन्होंने कहा भारत गांवों से निकलकर शहरों में आ गया है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में नॉलेज पार्टनरशिप नहीं है। खेती का आकर्षण, उसकी सरलता नहीं है। ऐसे कई कहानियां हैं, जहां लाखों के पैकेज छोड़ युवाओं ने खेती को अपनाया है।
गांव को इकोलॉजी हब बनाया जाए। साथ ही पर्यटन शर्तों पर दिया जाना चाहिए। पहली शर्त यह कि लोग प्राकृतिक जगह जाएं तो प्रकृति के लिए कुछ बेहतर करके आएं। दूसरा, वहां कुछ न लेकर जाएं, स्थानीय भोजन ही लें, जिससे रोजगार भी बढ़ेगा और कचरा नहीं जाएगा।
जीवन बचाने के ये प्रयास जरूर करें
जल : जमीन में जलागम छिद्र बनाएं, जिससे पानी आसानी से जमीन के अंदर जा सके।
मिट्टी : जल स्रोतों के आसपास पौधे लगाएं।
हवा : 1 से 10 किमी की दूरी साइकिल से तय करें।
वन : एक व्यक्ति कम से कम 4 पौधे लगाए।
प्रयास, जिन्हें देखकर सुकून मिला
- मानपुर के रामपुरिया गांव के नंदकिशोर पाटिल को 5 वटवृक्ष अपनी विरासत में मिले हैं। ये 200 से 300 साल पुराने हैं। वे भी अपने बच्चों को विरासत में प्रकृति की भेंट देंगे।
- महाराष्ट्र के चांदबाड़ी में जलसंकट आया तो लोगों ने 350 साल पुराना तालाब खोद दिया।
- श्रीपुर में लोगों ने पानी के संकट से बचने के लिए 1.5 लाख नीम के पेड़ लगा दिए।
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